नामीबिया में पीएम मोदी की ऐतिहासिक यात्रा: भारत-अफ्रीका संबंधों में नया अध्याय

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 9 जुलाई को अपनी पांच देशों की ग्लोबल साउथ यात्रा के अंतिम चरण में नामीबिया पहुंचे, जो लगभग तीन दशकों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की इस दक्षिण अफ्रीकी देश की पहली आधिकारिक यात्रा है। यह दौरा भारत और नामीबिया के बीच तकनीकी, स्वास्थ्य, अवसंरचना, विकास और सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में सहयोग को नई गति देने की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
भारत-नामीबिया: ऐतिहासिक और वैचारिक साझेदारी
भारत और नामीबिया के संबंध केवल कूटनीतिक नहीं बल्कि ऐतिहासिक और वैचारिक धरातल पर भी गहराई से जुड़े हैं। 1946 में भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में नामीबिया की स्वतंत्रता का मुद्दा उठाया था। नामीबिया की स्वतंत्रता संग्राम संस्था SWAPO का पहला दूतावास 1986 में नई दिल्ली में स्थापित हुआ। भारत ने न केवल NAM के माध्यम से समर्थन दिया, बल्कि सैनिक प्रशिक्षण और सामग्री सहायता भी प्रदान की।
स्वतंत्रता के बाद 1990 में भारत ने नामीबिया में अपनी मिशन को हाई कमीशन का दर्जा दिया, और 1994 में नामीबिया ने नई दिल्ली में अपना दूतावास खोला। SWAPO नेता और नामीबिया के पहले राष्ट्रपति सैम नुजोमा ने भारत की 11 बार यात्रा की और अपनी आत्मकथा में भारत को “बहुमूल्य सहयोगी” बताया।
नामीबिया भारत के लिए क्यों है अहम?
नामीबिया वैश्विक ऊर्जा सुरक्षा और “क्रिटिकल मिनरल्स” साझेदारी में एक महत्वपूर्ण देश है। यह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा यूरेनियम उत्पादक है, साथ ही लिथियम, जिंक और रेयर अर्थ धातुओं का भी प्रमुख स्रोत है। भारत ने यहां खनिज संसाधनों में लगभग $800 मिलियन का निवेश किया है।
भारत-नामीबिया द्विपक्षीय व्यापार 2023 में अप्रैल से नवंबर तक $654 मिलियन तक पहुंच गया, जिसमें भारत से निर्यात $418 मिलियन और आयात $235 मिलियन रहा। मुख्य व्यापारिक वस्तुओं में खनिज तेल, दवाएं, मशीनरी और अनाज शामिल हैं।
भारत ने नामीबियाई नागरिकों को रक्षा, कूटनीति, स्वास्थ्य और खेल के क्षेत्रों में प्रशिक्षण प्रदान किया है। COVID-19 महामारी के दौरान भारत ने 30,000 कोविशील्ड वैक्सीन और 2017 व 2019 में सूखा राहत के लिए चावल भी भेजा।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- नामीबिया से भारत में 2022 में 8 चीते स्थानांतरित किए गए — यह विश्व की पहली अंतरमहाद्वीपीय बड़े मांसाहारी की पुनर्प्रस्तुति थी।
- नामीबिया में दो रेडियोधर्मी खनन स्थल चीनी कंपनियों के नियंत्रण में हैं।
- भारत ने अब तक अफ्रीका में 206 अवसंरचना परियोजनाएं पूरी की हैं और 65 निर्माणाधीन हैं।
- अफ्रीकी संघ को भारत की G20 अध्यक्षता के दौरान स्थायी सदस्यता मिली।
भारत बनाम चीन: अफ्रीका में दृष्टिकोण की भिन्नता
पिछले दो दशकों में चीन ने अफ्रीका में सबसे बड़ा द्विपक्षीय व्यापारिक साझेदार बनते हुए $200 बिलियन से अधिक व्यापार किया है। भारत $100 बिलियन के व्यापार के साथ चौथे स्थान पर है, लेकिन उसका दृष्टिकोण अधिक मानवतावादी और साझेदारी आधारित रहा है।
जहां चीन की रणनीति कई बार ऋण-जाल (debt trap) के रूप में आलोचित हुई है, वहीं भारत ने भावनात्मक जुड़ाव, स्थानीय स्वामित्व और क्षमता निर्माण को प्राथमिकता दी है। पीएम मोदी ने 2018 में स्पष्ट कहा था, “भारत की प्राथमिकता सिर्फ अफ्रीका नहीं, बल्कि हर अफ्रीकी पुरुष, महिला और बच्चे हैं।”
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा भारत और नामीबिया के रिश्तों को केवल मजबूती नहीं देगी, बल्कि पूरे अफ्रीकी महाद्वीप के साथ भारत की दीर्घकालिक भागीदारी और भरोसे की भावना को भी सशक्त करेगी। यह यात्रा वैश्विक दक्षिण में भारत की बढ़ती भूमिका और नैतिक नेतृत्व की पुष्टि करती है, जो समावेशी विकास, समानता और सहयोग पर आधारित है।