तुर्कमेनिस्तान का ‘Gateway to Hell’ क्या है?

तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रपति गुरबांगुली बर्डीमुखामेदोव (Gurbanguly Berdymukhamedov) ने हाल ही में अधिकारियों को देश में ‘Gateway to Hell’ को अंतिम रूप से बुझाने का एक तरीका खोजने का आदेश दिया।
मुख्य बिंदु
- तुर्कमेनिस्तान का ‘गेटवे टू हेल’ एक बड़ा प्राकृतिक गैस का गड्ढा है, जिसमे पांच दशकों से आग जल रही है।
- यह पहली बार नहीं है, जब अधिकारियों को भीषण आग को बुझाने का रास्ता खोजने का आदेश दिया गया है।
क्या यह एक प्राकृतिक घटना है?
नहीं, ‘गेटवे टू हेल’ एक प्राकृतिक घटना नहीं है। लेकिन यह मानवीय आपदा है। इस तथ्य के बावजूद, यह गड्ढा दुनिया भर से पर्यटकों को बहुत आकर्षित करता है।
इसका निर्माण कैसे हुआ?
- ऐसा माना जाता है कि, 1971 में, सोवियत वैज्ञानिकों द्वारा एक साधारण गलत अनुमान के कारण इस क्रेटर का निर्माण हुआ।
- सोवियत वैज्ञानिकों ने नीचे रखे ईंधन की मात्रा को कम करके आंका था। उनके बोरिंग उपकरणों ने एक भूमिगत गुफा के माध्यम से ड्रिलिंग की। इससे गहरा गड्ढा बन गया।
- गैस ड्रिलर के गड्ढे में गिरने के बाद, वैज्ञानिकों को चिंता थी कि यह गड्ढा हानिकारक गैसों को छोड़ देगा। वातावरण में जहरीली मिथेन गैस का रिसाव शुरू हो चुका था।
- इस प्रकार, मीथेन को पड़ोसी क्षेत्रों तक पहुंचने से रोकने और पर्यावरण और जीवों को नुकसान पहुंचाने से रोकने के लिए, वैज्ञानिकों ने क्रेटर में आग लगाने का फैसला किया।
वैज्ञानिकों को उम्मीद थी कि जैसे ही आग सब कुछ को भस्म कर देगी, गैस जल्दी जल जाएगी और इस तरह आग पर काबू पा लिया जाएगा। लेकिन आग बुझी नहीं और 1971 से लगातार एक भीषण आग जल रही है।
Originally written on
January 12, 2022
and last modified on
January 12, 2022.