पीएम ई-ड्राइव के तहत इलेक्ट्रिक ट्रकों को मिलेगा ₹9.6 लाख तक सब्सिडी: भारत की हरित लॉजिस्टिक्स की ओर बढ़ता कदम

केंद्रीय भारी उद्योग एवं इस्पात मंत्री एच. डी. कुमारस्वामी ने शुक्रवार को पीएम ई-ड्राइव (PM E-DRIVE) पहल के तहत इलेक्ट्रिक ट्रकों पर ग्राहकों को प्रत्यक्ष प्रोत्साहन देने वाली पहली योजना की शुरुआत की। यह योजना भारत की हरित मालवहन और न्यूट्रल-कार्बन अर्थव्यवस्था की दिशा में एक निर्णायक कदम मानी जा रही है।
योजना के मुख्य बिंदु
- कुल बजट: ₹10,900 करोड़
- इलेक्ट्रिक ट्रकों के लिए आवंटित राशि: ₹500 करोड़
- प्रोत्साहन राशि: अधिकतम ₹9.6 लाख प्रति ट्रक
- लक्ष्य: 5,600 ई-ट्रकों को समर्थन
- विशेष आरक्षण: दिल्ली के लिए 1,100 ई-ट्रकों हेतु ₹100 करोड़
पात्रता और तकनीकी विवरण
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कैटेगरी N2 और N3:
- N2: GVW 3.5 टन से 12 टन
- N3: GVW 12 टन से 55 टन
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वारंटी मानक:
- बैटरी: 5 वर्ष या 5 लाख किमी
- वाहन और मोटर: 5 वर्ष या 2.5 लाख किमी
- पुराने डीज़ल ट्रकों की स्क्रैपिंग अनिवार्य होगी ताकि सब्सिडी का लाभ मिल सके।
लाभार्थी क्षेत्र
- बंदरगाह, स्टील, सीमेंट और लॉजिस्टिक्स जैसे भारी उद्योग प्रमुख लाभार्थी होंगे।
- SAIL ने अगले दो वर्षों में 150 ई-ट्रक खरीदने का संकल्प लिया है और अपने वाहनों में 15% इलेक्ट्रिक ट्रक सुनिश्चित करने का लक्ष्य तय किया है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- PM E-DRIVE: भारत सरकार की इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहित करने वाली प्रमुख योजना।
- FAME योजना: इससे पहले कोई इलेक्ट्रिक ट्रक प्रोत्साहन नहीं था; FAME केवल निर्माता को लाभ देता है, ग्राहक को नहीं।
- PLI ऑटो स्कीम: उत्पादन स्तर पर प्रोत्साहन देने वाली योजना।
- CMVR: केंद्रीय मोटर वाहन नियम, जिसके तहत वाहन श्रेणियां परिभाषित की गई हैं।
- CESL: भारत में अब तक की सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक बस निविदा जारी करने वाली एजेंसी।
मंत्रालय के आँकड़े और अपडेट
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2W और 3W में सफलता:
- 3 व्हीलर लक्ष्य: 2 लाख → अब तक 1.6 लाख समर्थित
- 2 व्हीलर लक्ष्य: 24.5 लाख → अब तक 12 लाख समर्थित
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ई-बसें स्वीकृत:
- बेंगलुरु: 4,500
- दिल्ली: 2,800
- हैदराबाद: 2,000
- अहमदाबाद: 1,000
- सूरत: 600
नया क्षेत्र: इलेक्ट्रिक एंबुलेंस
- फोर्स मोटर्स द्वारा एक ई-एंबुलेंस का होमोलोगेशन पूरा हुआ है।
- दिसंबर 2025 तक व्यावसायिक उत्पादन और नई गाइडलाइंस की उम्मीद।
निष्कर्ष
यह योजना भारत में भारी वाहन क्षेत्र में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को बढ़ावा देने की दिशा में पहला सीधा ग्राहक-केंद्रित प्रयास है। इससे न केवल Make in India और Green Jobs को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि लॉजिस्टिक्स लागत में कमी, प्रदूषण में गिरावट और 2030 तक न्यूट्रल कार्बन लक्ष्य की दिशा में भी भारत तेज़ी से बढ़ सकेगा।