पश्चिमी घाट से खोजा गया नया लाइकेन: Allographa effusosoredica ने जैव विविधता और सहजीविता के अध्ययन को दी नई दिशा

भारतीय वैज्ञानिकों की एक टीम ने पश्चिमी घाट की समृद्ध जैव विविधता से एक नई लाइकेन प्रजाति — Allographa effusosoredica — की खोज की है। इस खोज ने न केवल लाइकेन विज्ञान में एक अहम मील का पत्थर जोड़ा है, बल्कि सहजीविता, अनुकूलन और आनुवंशिक जटिलताओं की दुनिया में भी एक नई खिड़की खोली है।

लाइकेन: दो जीवों की सहजीव जीवन-रचना

लाइकेन वास्तव में एक जीव नहीं, बल्कि दो या अधिक जीवों की गहन सहजीव संरचना होते हैं — एक कवक जो संरचना और सुरक्षा देता है, और एक फोटोबायोन्ट (अक्सर हरा शैवाल या सायनोबैक्टीरिया), जो प्रकाश संश्लेषण द्वारा भोजन बनाता है। लाइकेन मिट्टी निर्माण, कीटों को भोजन, और पर्यावरणीय संकेतक (बायोइंडिकेटर) के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

खोज की वैज्ञानिक पृष्ठभूमि

यह खोज पुणे स्थित MACS-आघारकर रिसर्च इंस्टीट्यूट द्वारा की गई है, जो विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST), भारत सरकार के अधीन एक स्वायत्त संस्थान है। शोधकर्ताओं ने पारंपरिक टैक्सोनॉमी के साथ आधुनिक आणविक तकनीकों का उपयोग किया, जिससे भारत में Allographa जीनस के लिए नई आणविक मानक स्थापन हुए।
नई प्रजाति एक क्रस्टोज़ लाइकेन है, जिसमें विशिष्ट “effuse soredia” और दुर्लभ रासायनिक यौगिक (नॉर्स्टिक्टिक एसिड) पाया गया है। यह यौगिक समान दिखने वाली अन्य प्रजातियों में दुर्लभ होता है।

डीएनए और सहजीवी शैवाल की पहचान

इस अध्ययन में लाइकेन के कवकीय और शैवाल दोनों भागों के डीएनए अनुक्रमण (mtSSU, LSU, RPB2 और ITS) किया गया। इससे A. effusosoredica को Allographa xanthospora के निकट दर्शाया गया। इसकी आकृति Graphis glaucescens से मिलती-जुलती है, जिससे ग्राफिडेसी (Graphidaceae) कुल की जेनेटिक सीमाओं पर नए प्रश्न खड़े होते हैं।
इसके शैवाल भाग की पहचान Trentepohlia प्रजाति के रूप में की गई है, जो उष्णकटिबंधीय लाइकेन में दुर्लभ मानी जाती है। यह खोज फोटोबायोन्ट विविधता को समझने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • Allographa effusosoredica भारत से रिपोर्ट की गई Allographa की 53वीं और पश्चिमी घाट से 22वीं प्रजाति है।
  • यह पहली भारतीय Allographa प्रजाति है जिसे आणविक स्तर पर विश्लेषण कर रिपोर्ट किया गया है।
  • लाइकेन पारिस्थितिक संकेतक (Bioindicator) होते हैं और वायुमंडलीय प्रदूषण के प्रति संवेदनशील होते हैं।
  • यह शोध अनुसंधान राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (ANRF) द्वारा प्रायोजित परियोजना का हिस्सा है।

यह अध्ययन सहजीवी जीवन रूपों की जटिलताओं को समझने, भारतीय जैव विविधता सूची में नए पृष्ठ जोड़ने, और देश के जैव विविधता हॉटस्पॉट्स में आणविक अनुसंधान को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। वैज्ञानिकों का यह साझा प्रयास यह दर्शाता है कि प्रकृति में छिपी जटिलताएं आज भी खोज की प्रतीक्षा कर रही हैं।

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