तमिलनाडु ने टीबी रोगियों की मृत्यु की संभावना बताने वाला एआई मॉडल अपनाया: देश में पहली बार

तमिलनाडु ने देश में पहली बार एक ऐसा तकनीकी मॉडल अपनाया है जो वयस्क तपेदिक (टीबी) रोगियों की मृत्यु की संभावना का पूर्वानुमान लगाने में सक्षम है। यह नवाचार राज्य की मौजूदा वेब आधारित प्रणाली टीबी सेवा (Severe TB Web Application – TB SeWA) में जोड़ा गया है, जो 2022 से कार्यरत है। इसका उद्देश्य गंभीर रूप से बीमार टीबी रोगियों की शीघ्र पहचान और अस्पताल में तत्काल भर्ती सुनिश्चित करना है।
क्या है TN-KET और TB SeWA?
तमिलनाडु-कासानोई एरप्पिला थिट्टम (TN-KET) नामक पहल के अंतर्गत राज्य में हर नये वयस्क टीबी मरीज की जांच पांच मानकों पर की जाती है:
- बॉडी मास इंडेक्स (BMI)
- पैरों की सूजन (Pedal Oedema)
- श्वसन दर (Respiratory Rate)
- ऑक्सीजन संतृप्ति (Oxygen Saturation)
- बिना सहारे खड़े होने की क्षमता
ये सभी मानक TB SeWA प्रणाली में दर्ज किए जाते हैं, जो यह बताती है कि मरीज ‘गंभीर रूप से बीमार’ है या नहीं। अब नई तकनीक के जुड़ाव से यह प्रणाली केवल पहचान ही नहीं करेगी, बल्कि मृत्यु की संभाव्यता (%) भी बताएगी।
मृत्यु की भविष्यवाणी: कैसे काम करता है नया फीचर?
नया एआई-सक्षम मॉडल बताता है कि किसी ‘गंभीर रूप से बीमार’ टीबी रोगी की मृत्यु की संभावना 10% से लेकर 50% तक हो सकती है, जबकि जो रोगी गंभीर नहीं माने जाते, उनकी मृत्यु की संभावना 1-4% तक ही होती है।
यह पूर्वानुमान उन 56,000 से अधिक मरीजों के डेटा पर आधारित है जो जुलाई 2022 से जून 2023 के बीच राज्य के सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थानों में दर्ज किए गए थे।
क्यों है यह नवाचार महत्त्वपूर्ण?
- जल्द निर्णय: फ्रंटलाइन स्वास्थ्यकर्मी अब विषयगत समझ के बजाय वैज्ञानिक डेटा के आधार पर तुरंत भर्ती निर्णय ले सकेंगे।
- देर से भर्ती की समस्या: अभी भी लगभग 25% गंभीर रोगी तीन से छह दिन बाद ही अस्पताल पहुंचते हैं।
- मृत्यु में कमी: टीबी के दो-तिहाई मौतें पहले दो महीनों में होती हैं। शीघ्र भर्ती से इनकी रोकथाम संभव है।
- अन्य राज्यों के लिए उदाहरण: यह मॉडल अन्य राज्यों के लिए एक नजीर बन सकता है, जहाँ प्रारंभिक मृत्यु दर एक प्रमुख चुनौती है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- तमिलनाडु देश का पहला राज्य है जिसने वयस्क टीबी रोगियों में मृत्यु की संभावना का अनुमान लगाने वाला पूर्वानुमान मॉडल अपनाया।
- यह मॉडल ICMR-राष्ट्रीय महामारी विज्ञान संस्थान (NIE) द्वारा विकसित किया गया है।
- TN-KET के तहत इस्तेमाल होने वाले 5 मापदंड, भारत की राष्ट्रीय टीबी पोर्टल नि-क्षय (Ni-kshay) के सभी मूल डेटा जितने ही सटीक साबित हुए हैं।
- तमिलनाडु के 2,800 सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में यह प्रणाली लागू है।
तमिलनाडु का यह कदम टीबी उन्मूलन की दिशा में एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है, जहाँ तकनीक, विज्ञान और स्वास्थ्य सेवा के संयुक्त प्रयास से लोगों की जान बचाई जा सकती है। यह मॉडल पूरे देश में टीबी नियंत्रण नीतियों को नया मार्ग दिखा सकता है।