तिब्बत में ब्रह्मपुत्र पर चीन की प्रस्तावित जल विद्युत परियोजना; जानिए महत्वपूर्ण तथ्य

हाल ही में चीन ने तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर एक पनबिजली परियोजना का प्रस्ताव रखा है। इस परियोजना का प्रस्ताव 14वीं पंचवर्षीय में किया गया। 14वीं परियोजना को 2021 से क्रियान्वित किया जायेगा।

मुख्य बिंदु

चीन ने इस पनबिजली परियोजना को ब्रह्मपुत्र नदी पर बनाया जाएगा। इस परियोजना का प्रस्ताव चीनी साम्यवादी पार्टी (CCP) की केन्द्रीय समिति ने प्रस्तुत किया है। चीन के इस प्रस्ताव पर भारत और बांग्लादेश ने चिंता व्यक्त की है।

ब्रह्मपुत्र में पनबिजली क्षमता

ब्रह्मपुत्र को यारलुंग सांग्पो  के नाम से भी जाना जाता है। इस नदी में 80 मिलियन किलोवाट ऑवर उर्जा उत्पन्न करने की क्षमता है। दूसरी ओर, नदी के ग्रांड कैन्यन के 50 किलोमीटर के खंड में 70 मिलियन किलोवाट ऑवर उर्जा उत्पन्न करने की क्षमता है। यह हुबई प्रांत में स्थापित 3 से अधिक विशाल बिजली स्टेशनों के बराबर है।

यारलुंग सांग्पो ग्रैंड कैन्यन

नदी की सक्रिय गतिविधि के कारण बनने वाली चट्टानों के बीच की गहरी दरार को कैन्यन कहा जाता है। यारलुंग सांग्पो  ग्रैंड कैनियन या ब्रह्मपुत्र ग्रैंड कैन्यन दुनिया की सबसे गहरी कैन्यन (घाटी) है।

भारत की चिंता

भारत लगातार चीन को अपनी चिंता से अवगत कराता रहा है और भारत ने चीन से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया है कि बाँध निर्माण से भारतीय राज्यों को नुकसान न पहुंचे। भारत से बार-बार आग्रह के बावजूद 2015 में चीन ने तिब्बत में 1.5 बिलियन अमरीकी डालर के हाइड्रो पावर स्टेशन को ऑपरेशनलाइज किया।

तिब्बत में जलविद्युत

इसमें 200 मिलियन किलोवाट ऑवर से अधिक जल संसाधन हैं। यह चीन की कुल पनबिजली क्षमता का 30% हिस्सा है।

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