पाकिस्तानी खिलाड़ियों को भारत में प्रवेश की अनुमति: ओलंपिक चार्टर की मजबूरी या कूटनीतिक संतुलन?

पहालगाम में हुए आतंकवादी हमलों के बाद भारत सरकार ने 24 अप्रैल 2025 को पाकिस्तानी नागरिकों के लिए वीज़ा सेवाएं तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दी थीं। इससे भारत में आयोजित होने वाले बहुराष्ट्रीय खेल आयोजनों में पाकिस्तानी खिलाड़ियों की भागीदारी पर संकट छा गया था। हालांकि, खेल मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि पाकिस्तान के खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए भारत आ सकेंगे।

बहुराष्ट्रीय आयोजनों में भागीदारी की स्वीकृति

खेल मंत्रालय के अनुसार, भारत-पाक द्विपक्षीय खेल संबंधों पर रोक जारी रहेगी, लेकिन बहुराष्ट्रीय टूर्नामेंटों में पाकिस्तानी खिलाड़ियों की भागीदारी पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा। 2025 में भारत में हॉकी, वेटलिफ्टिंग, स्विमिंग, बैडमिंटन, स्क्वैश और एथलेटिक्स जैसे लगभग दस खेलों में दर्जनभर से अधिक अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट आयोजित होने हैं।
हालांकि, क्रिकेट को इससे अलग रखा गया है क्योंकि दोनों देशों के बीच 2027 तक सभी द्विपक्षीय क्रिकेट मुकाबले तटस्थ स्थलों पर खेले जाएंगे। पाकिस्तान के स्टार जैवेलिन थ्रोअर अर्शद नदीम को भी ‘नीरज चोपड़ा क्लासिक’ से बाहर रखा गया क्योंकि वह एक आमंत्रण-आधारित इवेंट था।

2019 की सीख और ओलंपिक चार्टर की भूमिका

2019 में पुलवामा हमलों के बाद भारतीय सरकार ने पाकिस्तानी निशानेबाजों को वीज़ा देने से इनकार कर दिया था, जिससे अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) ने भारत पर ओलंपिक चार्टर के उल्लंघन का आरोप लगाया। इस घटनाक्रम के बाद IOC ने भारत को चेतावनी दी थी कि यदि सभी देशों के खिलाड़ियों को भागीदारी की गारंटी नहीं दी गई, तो भविष्य में भारत को अंतरराष्ट्रीय खेलों की मेज़बानी से वंचित किया जा सकता है।
IOC के नियम 44 के अनुसार, किसी भी देश के खिलाड़ियों को नस्ल, धर्म, राजनीतिक कारणों या किसी अन्य भेदभाव के आधार पर प्रतियोगिता से बाहर नहीं किया जा सकता। इसी सिद्धांत के तहत IOC ने पहले कुवैत और मलेशिया जैसे देशों पर भी कार्रवाई की थी जब उन्होंने इजरायली खिलाड़ियों को वीज़ा देने से मना कर दिया था।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • भारत 2036 ओलंपिक की मेज़बानी की दौड़ में है और IOC के नियमों का पालन इसके लिए अनिवार्य है।
  • IOC का नियम 44: राष्ट्रीय ओलंपिक समितियाँ यह सुनिश्चित करें कि किसी भी खिलाड़ी को किसी भेदभाव के कारण बाहर नहीं किया जाए।
  • 2019 में पुलवामा हमले के बाद भारत ने पाकिस्तानी निशानेबाजों को वीज़ा देने से मना कर दिया था, जिससे IOC ने भारत पर पाबंदी लगाने की धमकी दी थी।
  • अमेरिका सहित कई देश भी खिलाड़ियों को राजनीतिक प्रतिबंधों से छूट देते हैं, जैसे 2026 फीफा वर्ल्ड कप और 2028 लॉस एंजेलिस ओलंपिक।

अंतरराष्ट्रीय दबाव और भारत की रणनीतिक संतुलना

भारत की यह नीति केवल खेल भावना का प्रदर्शन नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मान्यता और ओलंपिक जैसी वैश्विक प्रतियोगिताओं की मेज़बानी के लिए कूटनीतिक संतुलन साधने का प्रयास भी है। यदि भारत पाकिस्तानी खिलाड़ियों को वीज़ा देने से इनकार करता, तो यह 2036 ओलंपिक की मेज़बानी की उसकी संभावनाओं को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा सकता था।
IOC की हालिया बैठक में भी यह स्पष्ट किया गया कि सरकारों द्वारा खिलाड़ियों पर लगाए गए राजनीतिक प्रतिबंध खेलों की स्वतंत्रता और निष्पक्षता पर आघात करते हैं। ऐसे में भारत ने विवेकपूर्ण निर्णय लेते हुए खेल और राजनीति को अलग रखते हुए वैश्विक खेल मंच पर अपनी स्थिति को सुदृढ़ किया है।
यह निर्णय दर्शाता है कि वैश्विक मंच पर प्रतिष्ठा बनाए रखने के लिए भारत को अपने घरेलू निर्णयों और अंतरराष्ट्रीय नियमों के बीच संतुलन बनाना आवश्यक है। खेल, अब केवल मैदान की बात नहीं रहे, वे कूटनीतिक संबंधों और वैश्विक छवि का भी महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुके हैं।

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