नेपाल के रसुवा जिले में अचानक आई भीषण बाढ़, चीन से जुड़ा पुल बहा, कारण बना रहस्य

नेपाल के रसुवा जिले में चीन सीमा से लगे भोटेकोशी नदी पर मंगलवार सुबह अचानक आई विनाशकारी बाढ़ ने कम से कम नौ लोगों की जान ले ली और 19 अन्य को लापता कर दिया। बाढ़ से नेपाल-चीन मैत्री पुल भी बह गया, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापार का एक प्रमुख मार्ग पूरी तरह बाधित हो गया है। चौंकाने वाली बात यह रही कि इस घटना से पहले कोई वर्षा पूर्वानुमान नहीं था, जिससे किसी प्रकार की चेतावनी जारी नहीं की गई थी।

बिना बारिश के बाढ़: रहस्य और संभावनाएं

घटना के बाद वैज्ञानिकों और अधिकारियों ने जब इस प्राकृतिक आपदा के कारणों की जांच शुरू की तो सामने आया कि बाढ़ बारिश से नहीं हुई। त्रिभुवन विश्वविद्यालय के हाइड्रोलॉजी और मौसम विज्ञान विभाग के बिनोद पोखरेल ने पुष्टि की कि तिब्बत क्षेत्र में कोई वर्षा दर्ज नहीं की गई थी। अंतरराष्ट्रीय पर्वतीय विकास केंद्र (ICIMOD) ने भी कहा कि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि बाढ़ किस वजह से आई, हालांकि यह ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड (GLOF) या लैंडस्लाइड लेक आउटबर्स्ट फ्लड हो सकता है।
ICIMOD के अनुसार तिब्बत में त्रिशूली नदी के ऊपरी भाग में स्थित एक झील को उच्च जोखिम वाला माना गया है। एक अध्ययन के अनुसार 1990 से 2020 के बीच इन झीलों की संख्या में 16% और आकार में 33% की वृद्धि हुई है।

भौगोलिक और जलवायु कारक

नेपाल की भौगोलिक स्थिति और हिमालयी क्षेत्र की संवेदनशीलता के कारण हर साल मानसून के दौरान बाढ़ और भूस्खलन आम बात है। लेकिन हाल के वर्षों में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के कारण ये घटनाएं और अधिक बार और घातक होती जा रही हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि तापमान में बढ़ोतरी से हिमनद तेजी से पिघल रहे हैं और इससे अचानक जलप्रवाह की घटनाएं बढ़ रही हैं।
जलवायु विशेषज्ञ ङ्यामिन्द्र दहाल का मानना है कि रसुवा की बाढ़ को एक अलग घटना की तरह नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने इसे “सामूहिक घटनाओं” की कड़ी बताया है, क्योंकि इस क्षेत्र में अतीत में भी इस प्रकार की कई घटनाएं हो चुकी हैं। दहाल का कहना है कि अव्यवस्थित निर्माण कार्य, विशेष रूप से जलविद्युत परियोजनाएं, इन आपदाओं को और अधिक गंभीर बना सकती हैं।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • GLOF क्या है: ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड, जब कोई ग्लेशियल झील अचानक टूटती है और बड़ी मात्रा में पानी नीचे बह जाता है।
  • नेपाल-चीन मैत्री पुल: रसुवा जिले में स्थित यह पुल नेपाल और चीन के बीच व्यापार के लिए दूसरा सबसे बड़ा मार्ग है, जिसे 2014 में शुरू किया गया और 2017 में अंतरराष्ट्रीय चेकपॉइंट का दर्जा मिला।
  • ICIMOD की भूमिका: यह संस्था हिमालयी क्षेत्रों में पर्यावरणीय अध्ययन और आपदा जोखिम मूल्यांकन करती है।
  • NavIC का उल्लेख: नेपाल जैसे देशों के लिए सटीक स्थान निर्धारण और आपदा निगरानी हेतु क्षेत्रीय सैटेलाइट सिस्टम जैसे NavIC की उपयोगिता भारत के सन्दर्भ में अधिक प्रासंगिक होती जा रही है।

व्यापारिक और संरचनात्मक नुकसान

बाढ़ से जहां एक ओर नेपाल-चीन व्यापारिक पुल बह गया, वहीं लगभग 24 कंटेनर ट्रक और 35 इलेक्ट्रिक वाहन भी पानी में बह गए। रसुवा कस्टम पोर्ट और एक जलविद्युत परियोजना बांध को भी नुकसान पहुंचा। यह मार्ग अप्रैल 2023 में कोविड के बाद फिर से खोला गया था, और सोमवार तक प्रतिदिन 30–40 कंटेनर नेपाल में प्रवेश कर रहे थे।
रसुवा की यह घटना इस बात का संकेत है कि हिमालयी क्षेत्र में आपदा प्रबंधन को लेकर तत्काल और वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाना अत्यंत आवश्यक है। जलवायु परिवर्तन, अव्यवस्थित विकास और सीमित स्थानीय सूचना तंत्र इन क्षेत्रों को और अधिक संवेदनशील बना रहे हैं। आने वाले समय में ऐसी घटनाओं से बचाव के लिए क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, स्थानीय ज्ञान का समावेश और सतत निगरानी तंत्र आवश्यक होंगे।

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