नामदाफा टाइगर रिज़र्व से 310 हेक्टेयर जंगल काटने की मंज़ूरी, अरुणाचल फ्रंटियर हाईवे के लिए एनबीडब्ल्यूएल की स्वीकृति

नेशनल बोर्ड फॉर वाइल्डलाइफ (NBWL) की स्टैंडिंग कमेटी ने अरुणाचल प्रदेश के नामदाफा टाइगर रिज़र्व के कोर क्षेत्र से 310 हेक्टेयर जंगल को हटाने की मंज़ूरी दे दी है। यह निर्णय अरुणाचल फ्रंटियर हाईवे (NH-913) के निर्माण के लिए लिया गया है, जो भारत-म्यांमार सीमा के पास स्थित एक रणनीतिक परियोजना है। हालांकि कुछ सदस्यों ने वन्यजीवों की सुरक्षा के अपर्याप्त उपायों और 1.55 लाख से अधिक पेड़ों की कटाई को लेकर गंभीर चिंता जताई है।

परियोजना का विवरण

  • स्थान: चांगलांग जिला, अरुणाचल प्रदेश
  • परियोजना उद्देश्य: NH-215 (खरसांग) को मियाओ-गांधिग्राम-विजयनगर सड़क से जोड़ना
  • वन भूमि की माँग:

    • 248.79 हेक्टेयर – इंटरमीडिएट लेनिंग के लिए
    • 61.21 हेक्टेयर – मलबा निपटान हेतु
  • संलग्न संरचनाएं: कई culvert और causeway, जो PWD के मानक डिज़ाइन पर आधारित हैं

वन्यजीवों पर संभावित प्रभाव

NBWL के सदस्यों ने स्पष्ट किया कि प्रस्तावित animal passage plan अपर्याप्त है और वन्यजीवों की आवाजाही की स्थल-विशिष्ट जानकारी पर आधारित नहीं है। सदस्यों एच. एस. सिंह और रमन सुखुमार ने सुझाव दिया कि वन्यजीव मार्गों के लिए वैज्ञानिक अध्ययन आवश्यक है, जिसमें उनके आवागमन के पैटर्न के अनुसार उचित underpass और overpass की ऊंचाई, लंबाई और स्थान निर्धारित किए जाएं।

प्रमुख आपत्तियाँ और आश्वासन

  • वृक्षों की कटाई: 1.55 लाख पेड़ों की कटाई का प्रस्ताव; हालांकि CWW ने कहा कि इसमें छोटी झाड़ियाँ और poles भी शामिल हैं।
  • विस्तार की स्पष्टता: सड़कों की चौड़ाई 3.5 मीटर से थोड़ी बढ़ाई जा रही है, जिसे अत्यधिक नहीं माना गया।
  • WII की भूमिका: वाइल्डलाइफ इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया को तीन महीने के भीतर एक व्यापक animal passage plan तैयार करने का निर्देश दिया गया है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • नामदाफा टाइगर रिज़र्व: भारत के सबसे पूर्वी टाइगर रिज़र्व्स में से एक; जैव विविधता से भरपूर क्षेत्र।
  • NH-913: अरुणाचल फ्रंटियर हाईवे, भारत की रणनीतिक सीमावर्ती सड़क परियोजना।
  • वन्यजीव गलियारा (Tiger Corridor): यह परियोजना श्री वेंकटेश्वर और श्री पेनुसीला लक्ष्मी नरसिम्हा वन्यजीव अभयारण्यों की ESZ को प्रभावित करती है।
  • NBWL (नेशनल बोर्ड फॉर वाइल्डलाइफ): भारत में संरक्षित क्षेत्रों में परियोजनाओं को मंज़ूरी देने वाली शीर्ष संस्था।

निष्कर्ष

हालांकि परियोजना को रणनीतिक और क्षेत्रीय विकास के दृष्टिकोण से आवश्यक बताया गया है, लेकिन इससे पर्यावरणीय संतुलन और जैव विविधता को गंभीर खतरा हो सकता है। स्टैंडिंग कमेटी ने परियोजना को सशर्त मंज़ूरी दी है, जिसमें WII द्वारा विस्तृत अध्ययन, प्रभावी शमन उपाय, और पर्यावरणीय मंज़ूरी को आवश्यक बताया गया है। यह मामला इस बात को रेखांकित करता है कि विकास और संरक्षण के बीच संतुलन बनाना आज के समय की सबसे बड़ी चुनौती है।

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