टिड्डी संकट पर नई वैज्ञानिक रणनीति: फेरेमोन नियंत्रण से स्वार्मिंग पर रोक

हजारों वर्षों से मानव समाज टिड्डियों (Locusts) के प्रकोप से जूझता रहा है। जब ये कीट झुंड बनाते हैं, तो कुछ ही दिनों में हजारों हेक्टेयर की फसलें चट कर जाते हैं। 2019-2020 में पूर्वी अफ्रीका से लेकर भारत तक फैले प्रकोप ने पिछले 25 वर्षों का सबसे गंभीर संकट उत्पन्न किया था। अब चीन के वैज्ञानिकों द्वारा एक नया और पर्यावरण के अनुकूल तरीका खोजा गया है, जो टिड्डियों की झुंड बनाने की प्रवृत्ति को रोकने में मदद कर सकता है।

फेरेमोन और टिड्डियों की सामूहिक प्रवृत्ति

टिड्डियाँ एक सामाजिक व्यवहार ‘gregariousness’ के कारण झुंड में काम करती हैं। जीवन के शुरुआती चरणों में वे अकेली होती हैं, लेकिन भोजन के बाद 4-विनाइलएनीसोल (4VA) नामक फेरेमोन छोड़ती हैं, जिससे अन्य टिड्डियाँ आकर्षित होती हैं और सामूहिक रूप से एकत्र होकर फसलों पर हमला करती हैं। यह व्यवहार सेरोटोनिन नामक न्यूरोट्रांसमीटर की सक्रियता से और तेज़ हो जाता है।

नई खोज: फेरेमोन उत्पादन को रोकना

चीनी अकादमी के प्राणीविज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों ने पाया कि जब टिड्डियाँ ‘फिनायलएलनिन’ नामक यौगिक को पचाती हैं, तो उनके शरीर में दो एंजाइम (4VPMT1 और 4VPMT2) सक्रिय होते हैं जो 4VA का निर्माण करते हैं। जब 4VPMT1 जीन को निष्क्रिय किया गया, तो टिड्डियों ने झुंड नहीं बनाया। इस प्रकार, इन एंजाइमों को रोककर झुंड बनने से रोका जा सकता है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • 4VA: वह फेरेमोन जो टिड्डियों को एकत्रित करता है।
  • 4NP (4-नाइट्रोफेनोल): एक रासायनिक यौगिक जो 4VPMT एंजाइम को अवरुद्ध कर 4VA के निर्माण को रोक सकता है।
  • RNAi तकनीक: एक जैविक विधि जो विशेष जीन को निष्क्रिय कर देती है, जिससे टिड्डियाँ फेरेमोन नहीं बना पातीं।
  • 2019-20 का टिड्डी प्रकोप पूर्वी अफ्रीका में भारी वर्षा के बाद शुरू हुआ और भारत-पाकिस्तान तक फैल गया था।

4NP का पर्यावरणीय संकट

हालांकि 4NP एंजाइम अवरोधक के रूप में प्रभावी है, यह स्वयं एक विषाक्त यौगिक है। इसका उपयोग डाई, दवा और कीटनाशकों में होता है, और यह जल व मिट्टी में लंबे समय तक बना रहता है। इस कारण वैज्ञानिकों ने 4NP के विकल्पों पर भी शोध की सिफारिश की है।

पांच-चरणीय रणनीति

Guo और उनके सहयोगियों ने टिड्डी नियंत्रण के लिए एक व्यावहारिक रणनीति प्रस्तुत की है:

  1. 4VA जैसे सिंथेटिक यौगिकों का उपयोग करके टिड्डियों को एकत्र कर पिंजरे में फंसाना।
  2. 4VA को फैलाकर झुंड बनने से रोकना।
  3. फेरेमोन निगरानी के जरिए जनसंख्या ट्रैकिंग।
  4. जेनेटिकली मोडिफाइड टिड्डियों का उपयोग कर गैर-सामूहिक व्यवहार वाली आबादी बनाना।
  5. रासायनिक नियंत्रकों और जैविक कीटनाशकों का संयोजन।

टिड्डियों की रोकथाम के लिए यह फेरेमोन-आधारित दृष्टिकोण न केवल अधिक प्रभावी हो सकता है, बल्कि यह रासायनिक कीटनाशकों के दुष्प्रभावों से भी बचाता है। हालांकि, व्यापक स्तर पर इसे लागू करने से पहले सुरक्षा और पर्यावरणीय जोखिमों की गहन जांच अनिवार्य है। यह शोध एक नए युग की शुरुआत कर सकता है जिसमें कीट नियंत्रण के साथ-साथ पारिस्थितिकी का संतुलन भी बना रहे।

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