जेन स्ट्रीट विवाद: भारत में विदेशी ट्रेडिंग दिग्गज की गिरावट और सबक

अमेरिका आधारित हाई-फ्रीक्वेंसी ट्रेडिंग कंपनी जेन स्ट्रीट (Jane Street) इन दिनों भारतीय वित्तीय बाजारों में एक बड़े विवाद के केंद्र में है। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने इस फर्म को बाजार में हेरफेर (Manipulative Trading) के गंभीर आरोपों के चलते प्रतिबंधित कर दिया है। इस मामले ने न केवल विदेशी ट्रेडिंग कंपनियों के संचालन पर प्रश्नचिन्ह लगाया है, बल्कि भारत में डेरिवेटिव्स बाजार की निगरानी और पारदर्शिता पर भी ध्यान केंद्रित किया है।

क्या था जेन स्ट्रीट का ‘हेरफेर वाला खेल’?

जेन स्ट्रीट एक प्रॉपर्टाइएट्री ट्रेडिंग फर्म है, यानी यह अपने खुद के पूंजी से ट्रेड करती है, न कि ग्राहकों के पैसे से। SEBI के अनुसार, फर्म ने विशेष रूप से NIFTY और BANKNIFTY फ्यूचर्स में आक्रामक खरीद-बिक्री की रणनीति अपनाकर ‘मार्किंग द क्लोज़’ (Marking the Close) जैसी विधियों का प्रयोग किया। यह एक जानी-पहचानी ट्रेडिंग तकनीक है जिसमें दिन के अंतिम क्षणों में बड़े ऑर्डर डालकर क्लोजिंग प्राइस को कृत्रिम रूप से प्रभावित किया जाता है।
SEBI की जांच में सामने आया कि जेन स्ट्रीट ने इस तकनीक का बार-बार इस्तेमाल कर के अपने फायदे के लिए क्लोजिंग प्राइस को प्रभावित किया, जिससे उन्हें डेरिवेटिव्स की समाप्ति के समय भारी मुनाफा हुआ। SEBI के अनुसार, केवल जनवरी से मई 2025 के बीच इस फर्म ने ₹32,681 करोड़ का लाभ कमाया, जिसे विदेश भेज दिया गया।

भारतीय इकाई और नियमों का ‘चालाक’ इस्तेमाल

जेन स्ट्रीट की भारतीय शाखा — JSI Investments Private Limited — ने नकदी बाजार में घाटे वाले सौदे किए, जिससे ऐसा प्रतीत हुआ कि फर्म NSE द्वारा फरवरी 2025 में जारी चेतावनी का पालन कर रही है। लेकिन असल हेरफेर फ्यूचर्स और ऑप्शन्स में ही चलता रहा। भारतीय नियमों के तहत FPI (विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक) इन्ट्रा-डे ट्रेडिंग नहीं कर सकते, लेकिन भारतीय इकाई का उपयोग कर जेन स्ट्रीट ने इस बाधा को बायपास किया।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • SEBI ने जेन स्ट्रीट पर ₹4,843.57 करोड़ की कथित अवैध कमाई जब्त करने का आदेश दिया है।
  • NSE ने फरवरी 2025 में जेन स्ट्रीट को चेतावनी दी थी, लेकिन मई में फर्म ने फिर से कथित हेरफेर किए।
  • भारत में प्रॉप ट्रेडिंग हाउस की संख्या बढ़ रही है, 2025 में रिटेल निवेशकों की भागीदारी 40% तक पहुंच चुकी है।
  • डेरिवेटिव्स का मूल्य वास्तविक स्टॉक्स/इंडेक्स से जुड़ा होता है और इनकी हेरफेर कीमतों पर सीधा असर डाल सकती है।

नियामक सख्ती और बाजार में असर

SEBI की कार्रवाई ने भारत में प्रॉप ट्रेडिंग फर्म्स की भूमिका पर नई बहस छेड़ दी है। विशेषज्ञों का मानना है कि जब डेरिवेटिव्स बाजार में खुदरा भागीदारी रिकॉर्ड स्तर पर है, ऐसे में बाजार की निष्पक्षता और पारदर्शिता बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है। Angel One के चेयरमैन दिनेश ठक्कर के अनुसार, “SEBI की यह कार्रवाई अनुपालन और गवर्नेंस को मजबूत बनाएगी और भारतीय बाजार को अधिक भरोसेमंद बनाएगी।”

भविष्य की दिशा: निष्पक्षता की पुनर्स्थापना

जेन स्ट्रीट का मामला इस बात का उदाहरण है कि कैसे अत्याधुनिक और परिष्कृत ट्रेडिंग रणनीतियाँ नियमों की सीमारेखा को पार कर सकती हैं। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि केवल तकनीकी दक्षता नहीं, बल्कि नैतिकता और नियामकीय अनुपालन भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
भारत जैसे उभरते वित्तीय बाजार में विदेशी संस्थानों की भूमिका स्वागतयोग्य है, लेकिन इस शर्त पर कि वे स्थानीय कानूनों और निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा के सिद्धांतों का पूर्ण पालन करें। इस प्रकरण ने निश्चित ही भारतीय वित्तीय बाजार के लिए एक कठोर लेकिन आवश्यक सबक प्रस्तुत किया है।

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