पृथ्वी की तेज़ होती गति: 9 जुलाई बना अब तक का सबसे छोटा दिन

पृथ्वी की घूमने की गति में अप्रत्याशित बढ़ोतरी देखी जा रही है, जिससे इस वर्ष 9 जुलाई को अब तक का सबसे छोटा दिन रिकॉर्ड किया गया। यह दिन सामान्य से लगभग 1.6 मिलीसेकंड छोटा रहा, और इसका मुख्य कारण चंद्रमा की स्थिति को माना जा रहा है। वैज्ञानिकों का कहना है कि जुलाई और अगस्त में ऐसे और भी छोटे दिन देखने को मिल सकते हैं।
क्यों छोटा हो रहा है दिन?
पृथ्वी की घूमने की गति स्थिर नहीं होती। मौसमी बदलाव, भूकंप, हिमनद पिघलना, समुद्री ज्वार और चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण प्रभाव जैसे अनेक कारण पृथ्वी के घूर्णन को प्रभावित करते हैं। चंद्रमा की स्थिति फिलहाल ऐसी है कि वह पृथ्वी की गति को हल्का सा तेज़ कर रहा है, जिससे दिन की लंबाई कुछ मिलीसेकंड घट रही है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण: “नेगेटिव लीप सेकंड” की तैयारी
पृथ्वी की गति में इस तरह के बदलावों से समय मापन में विसंगति उत्पन्न होती है। हमारे एटॉमिक क्लॉक्स (परमाणु घड़ियाँ) अत्यंत सटीक होती हैं, लेकिन पृथ्वी की गति में बदलाव से ये एस्ट्रोनॉमिकल टाइम (UT1) से असमंजस में आ जाती हैं।
अब तक समय को संतुलित करने के लिए लीप सेकंड जोड़े जाते रहे हैं — यानी UTC में एक सेकंड जोड़ा जाता है जब पृथ्वी की गति धीमी हो। लेकिन पहली बार वैज्ञानिकों को एक “नेगेटिव लीप सेकंड” जोड़ने की योजना बनानी पड़ रही है — यानी घड़ी से एक सेकंड घटाना पड़ेगा। यह ऐतिहासिक बदलाव 2029 में हो सकता है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- लीप सेकंड प्रणाली की शुरुआत 1970 के दशक में हुई थी।
- अब तक कुल 27 पॉज़िटिव लीप सेकंड जोड़े जा चुके हैं।
- नेगेटिव लीप सेकंड आज तक कभी नहीं जोड़ा गया है — यह पहला अवसर होगा।
- समय मापन का मानक Coordinated Universal Time (UTC) एटॉमिक घड़ियों पर आधारित है।
- पृथ्वी की वास्तविक गति का समय Universal Time (UT1) कहलाता है, जो पृथ्वी के अक्षीय घूर्णन पर आधारित होता है।
- IERS (International Earth Rotation and Reference Systems Service) पृथ्वी की गति पर नज़र रखता है और लीप सेकंड के फैसले लेता है।
क्या है इसके प्रभाव?
वैज्ञानिकों का कहना है कि यह स्थिति खतरनाक नहीं है, लेकिन तकनीकी और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यह एक बड़ा चुनौतीपूर्ण परिघटन है। समय मापन, उपग्रह संचार, GPS सिस्टम और इंटरनेट नेटवर्क जैसी अत्यधिक सटीक प्रणालियों को इस बदलाव के साथ समायोजित करना होगा।
निष्कर्ष
9 जुलाई का सबसे छोटा दिन केवल एक असामान्य खगोलीय घटना नहीं है, बल्कि यह हमारे समय मापन की प्रणाली को फिर से परिभाषित करने की दिशा में एक संकेत है। आने वाले वर्षों में समय की गणना और समायोजन में नए प्रयोग और तकनीकी नवाचार देखने को मिल सकते हैं, जो पृथ्वी और ब्रह्मांड की गति को और अधिक बारीकी से समझने में सहायक होंगे।