फसल की निगरानी के लिए CROPIC अध्ययन: किसानों को मिलेगा त्वरित मुआवजा और राहत

कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा हाल ही में घोषित CROPIC पहल, भारतीय कृषि क्षेत्र में डिजिटल नवाचार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है। यह अध्ययन कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) आधारित मॉडल और क्षेत्रीय फोटो के माध्यम से फसलों की स्थिति की निगरानी और फसल क्षति के मूल्यांकन के लिए तैयार किया गया है।

CROPIC क्या है और यह कैसे काम करेगा?

CROPIC का पूर्ण रूप है – Collection of Real Time Observations & Photo of Crops। इस अध्ययन के तहत, खेतों की तस्वीरें एक फसल चक्र के दौरान चार से पांच बार ली जाएंगी। इन तस्वीरों का उपयोग फसल की सेहत और बीच मौसम में होने वाले संभावित नुकसान का आकलन करने के लिए किया जाएगा। शुरुआत में यह अध्ययन खरीफ 2025 और रबी 2025-26 सीजन के लिए किया जाएगा।
CROPIC के तहत एक मोबाइल एप्लिकेशन का उपयोग करके किसान स्वयं खेत की तस्वीरें अपलोड करेंगे। इन तस्वीरों का विश्लेषण AI आधारित क्लाउड प्लेटफॉर्म द्वारा किया जाएगा जिसमें फसल का प्रकार, उसकी अवस्था, क्षति और क्षति की मात्रा का विश्लेषण किया जाएगा। साथ ही, एक वेब-आधारित डैशबोर्ड के माध्यम से यह डेटा अधिकारियों को प्रदर्शित किया जाएगा।

CROPIC का उद्देश्य और उपयोग

इस अध्ययन का मुख्य उद्देश्य प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के तहत फसल क्षति के मूल्यांकन की प्रक्रिया को स्वचालित करना और किसानों को समय पर बीमा क्लेम का भुगतान सुनिश्चित करना है। यह फसल की स्थिति की निगरानी के साथ-साथ एक समृद्ध “क्रॉप सिग्नेचर” डेटाबेस तैयार करने में भी सहायक होगा।
AI तकनीक के प्रयोग से न केवल समय की बचत होगी, बल्कि मुआवजा प्रक्रिया अधिक निष्पक्ष और पारदर्शी हो सकेगी। इससे प्रशासनिक लागत में भी कटौती संभव है और किसानों को वास्तविक नुकसान पर आधारित त्वरित राहत मिल सकेगी।

जमीन पर CROPIC का क्रियान्वयन

इस परियोजना को प्रारंभिक चरण में कम से कम 50 जिलों में लागू किया जाएगा। ये जिले विभिन्न कृषि-जलवायु क्षेत्रों से चुने जाएंगे और प्रत्येक जिले में तीन अधिसूचित प्रमुख फसलों को शामिल किया जाएगा। अधिसूचित फसलें वे होती हैं जो PMFBY जैसी बीमा योजनाओं के अंतर्गत आती हैं।
कृषि मंत्रालय ने 5 जून को इस अध्ययन को संचालित करने के लिए इच्छुक एजेंसियों से प्रस्ताव मांगे हैं। इन पायलट अध्ययनों के सफल क्रियान्वयन के बाद, 2026 से यह परियोजना पूरे देश में सभी प्रमुख फसलों पर लागू की जाएगी

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • CROPIC का अर्थ है: Collection of Real Time Observations & Photo of Crops
  • इस परियोजना की शुरुआत खरीफ 2025 सीजन से होगी और इसका राष्ट्रीय विस्तार 2026 से होगा।
  • परियोजना का वित्तपोषण PMFBY के तहत Fund for Innovation and Technology (FIAT) से किया जाएगा, जिसकी कुल राशि ₹825 करोड़ है।
  • यह अध्ययन कंप्यूटर विज़न और फोटो-विश्लेषण मॉडल के माध्यम से फसल नुकसान के आकलन को स्वचालित करेगा।

CROPIC जैसे डिजिटल नवाचार न केवल भारत की कृषि व्यवस्था को आधुनिक बना रहे हैं, बल्कि किसानों को समय पर मुआवजा और सहायता प्रदान करने में भी क्रांतिकारी बदलाव ला रहे हैं। यदि यह योजना सफल होती है, तो यह भारत के कृषि बीमा ढांचे को अधिक भरोसेमंद और प्रभावी बना सकती है।

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