पूर्वी कांगो संकट के चलते रवांडा ने छोड़ा मध्य अफ्रीकी देशों का संगठन ECCAS

पूर्वी कांगो में M23 विद्रोहियों की गतिविधियों और क्षेत्रीय कूटनीतिक तनाव के बीच रवांडा ने ‘इकोनॉमिक कम्युनिटी ऑफ सेंट्रल अफ्रीकन स्टेट्स’ (ECCAS) से हटने की घोषणा कर दी है। यह निर्णय उस समय आया जब संगठन ने रवांडा को अपनी अध्यक्षता सौंपने से इनकार कर दिया और इसके स्थान पर इक्वेटोरियल गिनी को इस पद पर बनाए रखा। रवांडा ने इस कदम को अपने अधिकारों का उल्लंघन बताया और कांगो पर संगठन का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया।

ECCAS में अध्यक्षता विवाद से उत्पन्न टकराव

ECCAS की स्थापना 1980 के दशक में क्षेत्रीय सुरक्षा और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए की गई थी। 11 सदस्य देशों वाला यह संगठन अब एक गंभीर आंतरिक विवाद का सामना कर रहा है। रवांडा को उम्मीद थी कि उसे इस वर्ष संगठन की अध्यक्षता सौंपी जाएगी, लेकिन यह पद इक्वेटोरियल गिनी को दे दिया गया। रवांडा के विदेश मंत्रालय ने इसे ECCAS के मूल सिद्धांतों के विपरीत बताया और कहा कि “ऐसे संगठन में बने रहने का कोई औचित्य नहीं है जिसका वर्तमान संचालन उसके मूल उद्देश्यों के विपरीत हो।”

कांगो की प्रतिक्रिया और क्षेत्रीय तनाव

कांगो के राष्ट्रपति फेलिक्स त्सेकेदी के कार्यालय ने ECCAS शिखर सम्मेलन के बाद बयान जारी कर कहा कि सदस्य देशों ने रवांडा द्वारा डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो (DRC) पर किए गए “आक्रमण” को स्वीकार किया और रवांडा से अपनी सेना कांगो की भूमि से हटाने का आदेश दिया। M23 विद्रोहियों ने इस वर्ष पूर्वी कांगो के दो प्रमुख शहरों पर कब्जा कर लिया था, जिससे हजारों लोगों की जान गई और भारी संख्या में लोग विस्थापित हुए।

रवांडा की स्थिति और अंतरराष्ट्रीय भूमिका

रवांडा ने बार-बार M23 को समर्थन देने से इनकार किया है और दावा किया है कि उसके सैनिक कांगो की सेना और 1994 के रवांडा नरसंहार से जुड़े हुतु मिलिशिया से आत्मरक्षा में कार्रवाई कर रहे हैं। यह क्षेत्र संघर्ष के साथ-साथ खनिज संसाधनों का भी केंद्र है—यहां कोबाल्ट, टैंटालम, लिथियम, कॉपर और सोना जैसे महत्त्वपूर्ण खनिज पाए जाते हैं, जो वैश्विक तकनीकी और ऊर्जा उद्योग के लिए आवश्यक हैं।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • ECCAS की स्थापना 1983 में क्षेत्रीय सहयोग के लिए की गई थी।
  • M23 विद्रोही समूह की गतिविधियों ने पूर्वी कांगो में गंभीर मानवीय संकट को जन्म दिया है।
  • 1994 के रवांडा नरसंहार में लगभग 10 लाख तुत्सी और उदारवादी हुतु मारे गए थे।
  • कांगो अफ्रीका के सबसे खनिज समृद्ध क्षेत्रों में से एक है और यह वैश्विक निवेशकों के लिए रणनीतिक महत्त्व रखता है।

ECCAS से रवांडा का बाहर निकलना न केवल क्षेत्रीय राजनीति में एक बड़ा मोड़ है, बल्कि यह मध्य अफ्रीका में शांति प्रयासों के लिए भी एक गंभीर चुनौती पेश करता है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए यह एक निर्णायक क्षण है, जहाँ कूटनीति, शांति और विकास के बीच संतुलन साधना अत्यंत आवश्यक हो गया है।

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