नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) के क्या कार्य है?

नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) के क्या कार्य है?

नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (National Company Law Appellate Tribunal – NCLAT) की स्थापना भारत सरकार द्वारा  कंपनी अधिनियम, 2013 (Companies Act, 2013) की धारा 410 के तहत 1 जून 2016 को की गयी थी। इसका गठन दिवाला और दिवालियापन सहिंता की धारा 61 के तहत नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) द्वारा पारित आदेशों के विरुद्ध अपील सुनने के लिए किया गया है। यह एक अर्ध न्यायिक निकाय  है, जिसकी कार्यवाही उच्च न्यायालय की तरह होती है लेकिन यह विशेष रूप से कॉर्पोरेट संबन्धित मामले तथा दिवालियापन से संबन्धित मामलों का निर्णय करता है।

मुख्य कार्य और अधिकार क्षेत्र

NCLAT के प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं:

  1. NCLT के आदेशों के विरुद्ध अपील सुनना: कंपनियों से जुड़े मामलों, जैसे कि विलय, अधिग्रहण, बोर्ड विवाद आदि में दिए गए NCLT के निर्णयों पर पुनर्विचार करना।
  2. इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC), 2016 के तहत: NCLT द्वारा IBC के अंतर्गत दिए गए आदेशों (कॉर्पोरेट दिवालियापन प्रक्रिया आदि) के खिलाफ अपील सुनना।
  3. प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) के आदेशों के विरुद्ध अपील: अगर किसी पार्टी को लगता है कि भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग द्वारा दिया गया निर्णय अनुचित है, तो वह NCLAT में अपील कर सकता है।
  4. इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी बोर्ड ऑफ इंडिया (IBBI) के आदेशों के खिलाफ अपील: IBBI द्वारा रजिस्टर्ड पेशेवरों या संस्थानों पर लगाए गए दंडात्मक आदेशों के विरुद्ध NCLAT में अपील की जा सकती है।

न्यायिक संरचना और कार्यप्रणाली

NCLAT में अध्यक्ष (Chairperson) और तकनीकी एवं न्यायिक सदस्य होते हैं। यह ट्रिब्यूनल दिल्ली में स्थित है, हालांकि क्षेत्रीय पीठें अन्य शहरों में स्थापित की जा सकती हैं।इसके निर्णयों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है, बशर्ते मामला कानून की व्याख्या से जुड़ा हो।

व्यावसायिक विवाद समाधान में भूमिका

NCLAT का उद्देश्य लंबित वाणिज्यिक विवादों का शीघ्र और विशेषज्ञ समाधान देना है। यह कॉर्पोरेट मामलों में Ease of Doing Business को बढ़ावा देता है और निवेशकों के लिए एक विश्वसनीय न्यायिक मंच प्रदान करता है।

महत्वपूर्ण प्रभाव

  • त्वरित न्याय: पारंपरिक न्यायालयों की तुलना में त्वरित सुनवाई और निर्णय।
  • कॉर्पोरेट जवाबदेही: कंपनियों के गलत प्रशासन या गैर-कानूनी क्रियाकलापों पर नियंत्रण।
  • वित्तीय पुनर्गठन: इन्सॉल्वेंसी मामलों में प्रभावी समाधान और कर्जदाताओं की सुरक्षा।

इस प्रकार, NCLAT भारत के कॉर्पोरेट विधि तंत्र का एक प्रमुख स्तंभ है जो न्यायिक दक्षता, कॉर्पोरेट पारदर्शिता, और वित्तीय स्थिरता को सुनिश्चित करता है।

Originally written on May 14, 2025 and last modified on May 14, 2025.

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