पश्चिमी घाट में खोजा गया नया तितली प्रजाति ज़ोग्राफेटस मैथ्यूई: जैव विविधता में अनोखा योगदान

पश्चिमी घाट में खोजा गया नया तितली प्रजाति ज़ोग्राफेटस मैथ्यूई: जैव विविधता में अनोखा योगदान

भारत के जैव विविधता से भरपूर पश्चिमी घाट में तितलियों की एक नई प्रजाति की खोज की गई है। ‘ज़ोग्राफेटस मैथ्यूई’ नाम की यह नई तितली प्रजाति स्किपर वर्ग (Hesperiidae) से संबंधित है और इसे भारत की पांचवीं तथा ज़ोग्राफेटस वॉटसन वंश (Zographetus Watson, 1893) की 15वीं ज्ञात प्रजाति के रूप में वर्गीकृत किया गया है। यह खोज जैव विविधता के संरक्षण और अध्ययन में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जा रही है।

खोज की पृष्ठभूमि और पहचान की प्रक्रिया

इस प्रजाति की खोज ट्रावनकोर नेचर हिस्ट्री सोसाइटी (TNHS), इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल रिसर्च, इकोलॉजी एंड कंजर्वेशन (INTREC) तिरुवनंतपुरम और भारतीय प्राणी सर्वेक्षण (ZSI) के वैज्ञानिकों द्वारा की गई। प्रारंभ में, शोधकर्ताओं ने इसे ज़ोग्राफेटस ओगायजिया समझा — एक व्यापक रूप से ज्ञात प्रजाति — लेकिन विस्तृत पंखों की नसों और जननांग संरचनाओं के अध्ययन से यह स्पष्ट हुआ कि यह एक पूरी तरह नई प्रजाति है।
यह खोज प्रतिष्ठित जर्नल Entomon में प्रकाशित की गई है।

विशेष लक्षण और पारिस्थितिकी

  • यह प्रजाति विशेष रूप से केरल के निम्न ऊँचाई वाले वनों (600 मीटर से कम) में पाई गई है, जहां Aganope thyrsiflora नामक पौधे पर इसके लार्वा देखे गए।
  • ज़ोग्राफेटस मैथ्यूई में नर के अग्रपंखों पर सूजे हुए शिराओं जैसे द्वितीयक लैंगिक गुण पाए जाते हैं, साथ ही पंखों के नीचे पीले-ओकर रंग की स्केलिंग और एक विशेष बाल गुच्छा भी देखा गया है।
  • इस प्रजाति का नाम प्रसिद्ध भारतीय कीटविज्ञानी डॉ. जॉर्ज मैथ्यू के सम्मान में रखा गया है, और इसका सामान्य नाम “सह्याद्रि स्पॉटेड फ्लिटर” प्रस्तावित किया गया है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • ज़ोग्राफेटस मैथ्यूई पश्चिमी घाट की स्थानिक (endemic) तितली प्रजाति है, यानी यह केवल इसी क्षेत्र में पाई जाती है।
  • यह Hesperiidae परिवार से संबंधित स्किपर तितली है, जो अपनी तेज उड़ान के लिए जानी जाती है।
  • प्रजाति का नाम ज़ोग्राफेटस वॉटसन वंश में पंजीकृत 15वीं और भारत में दर्ज पाँचवीं प्रजाति है।
  • यह खोज पश्चिमी घाट की पारिस्थितिकी विविधता के संरक्षण के लिए एक वैज्ञानिक संकेतक के रूप में महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

इस दुर्लभ खोज से यह सिद्ध होता है कि भारत में अभी भी कई अदृश्य जैव विविधताएँ मौजूद हैं, जिन्हें वैज्ञानिक दृष्टि और संरक्षण के प्रयासों के माध्यम से उजागर किया जा सकता है। ज़ोग्राफेटस मैथ्यूई की खोज एक उदाहरण है कि क्यों पश्चिमी घाट जैव विविधता का एक अमूल्य खजाना है, जिसकी रक्षा करना हमारी साझा जिम्मेदारी है।

Originally written on July 14, 2025 and last modified on July 14, 2025.

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