नवंबर में थोक महंगाई रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंची
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत में वार्षिक थोक मूल्य-आधारित मुद्रास्फीति (wholesale price-based inflation) नवंबर 2021 में रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गई।
मुख्य बिंदु
- थोक मूल्य मुद्रास्फीति में विनिर्माण और खाद्य कीमतों में वृद्धि के कारण बदलाव आया।
- वार्षिक थोक मूल्य आधारित मुद्रास्फीति नवंबर में बढ़कर 14.23% हो गई। यह अप्रैल 2005 के बाद सबसे अधिक है।
- अक्टूबर 2021 में यह आंकड़ा 12.54% था।
- थोक मुद्रास्फीति लगातार आठवें महीने दोहरे अंकों में बनी हुई है, जबकि हेडलाइन खुदरा मुद्रास्फीति लगभग 5% थी।
उपभोक्ता मूल्य आधारित मुद्रास्फीति (Consumer Price-based Inflation)
नवंबर 2021 में उपभोक्ता मूल्य आधारित मुद्रास्फीति बढ़कर 4.91% हो गई। अक्टूबर में यह 4.48% थी।
थोक ईंधन और बिजली की कीमतें
अक्टूबर 2021 में 37.18% की तुलना में नवंबर 2021 में थोक ईंधन और बिजली की कीमतें बढ़कर 39.81% हो गईं।
थोक खाद्य मूल्य
थोक खाद्य कीमतें नवंबर 2021 में बढ़कर 6.70% हो गई, जबकि अक्टूबर में यह 3.06% थी।
थोक मूल्य सूचकांक (WPI)
थोक मूल्य सूचकांक को थोक वस्तुओं की एक टोकरी की कीमत के रूप में परिभाषित किया गया है। यह निगमों के बीच कारोबार किए गए सामानों की कीमत पर केंद्रित है। यह उपभोक्ताओं द्वारा खरीदे गए सामान को नहीं मापता है। WPI का प्राथमिक उद्देश्य कीमतों में उतार-चढ़ाव की निगरानी करना है जो निर्माण और उद्योग में मांग और आपूर्ति को दर्शाता है। यह सूचकांक एक अर्थव्यवस्था की व्यापक आर्थिक और सूक्ष्म आर्थिक स्थितियों का आकलन करने में मदद करता है।