बिहार में मतदाता सूची संशोधन पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी: आधार, वोटर आईडी और राशन कार्ड के उपयोग पर विचार

बिहार में मतदाता सूची संशोधन पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी: आधार, वोटर आईडी और राशन कार्ड के उपयोग पर विचार

बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) को लेकर उठी याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को चुनाव आयोग को इस प्रक्रिया से नहीं रोका, लेकिन आधार, वोटर आईडी और राशन कार्ड को दस्तावेज़ों की सूची में शामिल करने का सुझाव दिया।

चुनाव आयोग की प्रक्रिया और अदालत की टिप्पणियाँ

जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जॉयमाल्य बागची की अवकाशकालीन पीठ ने स्पष्ट किया कि वे संवैधानिक संस्था के कामकाज में हस्तक्षेप नहीं करेंगे, लेकिन आयोग जो कार्य कर रहा है, उसे कानून के अनुरूप ही करना होगा।
चुनाव आयोग के वकील राकेश द्विवेदी ने बताया कि दस्तावेज़ों की सूची 11 है, लेकिन यह अंतिम नहीं है। इस पर न्यायालय ने कहा कि यदि आधार, वोटर आईडी और राशन कार्ड को अस्वीकार किया जाए, तो उसके कारण दिए जाएँ।

दस्तावेज़ों की वैधता पर बहस

याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि इस प्रक्रिया के तहत आधार कार्ड को स्वीकार नहीं किया जा रहा, जबकि यह पहचान का आधिकारिक दस्तावेज़ है। वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने तर्क दिया कि आधार को कानून के तहत वैध माना गया है, लेकिन फिर भी आयोग इसे नहीं मान रहा।
इस पर न्यायालय ने पूछा कि जब आधार और वोटर आईडी जैसे दस्तावेज़ सरकार द्वारा मान्य हैं, तो आयोग इन्हें क्यों अस्वीकार कर रहा है?

नागरिकता और दस्तावेज़ी प्रमाण

वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने तर्क दिया कि आयोग नागरिकता का निर्धारण नहीं कर सकता — यह कार्य गृह मंत्रालय का है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि किसी मतदाता को सूची से हटाया जाना है, तो आयोग को पहले यह सिद्ध करना होगा कि वह नागरिक नहीं है।
चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि किसी को भी सूची से बिना वैध कारण नहीं हटाया जाएगा और प्रक्रिया पारदर्शी रखी जा रही है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR): यह मतदाता सूची को नए सिरे से तैयार करने की प्रक्रिया है जिसमें घर-घर जाकर सत्यापन किया जाता है।
  • आधार कार्ड: पहचान का प्रमाण है, लेकिन नागरिकता का नहीं; UIDAI द्वारा जारी किया जाता है।
  • EPIC कार्ड (वोटर आईडी): चुनाव आयोग द्वारा जारी किया गया आधिकारिक पहचान पत्र है।
  • राशन कार्ड: राज्य सरकार द्वारा जारी पहचान और निवास का प्रमाण है, अक्सर गरीब तबकों के लिए।

प्रक्रिया का अगला चरण

न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई 28 जुलाई के लिए निर्धारित की है और चुनाव आयोग को 21 जुलाई तक जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। इस दौरान आयोग मतदाता सूची पुनरीक्षण की प्रक्रिया को जारी रख सकता है।
बिहार जैसे बड़े राज्य में चुनाव से ठीक पहले की जा रही इस व्यापक प्रक्रिया की समयसीमा और वैधता को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। चुनाव आयोग को चाहिए कि वह पारदर्शिता और कानून की पूर्ण पालना के साथ प्रक्रिया को आगे बढ़ाए, जिससे मतदाताओं का विश्वास बना रहे और लोकतंत्र की नींव मजबूत हो।

Originally written on July 12, 2025 and last modified on July 12, 2025.

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