ट्रंप की नई टैरिफ चेतावनी: वैश्विक व्यापार पर गहराता संकट

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 1 अगस्त से पहले 14 से अधिक देशों के साथ समझौते नहीं होने की स्थिति में भारी टैरिफ लगाने की चेतावनी देकर वैश्विक व्यापार जगत में हलचल मचा दी है। अप्रैल में घोषित “रेसिप्रोकल टैरिफ” योजना के तहत यह अब तक की सबसे बड़ी शुल्क वृद्धि मानी जा रही है, जिसने बाजारों में अनिश्चितता और भ्रम की स्थिति पैदा कर दी है।
क्या बदला है टैरिफ नीति में?
ट्रंप प्रशासन ने जापान, दक्षिण कोरिया सहित 14 देशों को सूचित किया है कि अगर वे जल्द से जल्द समझौते नहीं करते हैं, तो उन पर 25% या उससे अधिक की टैरिफ दरें लागू होंगी। जापान पर अब 26% और दक्षिण कोरिया पर 25% शुल्क की योजना है। ट्रंप ने चेतावनी दी है कि यदि कोई देश प्रतिशोध करता है या सामान को अन्य देशों के माध्यम से भेजकर टैरिफ से बचने की कोशिश करता है, तो शुल्क और बढ़ाया जाएगा।
किन देशों पर प्रभाव पड़ा है?
इन टैरिफों से सबसे अधिक प्रभावित होने वाले देशों में दक्षिण-पूर्व एशिया के विकासशील देश शामिल हैं:
- लाओस, म्यांमार: 40%
- कंबोडिया, थाईलैंड: 36%
- बांग्लादेश: 35%
- इंडोनेशिया: 32%
- मलेशिया, ट्यूनीशिया, कज़ाखस्तान, दक्षिण अफ्रीका, बोस्निया: 30%
यह टैरिफ दरें इन देशों के कपड़ा, जूते और अन्य विनिर्माण निर्यात को सीधे प्रभावित करेंगी।
अब तक कितने समझौते हुए?
अप्रैल में घोषित 90-दिन की वार्ता अवधि में अब तक केवल दो समझौते हुए हैं:
- यूके: कारों पर 10% शुल्क, स्टील और एल्युमिनियम पर शून्य शुल्क।
- वियतनाम: अधिकांश वस्तुओं पर 20% शुल्क, पर विवरण अस्पष्ट।
चीन के साथ व्यापार युद्ध के बाद एक नाजुक समझौता हुआ है, पर नया करार नहीं हुआ है। दक्षिण कोरिया, ईयू और अन्य देशों के साथ अंतिम समय की वार्ताएं चल रही हैं।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- 2024 में दक्षिण-पूर्व एशिया का वैश्विक GDP में योगदान 7.2% था।
- अमेरिकी डॉलर ने इस वर्ष की पहली छमाही में पिछले 50 वर्षों का सबसे कमजोर प्रदर्शन किया।
- S&P 500 में हाल में 0.8% की गिरावट दर्ज हुई — तीन हफ्तों में सबसे बड़ी गिरावट।
एशियाई देशों को क्यों निशाना बनाया गया?
ट्रंप का कहना है कि ये देश अमेरिका से अधिक निर्यात करते हैं, जिससे व्यापार घाटा होता है। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह गणना पर्याप्त नहीं है और चीन को अप्रत्यक्ष रूप से निशाना बनाने की रणनीति भी हो सकती है। कई एशियाई देश चीन से निवेश प्राप्त करते हैं और अमेरिका के लिए सस्ते उत्पाद बनाते हैं, जिससे अब अमेरिकी उपभोक्ताओं को महंगे उत्पादों का सामना करना पड़ सकता है।
आगे क्या होगा?
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव ने कहा है कि और देशों को टैरिफ की सूचना जल्द दी जाएगी और राष्ट्रपति ट्रंप “उत्तम समझौते” सुनिश्चित करना चाहते हैं। लेकिन अब तक की धीमी प्रगति यह दर्शाती है कि व्यापार समझौते समय-साध्य और जटिल होते हैं।
ट्रंप की यह रणनीति जहां कुछ देशों के लिए दबाव बनाने का माध्यम बन रही है, वहीं वैश्विक व्यापार, आपूर्ति श्रृंखला और बाज़ार स्थिरता के लिए एक बड़ी चुनौती भी बन रही है। अगस्त का महीना इन व्यापारिक संबंधों की दिशा तय कर सकता है।