दुनिया भर में 1.4 करोड़ शिशु 2024 में नहीं हुए टीकाकृत: WHO-UNICEF रिपोर्ट से चेतावनी

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और यूनिसेफ (UNICEF) की नवीनतम संयुक्त रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में विश्वभर में 1.4 करोड़ नवजात शिशुओं को एक भी नियमित टीका नहीं मिल पाया। यह आंकड़ा 2019 के 1.29 करोड़ से अधिक है और टीकाकरण एजेंडा 2030 के लक्ष्यों पर बने रहने के लिए आवश्यक वार्षिक लक्ष्य से 40 लाख अधिक है।
शून्य-खुराक शिशुओं की स्थिति
इन शून्य-खुराक (Zero-dose) बच्चों में से आधे से अधिक नौ देशों में हैं:
- नाइजीरिया
- भारत (909,000 शिशु, वैश्विक कुल का 6%)
- सूडान
- डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो
- इथियोपिया
- इंडोनेशिया
- यमन
- अफगानिस्तान
- अंगोला
भारत ने भले ही 96% कवरेज के साथ 2.27 करोड़ बच्चों को टीका दिया हो, लेकिन बड़ी जनसंख्या के कारण अपूर्ण टीकाकरण की संख्या अधिक बनी हुई है।
प्रमुख टीकाकरण कवरेज
- DTP टीका (डिप्थीरिया, टेटनस और काली खांसी): 89% ने पहला डोज़ लिया, जबकि केवल 85% ने तीन डोज़ की श्रृंखला पूरी की।
- खसरा टीका: 84% बच्चों को पहला डोज़ मिला।
- HPV (गर्भाशय ग्रीवा कैंसर) टीका: 2023 में 27% से बढ़कर 2024 में 31% हुआ।
- पीली बुखार का टीका: खतराग्रस्त क्षेत्रों में केवल 50% कवरेज, जबकि 80% की आवश्यकता है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- WHO के अनुसार, टीके हर वर्ष 50 लाख लोगों की जान बचाते हैं।
- रिपोर्ट के अनुसार, 1.02 करोड़ अधूरे या बिना टीकाकरण वाले बच्चे संघर्ष या सामाजिक अस्थिरता वाले क्षेत्रों में रहते हैं।
- खसरा, डिप्थीरिया और पोलियो जैसे बीमारियों के फिर से फैलने का खतरा बना हुआ है, यदि सामूहिक प्रतिरक्षा कमजोर पड़ती है।
चुनौतियाँ: फंडिंग कटौती और गलत जानकारी
WHO प्रमुख डॉ. टेड्रोस अधनोम घेब्रेयेसुस ने चेतावनी दी कि स्वास्थ्य सहायता बजट में कटौती और टीकों की सुरक्षा को लेकर गलत सूचना, दशकों की मेहनत पर पानी फेर सकती है। अमेरिका द्वारा USAID और PEPFAR जैसे कार्यक्रमों में फंडिंग में भारी कटौती से टीकाकरण अभियान प्रभावित हो रहे हैं।
WHO और UNICEF की सिफारिशें
- उच्च शून्य-खुराक जनसंख्या वाले देशों के लिए लक्षित वित्तीय सहायता
- संघर्षग्रस्त और नाजुक क्षेत्रों में बेहतर डिलीवरी प्रणाली
- टीका हिचकिचाहट और गलत सूचना के खिलाफ जनसंपर्क अभियान
- टीकाकरण कार्यक्रमों के लिए मजबूत डेटा और निगरानी व्यवस्था में निवेश
हालांकि 2024 में टीकाकरण दर स्थिर हुई है, परंतु 1.4 करोड़ शिशुओं का एक भी टीका न लेना वैश्विक स्वास्थ्य प्रणाली के लिए खतरे की घंटी है। यदि तत्काल प्रभावी कदम नहीं उठाए गए, तो पूरी दुनिया उन बीमारियों की चपेट में आ सकती है जिन्हें वर्षों की मेहनत से लगभग समाप्त कर दिया गया था।