भारत का पहला हॉर्नबिल संरक्षण केंद्र तमिलनाडु में स्थापित: पश्चिमी घाट की जैव विविधता को मिलेगा नया जीवन

तमिलनाडु सरकार ने कोयंबटूर जिले के अनामलाई टाइगर रिजर्व (ATR) में भारत के पहले “हॉर्नबिल संरक्षण केंद्र” की स्थापना की घोषणा की है। यह पहल जैव विविधता संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो हॉर्नबिल जैसे कीस्टोन पक्षी प्रजातियों की सुरक्षा और उनके आवासों के पुनरुद्धार को केंद्र में रखती है।
हॉर्नबिल का पारिस्थितिक महत्व
हॉर्नबिल को अक्सर “जंगल के किसान” कहा जाता है क्योंकि ये बीज फैलावक (seed dispersers) के रूप में कार्य करते हैं, जिससे प्राकृतिक वनों का पुनरुद्धार होता है। विशेष रूप से अंजीर (fig) और कैनारियम (canarium) जैसे पेड़ों के बीज फैलाने में इनकी भूमिका अत्यंत महत्त्वपूर्ण होती है।
हालांकि, वनों की कटाई, निवास स्थान का विखंडन और जलवायु परिवर्तन के चलते ये प्रजातियाँ आज संकटग्रस्त होती जा रही हैं। इन्हीं खतरों से निपटने के लिए यह संरक्षण केंद्र स्थापित किया गया है।
केंद्र की प्रमुख गतिविधियाँ
अनामलाई टाइगर रिजर्व में स्थापित होने वाला यह केंद्र चार प्रमुख हॉर्नबिल प्रजातियों पर केंद्रित होगा:
- ग्रेट हॉर्नबिल (Buceros bicornis)
- मालाबार ग्रे हॉर्नबिल (Ocyceros griseus)
- मालाबार पाइड हॉर्नबिल (Anthracoceros coronatus)
- इंडियन ग्रे हॉर्नबिल (Ocyceros birostris)
मुख्य गतिविधियों में शामिल हैं:
- आवास मानचित्रण (habitat mapping)
- घोंसले की निगरानी (nest monitoring)
- जलवायु प्रभाव मूल्यांकन
- मूल प्रजातियों के वृक्षारोपण द्वारा क्षरणग्रस्त वन क्षेत्रों की बहाली
सामुदायिक सहभागिता और जागरूकता
इस परियोजना में स्थानीय समुदायों को सक्रिय भागीदार बनाया जाएगा। इसके अंतर्गत:
- ‘घोंसला अपनाओ’ कार्यक्रम
- छात्रों के लिए छात्रवृत्तियाँ
- बीज संग्रहण जैसी टिकाऊ आजीविका योजनाएँ
- स्कूलों के लिए फील्ड विज़िट और जन जागरूकता कार्यक्रम
इसके अलावा, वनकर्मियों के लिए क्षमता निर्माण कार्यक्रम भी चलाए जाएंगे।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- हॉर्नबिल संरक्षण केंद्र भारत का पहला ऐसा केंद्र है, जो विशेष रूप से हॉर्नबिल पक्षियों पर केंद्रित है।
- केंद्र के लिए ₹1 करोड़ की राशि “Endangered Species Conservation Corpus Fund” से स्वीकृत की गई है।
- परियोजना में सालिम अली पक्षी विज्ञान और प्राकृतिक इतिहास केंद्र, नेचर कंज़र्वेशन फाउंडेशन, वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और IUCN के हॉर्नबिल विशेषज्ञ समूह जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों का सहयोग लिया जाएगा।
- इससे पहले तमिलनाडु सरकार ने डुगोंग रिजर्व, नीलगिरी तहर परियोजना, स्लेंडर लोरिस संरक्षण केंद्र और AI-संचालित हाथी निगरानी जैसे अभिनव प्रयास किए हैं।
निष्कर्ष
अनामलाई टाइगर रिजर्व में हॉर्नबिल संरक्षण केंद्र की स्थापना केवल पक्षी संरक्षण की दिशा में एक पहल नहीं, बल्कि जैव विविधता, पारिस्थितिक संतुलन और सामुदायिक भागीदारी को एक साथ जोड़ने वाला दृष्टिकोण है। यह पहल पश्चिमी घाट जैसे संवेदनशील पारिस्थितिक क्षेत्रों में दीर्घकालिक संरक्षण परिणामों की नींव रखेगी और भारत को वैश्विक वन्यजीव संरक्षण मानचित्र पर एक अग्रणी स्थान दिलाने में सहायक होगी।