दक्षिण अमेरिका में रिकॉर्ड तोड़ शीतलहर: चिली और अर्जेंटीना बने ध्रुवीय क्षेत्र के बाहर के सबसे ठंडे स्थान

30 जून को चिली और अर्जेंटीना विश्व के उन सबसे ठंडे क्षेत्रों में शामिल हो गए जो ध्रुवीय क्षेत्र में नहीं आते। World Meteorological Organization (WMO) के अनुसार, यह असामान्य ठंड एक “ध्रुवीय उत्पत्ति के उच्च-दाब तंत्र” के कारण आई है, जिसने पूरे दक्षिण अमेरिका को अपनी चपेट में ले लिया।

असाधारण शीतलहर का प्रभाव

26 जून से शुरू हुई यह शीतलहर 30 जून को अपने चरम पर पहुँची। अर्जेंटीना के कई हिस्सों में तापमान सामान्य से 10°C से 15°C नीचे दर्ज किया गया। Mar del Plata जैसे समुद्रतटीय शहर, जहाँ सामान्यतः तापमान शून्य से नीचे नहीं जाता, इस बार बर्फबारी और हीटिंग गैस की कमी का सामना कर रहे हैं। गैस की बचत के लिए व्यवसाय बंद रखने और स्कूलों को छुट्टी देने के निर्देश दिए गए।

चिली में प्रदूषण और बर्फबारी

चिली के सैंटियागो, रनकागुआ और तालका जैसे शहरों में ठंडी और स्थिर हवा के कारण वायु प्रदूषण की स्थिति बिगड़ गई। इतना ही नहीं, अटाकामा रेगिस्तान — जो विश्व का सबसे शुष्क क्षेत्र माना जाता है — वहाँ भी 10 वर्षों में पहली बार बर्फबारी हुई

असामान्य स्थानों में बर्फबारी

  • अर्जेंटीना के Calamuchita Valley और Northern Patagonia में भी बर्फ गिरी।
  • समुद्र तल के समीपवर्ती क्षेत्रों में इतनी गंभीर ठंड पहले कभी नहीं देखी गई।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • WMO (विश्व मौसम विज्ञान संगठन) की स्थापना 1950 में हुई थी, इसका मुख्यालय जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में है।
  • अर्जेंटीना और चिली दक्षिण अमेरिका के दक्षिणी कोन में स्थित हैं, जहाँ जून-जुलाई सर्दी के महीने होते हैं।
  • अटाकामा रेगिस्तान को विश्व का सबसे सूखा स्थान माना जाता है।
  • शीतल उच्च-दाब तंत्र (Anticyclone) में हवा नीचे की ओर बहती है, जिससे बादल नहीं बनते और रात में तापमान अत्यधिक गिर जाता है।

समाज और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

  • कृषि संकट: चिली और उत्तरी पाटागोनिया में फलों और सर्दियों की फसलों को भारी नुकसान हुआ है। जल्दी पाले ने उत्पादन पर सीधा असर डाला है।
  • शिक्षा और परिवहन में बाधा: ठंड के कारण कई स्कूल और सरकारी भवन बंद करने पड़े। वहीं, बर्फबारी से सड़क परिवहन भी बाधित हुआ।
  • ऊर्जा संकट: हीटिंग के लिए आवश्यक प्राकृतिक गैस की कमी से घरेलू ऊर्जा आपूर्ति खतरे में पड़ गई।

इस असामान्य ठंड ने यह स्पष्ट कर दिया है कि जलवायु परिवर्तन न केवल तापमान में वृद्धि बल्कि चरम ठंड की घटनाओं को भी जन्म दे रहा है। उत्तरी गोलार्ध में रिकॉर्ड गर्मी और दक्षिणी गोलार्ध में रिकॉर्ड ठंड — यह विरोधाभास हमारे जलवायु तंत्र में हो रहे असंतुलन की गंभीर चेतावनी है। अब आवश्यकता है वैश्विक सहयोग और मजबूत जलवायु नीति की, ताकि ऐसी प्राकृतिक आपदाओं के प्रभाव को न्यूनतम किया जा सके।

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