भारतीय अर्थव्यवस्था बनी वैश्विक वृद्धि का प्रमुख इंजन: आरबीआई की फाइनेंशियल स्टेबिलिटी रिपोर्ट में खुलासा

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अपनी अर्धवार्षिक वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (FSR) में भारतीय अर्थव्यवस्था को वैश्विक आर्थिक चुनौतियों के बावजूद एक सशक्त और स्थिर वृद्धि का आधार बताया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मजबूत घरेलू मांग, सुदृढ़ पूंजी आधार और नीतिगत विवेकशीलता के चलते भारत वैश्विक विकास का एक प्रमुख प्रेरक बना हुआ है।
रिपोर्ट की मुख्य बातें
RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने अपने वक्तव्य में कहा:
- “वृद्धि की गति घरेलू कारकों और ठोस नीतियों से प्रेरित है।”
- “हालांकि, बाहरी झटके और मौसम से जुड़ी घटनाएं जोखिम उत्पन्न कर सकती हैं।”
- “मुद्रास्फीति के प्रति दृष्टिकोण आशावादी है और यह RBI के लक्ष्यों के अनुरूप बनी हुई है।”
बैंकिंग और वित्तीय प्रणाली की मजबूती
- नॉन-परफॉर्मिंग लोन (NPA): ऐतिहासिक रूप से न्यूनतम स्तर पर।
- पूंजी बफर: सभी वाणिज्यिक बैंकों के पास विपरीत परिस्थितियों में भी न्यूनतम पूंजी आवश्यकताओं से अधिक पूंजी उपलब्ध है।
- लाभप्रदता: बैंकों, NBFCs और कॉर्पोरेट्स की आय में निरंतर सुधार।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- FSR वर्ष में दो बार प्रकाशित होती है और देश की वित्तीय स्थिरता का आकलन करती है।
- मई 2025 में हुए सिस्टमिक रिस्क सर्वे (SRS) में 92% प्रतिभागियों ने वित्तीय प्रणाली में उच्च या समान स्तर का विश्वास जताया।
- सभी प्रमुख जोखिम समूह ‘मध्यम जोखिम’ श्रेणी में बने हुए हैं।
- NBFCs और बीमा कंपनियां भी मजबूत पूंजी और परिसंपत्ति गुणवत्ता के साथ स्थिर स्थिति में हैं।
प्रमुख जोखिम
- भूराजनीतिक तनाव (जैसे युद्ध या वैश्विक संघर्ष)
- नीतिगत अनिश्चितता और वैश्विक पूंजी बहिर्वाह
- व्यापार और टैरिफ में मंदी के कारण संभावित असर
- वैश्विक सार्वजनिक ऋण का बढ़ना चिंता का विषय बना हुआ है
समग्र आर्थिक परिदृश्य
- वित्तीय बाजारों में स्थिरता और मौद्रिक नीति में सहयोगात्मक रवैया आर्थिक स्थिति को समर्थन दे रहे हैं।
- कॉर्पोरेट बैलेंस शीट्स सुदृढ़ हैं, जिससे समग्र आर्थिक स्थिरता को बल मिला है।
- परिस्थिति परीक्षणों (Stress Tests) में बैंकों, म्यूचुअल फंड्स, क्लीयरिंग कॉर्पोरेशंस की मजबूती की पुष्टि हुई है।
निष्कर्ष
आरबीआई की यह रिपोर्ट भारत की वित्तीय प्रणाली की सुदृढ़ता, नीतिगत स्थिरता और भविष्य की तैयारियों को दर्शाती है। जहां वैश्विक स्तर पर अस्थिरता और जोखिम बढ़ रहे हैं, वहीं भारत ने खुद को एक सशक्त और भरोसेमंद अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित किया है। हालांकि चुनौतियां अभी बनी हुई हैं, लेकिन भारत की समग्र रणनीति और विवेकपूर्ण नीतियां इस संकट के समय में भी आशा की किरण प्रदान कर रही हैं।