पूर्वोत्तर भारत के जिलों में एसडीजी प्रदर्शन में उल्लेखनीय सुधार: नीति आयोग की नवीनतम रिपोर्ट का विश्लेषण

नीति आयोग और पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय (MoDoNER) द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किए गए ‘पूर्वोत्तर क्षेत्र (NER) जिला सतत विकास लक्ष्य (SDG) सूचकांक 2023-24’ की दूसरी रिपोर्ट 7 जुलाई 2025 को जारी की गई। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) की तकनीकी सहायता से तैयार यह रिपोर्ट आठ पूर्वोत्तर राज्यों के 121 जिलों की सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय प्रदर्शन का व्यापक मूल्यांकन प्रस्तुत करती है।
समग्र प्रगति और प्रमुख उपलब्धियाँ
रिपोर्ट में कहा गया है कि 85% जिलों के समग्र स्कोर में वृद्धि दर्ज की गई है। मिजोरम, सिक्किम और त्रिपुरा के सभी जिले ‘फ्रंट रनर’ श्रेणी में आ गए हैं, यानी उन्होंने 65 से ऊपर का स्कोर हासिल किया है। कोई भी जिला ‘अस्पिरेंट’ (50 से कम स्कोर) या ‘अचीवर’ (100 स्कोर) श्रेणी में नहीं है।
- ह्नाथियाल (मिजोरम): पूरे पूर्वोत्तर में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाला जिला, स्कोर 81.43।
- लॉन्गडिंग (अरुणाचल प्रदेश): सबसे कम स्कोरिंग जिला, 58.71।
- सिक्किम: सभी जिलों में सर्वाधिक समान और स्थिर प्रदर्शन (अंतर केवल 5.5 अंक)।
- नगालैंड: टॉप 10 जिलों में तीन जिले शामिल, प्रदर्शन में तेजी।
प्रमुख क्षेत्रों में सुधार
- गुड हेल्थ एंड वेलबीइंग: 93 जिलों में स्कोर में वृद्धि।
- असम के सभी जिलों ने ‘शून्य भूख’, ‘गुणवत्तापूर्ण शिक्षा’, ‘स्वच्छ जल और स्वच्छता’ तथा ‘सभ्य कार्य और आर्थिक वृद्धि’ जैसे संकेतकों पर सुधार दर्ज किया।
राज्यों के भीतर उच्चतम और न्यूनतम स्कोर
- अरुणाचल प्रदेश: लोअर दिबांग वैली (73.36) – लॉन्गडिंग (58.71)
- असम: डिब्रूगढ़ (74.29) – साउथ सालमारा-मनकाचर (59.71)
- मणिपुर: इम्फाल वेस्ट (73.21) – फेरजोल (59.71)
- मेघालय: ईस्ट खासी हिल्स (73.00) – ईस्ट जयंतिया हिल्स (63.00)
- मिजोरम: ह्नाथियाल (81.43) – लॉन्गतलाई (67.71)
- नगालैंड: मोकोकचुंग (78.43) – जुन्हेबोटो (63.36)
- सिक्किम: गंगटोक (76.64) – ग्यालशिंग (71.14)
- त्रिपुरा: गोमती (78.79) – धलाई (72.29)
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- एसडीजी सूचकांक की पहली रिपोर्ट अगस्त 2021 में जारी हुई थी।
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SDG सूचकांक स्कोर चार श्रेणियों में बाँटा गया है:
- Achiever: स्कोर 100
- Front Runner: 65-99
- Performer: 50-64
- Aspirant: <50
- रिपोर्ट में ‘अष्टलक्ष्मी’ अवधारणा का उल्लेख करते हुए पूर्वोत्तर को भारत की विकास यात्रा का केंद्र बताया गया।
- यह रिपोर्ट जिलों के लिए साक्ष्य-आधारित नीति निर्माण, संसाधन आवंटन और निगरानी का महत्वपूर्ण उपकरण है।
पूर्वोत्तर क्षेत्र का यह प्रदर्शन स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि सतत विकास लक्ष्यों की दिशा में ठोस नीतिगत प्रयास, स्थानीयकरण कार्यक्रम और राष्ट्रीय योजनाओं का असर जमीन पर दिखने लगा है। इस सूचकांक से यह भी साबित होता है कि क्षेत्रीय विकास में सटीक डेटा और पारदर्शी मूल्यांकन प्रणाली की क्या भूमिका हो सकती है।