डेंगू, चिकनगुनिया, जीका और येलो फीवर पर WHO की नई गाइडलाइंस: मच्छरजनित वायरस रोगों के प्रबंधन की एकीकृत दिशा

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मच्छरों से फैलने वाले वायरस जनित रोगों — जैसे डेंगू, चिकनगुनिया, जीका और येलो फीवर — के लिए अपनी पहली एकीकृत नैदानिक गाइडलाइंस जारी की हैं। यह पहल वैश्विक स्तर पर ऐसी बीमारियों से निपटने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है। WHO की ये दिशानिर्देश न केवल चिकित्सकों के लिए बल्कि नीति निर्माताओं और अस्पताल प्रशासन के लिए भी एक व्यावहारिक मार्गदर्शक के रूप में कार्य करेंगी।
क्या हैं आर्बोवायरल बीमारियाँ?
WHO के अनुसार, आर्बोवायरल रोग मुख्यतः Aedes मच्छरों द्वारा फैलते हैं — विशेष रूप से Aedes aegypti जो एक साथ कई वायरस फैला सकता है। इनमें डेंगू, चिकनगुनिया, जीका और येलो फीवर जैसी बीमारियाँ शामिल हैं। ये रोग विश्व की आधी से अधिक आबादी को प्रभावित करते हैं, और वर्तमान में 5.6 अरब से अधिक लोग जोखिम में हैं। इन रोगों के लक्षण अक्सर बुखार, जोड़ों में दर्द और चकत्तों के रूप में शुरू होते हैं, जिससे शुरुआती पहचान में कठिनाई आती है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- Aedes aegypti मच्छर दिन में काटता है और एक ही क्षेत्र में डेंगू, जीका और चिकनगुनिया एक साथ फैला सकता है।
- WHO की नई गाइडलाइंस चार मुख्य वायरस जनित रोगों पर केंद्रित हैं: डेंगू, चिकनगुनिया, जीका और येलो फीवर।
- आर्बोवायरल रोगों का फैलाव जलवायु, सामाजिक और आर्थिक कारकों के चलते तेजी से बढ़ रहा है।
- यह WHO की पहली एकीकृत क्लीनिकल गाइडलाइंस हैं जो विश्व स्तर पर मानकीकृत देखभाल की दिशा में मील का पत्थर मानी जा रही हैं।
WHO की मुख्य सिफारिशें
गंभीर न हो ऐसे मामलों में:
- निर्जलीकरण से बचाव के लिए मुँह से तरल देने की प्रोटोकॉल आधारित प्रणाली अपनाएं।
- दर्द और बुखार के लिए पेरासिटामोल या मेटामीज़ोल का प्रयोग करें।
- NSAIDs (जैसे इबुप्रोफेन) का उपयोग न करें।
- हल्के मामलों में स्टेरॉयड का परहेज करें।
गंभीर मामलों में (अस्पताल में भर्ती):
- तरल पूर्ति के लिए क्रिस्टलॉइड्स (जैसे नार्मल सलाइन) का उपयोग करें, कोलॉयड्स नहीं।
- शॉक की स्थिति में पैर उठाकर फ्लूड रिस्पॉन्सिवनेस की जाँच करें।
- गंभीर मामलों में स्टेरॉयड या इम्युनोग्लोब्युलिन न दें।
- प्लेटलेट कम होने पर केवल रक्तस्राव होने की स्थिति में ही ट्रांसफ्यूजन करें।
- येलो फीवर से लिवर फेलियर होने पर IV N-acetylcysteine का प्रयोग करें।
- प्रयोगात्मक उपचार (जैसे TY014 या सोफोसबुविर) केवल अनुसंधान स्तर पर ही उपयोग करें।
भविष्य की दिशा
WHO ने स्पष्ट किया है कि ये दिशानिर्देश नवीनतम वैज्ञानिक साक्ष्यों पर आधारित हैं और समय के साथ इन्हें अद्यतन किया जाएगा। इन दिशानिर्देशों का उद्देश्य दुनिया भर में, विशेष रूप से उष्णकटिबंधीय और उप-उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में, जहां ये रोग तेजी से फैल रहे हैं, वहां समरूप और प्रभावी देखभाल को प्रोत्साहित करना है।
यह पहल केवल एक स्वास्थ्य निर्देश नहीं, बल्कि एक वैश्विक चेतावनी है — जिससे पता चलता है कि हमें अपनी स्वास्थ्य प्रणालियों को न केवल महामारी से बचाने के लिए, बल्कि संक्रामक रोगों की तेजी से फैलती श्रृंखला को नियंत्रित करने हेतु और अधिक सक्रिय होने की आवश्यकता है।