पैंगोंग त्सो (Pangong Tso) पर चीन की निर्माण गतिविधियाँ : मुख्य बिंदु
पिछले दो महीनों में यह देखा गया है कि चीन पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारे को जोड़ने वाले पुल का निर्माण कर रहा है।
मुख्य बिंदु
- इस पुल का निर्माण चीन की तरफ हो रहा है। हालांकि, यह वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के भारत के दावे से 25-30 किमी दूर है।
- यह पुल पैंगोंग झील के उत्तर और दक्षिण किनारे को जोड़ता है, जिससे चीनी सेना को दोनों पक्षों तक त्वरित पहुंच मिलती है।
पृष्ठभूमि
अगस्त 2020 में, भारत ने दक्षिणी तट पर कैलाश रेंज पर प्रमुख ऊंचाइयों पर कब्जा कर लिया था। इसने सैनिकों को एक रणनीतिक लाभ प्रदान किया। तनाव कम करने के लिए “mutual pullback plan” के बाद भारत ऊंचाई से पीछे हट गया था।
चीन के लिए पुल का महत्व
इस पुल का निर्माण महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह पुल त्वरित प्रेरण (quick induction) की सुविधा प्रदान करेगा क्योंकि यह पैंगोंग झील पर विवादित क्षेत्रों तक पहुंचने की दूरी और समय को कम करेगा। यह दोनों किनारों को जोड़ेगा और इस प्रकार किसी भी खतरे का मुकाबला करने के लिए चीनी सेना को दोनों ओर से आसानी से पहुंचने की अनुमति देगा।
नया सीमा कानून
- 1 जनवरी, 2021 को चीन ने अपना नया सीमा कानून लागू किया। नया कानून अपनी सीमा रक्षा, सीमाओं के पास बुनियादी ढांचे और गांवों के विकास को मजबूत करने का आह्वान करता है।
- यह उन शर्तों को भी निर्धारित करता है, जिनके तहत सीमावर्ती क्षेत्रों में आपातकालीन उपाय किए जा सकते हैं।
भारत की चिंताएं
जब से लद्दाख में तनाव शुरू हुआ है, मई 2021 में चीन ने इस सेक्टर में करीब 50,000 सैनिकों की तैनाती बढ़ा दी है। लद्दाख के अलावा, चीन सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश की सीमा से लगे पूर्वी सेक्टर में आक्रामक कदम उठा रहा है। हाल ही में चीन ने अपने नक्शे में अरुणाचल प्रदेश के 15 स्थानों का नाम भी बदल दिया था।
चीन LAC पर तैनाती और निर्माण क्यों बढ़ा रहा है?
इसके संभावित कारण निम्नलिखित हैं:
- अपनी सीमा के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने का भारत का निर्णय (जैसे- दरबुक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी सड़क का निर्माण)।
- अमेरिका की ओर भारत का झुकाव (जैसे- क्वाड)।
- चीन गिलगित-बाल्टिस्तान पर भारत के दावे को चीन के चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) प्रोजेक्ट पर हमला मानता है।