जैविक संरक्षण में जेनेटिक तकनीक का उपयोग: IUCN कांग्रेस में निर्णायक बहस

अक्टूबर 2025 में अबू धाबी में आयोजित होने जा रही IUCN विश्व संरक्षण कांग्रेस में एक बड़ा और विवादास्पद प्रश्न चर्चा का केंद्र होगा: क्या जैविक संरक्षण में जेनेटिक तकनीकों पर रोक लगाई जानी चाहिए?
बहस का मूल विषय
कांग्रेस के समक्ष Motion 133 प्रस्तुत किया गया है, जो सिंथेटिक बायोलॉजी (कृत्रिम जैव प्रौद्योगिकी) के उपयोग को पूरी तरह रोकने की मांग करता है। इसका उद्देश्य जानवरों और पौधों को बचाने के लिए जेनेटिक तकनीक का प्रयोग रोकना है। दूसरी ओर, Motion 087 एक संतुलित दृष्टिकोण की वकालत करता है, जिसमें हर मामले पर स्थानीय परिस्थितियों, वैज्ञानिक मूल्यांकन और सुरक्षा उपायों के आधार पर निर्णय लेने की बात है।
वैज्ञानिक समुदाय की चिंता
- 100 से अधिक वैज्ञानिकों ने एक खुला पत्र जारी कर Motion 133 का विरोध किया है।
- उनका तर्क है कि पारंपरिक संरक्षण उपाय अब पर्यावरणीय संकटों से निपटने में पर्याप्त नहीं रह गए हैं।
- जैसे-जैसे जलवायु परिवर्तन तेज हो रहा है और लाखों प्रजातियां विलुप्ति के कगार पर हैं, वैज्ञानिक नवाचार और तकनीक की जरूरत पर ज़ोर दे रहे हैं।
जेनेटिक तकनीक के संभावित लाभ
- जीन-संपादित एल्गी की मदद से कोरल रीफ को गर्म पानी से बचाया जा सकता है।
- संशोधित मच्छर मलेरिया जैसे जानलेवा रोगों के प्रसार को रोक सकते हैं।
- जीन-संपादित चूहे, जो प्रजनन नहीं कर सकते, द्वीपीय पारिस्थितिकी तंत्र में आक्रामक प्रजातियों को नियंत्रित कर सकते हैं।
- Frog fungus जैसी बीमारियों से उभयचरों को बचाने के उपाय भी इस तकनीक से संभव हैं।
विरोध के कारण
- आदिवासी समुदाय, पर्यावरण संगठन और नागरिक समाज Motion 133 का समर्थन कर रहे हैं।
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उनकी चिंताएं:
- अनजाने जोखिम, जैसे जीन-संपादित जीवों को प्राकृतिक वातावरण में छोड़ना।
- परंपरागत ज्ञान और स्थानीय नियंत्रण का नुकसान।
- बड़ी जैविक कंपनियों का प्रभुत्व और वैश्विक नियमन की कमी।
- 2024 में Colossal नामक कंपनी द्वारा डायर वुल्फ के जीन से बने जीवों के निर्माण ने चिंताओं को और बढ़ा दिया।
खाद्य सुरक्षा और जैव विविधता
- एक बड़ा प्रश्न यह भी है कि यदि हम जानवरों के संरक्षण में जेनेटिक तकनीक को स्वीकार करते हैं, तो क्या हम इसे खाद्य फसलों में नकार सकते हैं?
- जीन-संपादित चावल, बाजरा और अन्य फसलें जहां जलवायु सहनशीलता बढ़ा सकती हैं, वहीं बीजों पर कॉर्पोरेट नियंत्रण और किसान अधिकारों पर खतरा भी उत्पन्न करते हैं।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- IUCN (International Union for Conservation of Nature) 1948 में स्थापित हुआ और यह वैश्विक संरक्षण नीति निर्धारण का एक प्रमुख मंच है।
- Motion 133: सिंथेटिक बायोलॉजी पर पूर्ण प्रतिबंध का प्रस्ताव।
- Motion 087: वैज्ञानिक मूल्यांकन के आधार पर नियंत्रित प्रयोग को अनुमति देने वाला संतुलित प्रस्ताव।
- सिंथेटिक बायोलॉजी: एक उभरता हुआ क्षेत्र जिसमें डीएनए स्तर पर जीवों में बदलाव किया जाता है।
निष्कर्ष
जैसे-जैसे मतदान की घड़ी नज़दीक आ रही है, यह बहस केवल जैव विविधता तक सीमित नहीं रह गई है — यह वैज्ञानिक नैतिकता, पर्यावरणीय उत्तरदायित्व और भविष्य की जीवन सुरक्षा से जुड़ गई है। सवाल यह है कि क्या हम इस तकनीक को डर के कारण रोकें या सावधानीपूर्वक अपनाएं ताकि हम प्रजातियों को बचाने और पारिस्थितिकी तंत्र को पुनर्जीवित करने का प्रयास कर सकें?
अबू धाबी में होने वाला यह निर्णय न केवल जैविक संरक्षण की दिशा तय करेगा, बल्कि मानवता की वैज्ञानिक और नैतिक प्राथमिकताओं का भी एक प्रतिबिंब होगा।