जैव उद्दीपकों (Biostimulants) की अनियंत्रित बिक्री पर केंद्र की सख्ती: किसानों के हित में उठाया कदम

देश में जैव उद्दीपकों (Biostimulants) की अनियमित और जबरन बिक्री को लेकर केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर परंपरागत उर्वरकों जैसे यूरिया और डीएपी के साथ इन उत्पादों को “जबरन टैग” करने की प्रथा को तुरंत रोकने को कहा है। यह निर्णय किसानों की शिकायतों और जैव उद्दीपकों की प्रभावशीलता को लेकर उठ रहे संदेहों के मद्देनज़र लिया गया है।
जैव उद्दीपक क्या होते हैं?
जैव उद्दीपक ऐसे पदार्थ या सूक्ष्मजीव होते हैं, जो पौधों की शारीरिक क्रियाओं को उत्तेजित कर उनके पोषक तत्वों के अवशोषण, वृद्धि, उपज, गुणवत्ता और तनाव सहनशीलता को बेहतर बनाते हैं। इनमें समुद्री शैवाल, पौधों के अपशिष्ट या बायो-रसायन जैसे तत्वों का उपयोग किया जाता है। हालांकि, ये कीटनाशकों या प्लांट ग्रोथ रेगुलेटर्स की श्रेणी में नहीं आते।
भारत में जैव उद्दीपकों का बाजार कितना बड़ा है?
Fortune Business Insights के अनुसार, भारत में जैव उद्दीपकों का बाजार 2024 में USD 355.53 मिलियन मूल्य का था, जो 2032 तक USD 1,135.96 मिलियन तक पहुंच सकता है। यह 15.64% की वार्षिक वृद्धि दर को दर्शाता है। लेकिन इसके साथ-साथ उत्पादों की गुणवत्ता और प्रभावशीलता को लेकर बढ़ती चिंताएं भी सामने आई हैं।
जैव उद्दीपकों पर नियंत्रण की आवश्यकता क्यों पड़ी?
इन उत्पादों को लंबे समय तक बिना किसी सरकारी निगरानी के खुले बाज़ार में बेचा गया। 1985 के उर्वरक नियंत्रण आदेश (FCO) और 1968 के कीटनाशी अधिनियम के अंतर्गत ये उत्पाद पहले शामिल नहीं थे। पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय की 2011 की एक टिप्पणी के बाद राज्यों को इनके सैंपल परीक्षण और बिक्री की अनुमति देने का अधिकार मिला। 2021 में केंद्र ने FCO में संशोधन कर इन्हें आधिकारिक रूप से विनियमित किया।
उर्वरक नियंत्रण आदेश (FCO) में जैव उद्दीपकों के लिए क्या प्रावधान हैं?
- जैव उद्दीपकों को आठ श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है, जैसे वनस्पति अर्क, बायो-केमिकल्स, विटामिन, एंटीऑक्सीडेंट्स आदि।
- प्रत्येक निर्माता या आयातक को उत्पाद की रासायनिक संरचना, स्त्रोत, शेल्फ-लाइफ, जैव-प्रभावशीलता रिपोर्ट और विषाक्तता परीक्षण जैसे दस्तावेज प्रस्तुत करने होते हैं।
- विषाक्तता परीक्षण में चूहों और खरगोशों पर मौखिक, त्वचा और आंखों की प्रतिक्रिया देखी जाती है, साथ ही पक्षी, मछली, मधुमक्खियों और केंचुओं पर प्रभाव की भी जांच की जाती है।
- किसी भी जैव उद्दीपक में कीटनाशी की मात्रा 0.01 ppm से अधिक नहीं होनी चाहिए।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- जैव उद्दीपक की परिभाषा 2021 में FCO में शामिल की गई।
- 30,000 से अधिक उत्पाद वर्षों से बिना जांच के बेचे जा रहे थे; अब संख्या घटकर लगभग 650 रह गई है।
- 9 अप्रैल 2021 को केंद्र ने जैव उद्दीपकों की समीक्षा के लिए “सेंट्रल बायोस्टिमुलेंट कमेटी” का गठन किया।
- जैव उद्दीपकों की बिक्री का नवीनतम अस्थायी लाइसेंस 16 जून 2024 को समाप्त हो चुका है।
सरकार का ताजा कदम और उसका प्रभाव
मार्च 2024 में मंत्रालय ने अंतिम बार अस्थायी प्रमाणपत्र के तहत बिक्री की अनुमति तीन महीने के लिए दी थी, जो अब समाप्त हो चुकी है। ऐसे में अब बिना नियमित पंजीकरण वाले उत्पादों की बिक्री पर रोक लग गई है। साथ ही, मई 2024 में कृषि मंत्रालय ने टमाटर, मिर्च, धान, बैंगन, कपास, सोयाबीन, मक्का, प्याज आदि फसलों के लिए जैव उद्दीपकों के विशिष्ट मानक भी अधिसूचित किए हैं।
सरकार का यह कदम किसानों को बिना लाभकारी उत्पादों की खरीद से बचाने, कृषि क्षेत्र में पारदर्शिता लाने और बाजार में गुणवत्तापूर्ण जैव उत्पाद सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। जैव उद्दीपकों के उपयोग का वास्तविक लाभ तभी मिलेगा जब ये वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित और प्रभावी हों।