धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी पर सख्त सजा: पंजाब सरकार ने पेश किया ‘पवित्र ग्रंथों के विरुद्ध अपराध निवारण विधेयक, 2025’

धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी पर सख्त सजा: पंजाब सरकार ने पेश किया ‘पवित्र ग्रंथों के विरुद्ध अपराध निवारण विधेयक, 2025’

धार्मिक और साम्प्रदायिक सौहार्द बनाए रखने के उद्देश्य से पंजाब सरकार ने 15 जुलाई 2025 को ‘पवित्र ग्रंथों के विरुद्ध अपराध निवारण विधेयक, 2025’ पंजाब विधानसभा में पेश किया। इस विधेयक में पवित्र ग्रंथों के अपमान पर आजीवन कारावास तक की सजा और ₹10 लाख तक के जुर्माने का प्रावधान है।

विधेयक के उद्देश्य और पृष्ठभूमि

विधेयक का उद्देश्य स्पष्ट रूप से धार्मिक भावनाओं की रक्षा और सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखना है। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने बताया कि हाल के वर्षों में श्री गुरु ग्रंथ साहिब, भगवद गीता, कुरान शरीफ और अन्य पवित्र ग्रंथों की बेअदबी की घटनाओं ने पंजाब की सांझी विरासत और धार्मिक भावनाओं को गहरा आघात पहुँचाया है। सरकार इन घटनाओं को रोकने और ऐसे अपराधियों को कड़ी सजा देने के लिए प्रतिबद्ध है।

अपराध की परिभाषा

विधेयक में ‘अपराध’ को व्यापक रूप में परिभाषित किया गया है, जिसमें किसी भी पवित्र ग्रंथ या उसके अंश का अपवित्रीकरण, जलाना, फाड़ना, रंग बिगाड़ना, विकृत करना, तोड़ना, या किसी भी रूप में हानि पहुँचाना शामिल है। पवित्र ग्रंथों में श्री गुरु ग्रंथ साहिब (सहित पोथी और गुटका साहिब), श्रीमद्भगवद गीता, कुरान शरीफ और बाइबल शामिल हैं।

दंड और प्रक्रिया

  • मुख्य अपराध: 10 वर्ष से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा और ₹5 लाख से ₹10 लाख तक का जुर्माना।
  • प्रयास करने पर: 3 से 5 वर्ष तक की सजा और ₹3 लाख तक का जुर्माना।
  • उकसाने या सहायता करने पर: अपराध के अनुरूप दंड का प्रावधान।
  • जांच अधिकारी: अपराधों की जांच केवल डिप्टी एसपी या उससे उच्च अधिकारी द्वारा की जाएगी।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • विधेयक को विचार और सुझाव के लिए पंजाब विधानसभा की चयन समिति (Select Committee) को सौंपा गया है।
  • यह विधेयक भारतीय न्याय संहिता, 2023 (BNS) के तहत परिभाषित अपराधों के समान मानदंडों का पालन करेगा।
  • मुख्यमंत्री भगवंत मान ने ‘गुरु ग्रंथ साहिब’ को ‘जीवित गुरु’ और ‘मानवता के लिए शांति का प्रकाशस्तंभ’ बताया।
  • विधेयक का लक्ष्य ऐसे अपराधों को ‘अक्षम्य’ घोषित कर समाज में एक मजबूत संदेश देना है।

यह विधेयक धार्मिक सहिष्णुता की रक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे न केवल धार्मिक ग्रंथों का सम्मान सुनिश्चित होगा बल्कि भावनात्मक और सामाजिक सौहार्द भी मजबूत होगा। यह कानून यदि प्रभावी ढंग से लागू होता है, तो पंजाब में धार्मिक सौहार्द को सुदृढ़ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

Originally written on July 16, 2025 and last modified on July 16, 2025.

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