जून 2025 में बेरोजगारी दर स्थिर, महिला श्रम भागीदारी में गिरावट: पीएलएफएस रिपोर्ट

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा जारी पीरियॉडिक लेबर फोर्स सर्वे (PLFS) के अनुसार, जून 2025 में 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों के बीच बेरोजगारी दर (UR) 5.6% पर स्थिर रही, जो मई 2025 के आंकड़ों के समान है। हालांकि, श्रम बल भागीदारी दर (LFPR) में महिलाओं और पुरुषों दोनों के बीच हल्की गिरावट दर्ज की गई है, जो मौसमी कृषि पैटर्न और मौसमीय प्रभावों को दर्शाती है।

महिला श्रम भागीदारी में गिरावट

जून 2025 में महिलाओं की श्रम भागीदारी दर में महत्वपूर्ण गिरावट देखी गई। ग्रामीण क्षेत्रों में यह दर मई के 36.9% से घटकर 35.2% हो गई, जबकि अप्रैल में यह 38.2% थी। शहरी क्षेत्रों में भी महिला LFPR में गिरावट आई और यह मई के 25.3% से घटकर जून में 25% रह गई। कुल मिलाकर, ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में महिलाओं की LFPR 25.5% से घटकर 24.5% हो गई।
रिपोर्ट के अनुसार, इस गिरावट का एक प्रमुख कारण यह है कि उच्च आय वाले ग्रामीण परिवारों की महिलाएं, जो पहले कृषि या अन्य क्षेत्रों में अप्रत्यक्ष मदद करती थीं, अब घरेलू कार्यों में लौट रही हैं। इसके पीछे कम होती ग्रामीण महंगाई और ग्रीष्मकालीन कृषि गतिविधियों की कमी को जिम्मेदार माना गया है।

पुरुषों की भागीदारी और रोजगार दर में भी हल्की गिरावट

जून 2025 में पुरुषों की श्रम भागीदारी दर ग्रामीण क्षेत्रों में 78.1% और शहरी क्षेत्रों में 75% रही, जो मई की तुलना में मामूली गिरावट है (मई में क्रमशः 78.3% और 75.1%)। इसके साथ ही, वर्कर पॉपुलेशन रेशियो (WPR) भी 0.3 प्रतिशत अंक घटकर 38.7% पर आ गया, जबकि मई में यह 39% था।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • PLFS सर्वेक्षण में जून 2025 के लिए 89,493 परिवारों और 3,80,538 व्यक्तियों को शामिल किया गया।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में महिला श्रमिकों की कृषि में भागीदारी मई के 70.2% से घटकर जून में 69.8% हो गई।
  • मई से जून के बीच ग्रामीण बेरोजगारी दर में 0.2% की कमी और शहरी बेरोजगारी दर में 0.2% की वृद्धि हुई।
  • PLFS की मासिक रिपोर्टिंग की शुरुआत अप्रैल 2025 से की गई है।

सरकारी विश्लेषण के अनुसार, यह गिरावट मुख्यतः मौसमी कृषि गतिविधियों, भीषण गर्मी और कुछ वर्गों के श्रमिकों की घरेलू कार्यों की ओर वापसी के कारण है। भले ही बेरोजगारी दर स्थिर रही हो, परंतु LFPR और WPR में दर्ज की गई गिरावट, श्रम बाजार की संवेदनशीलता और मौसमी उतार-चढ़ाव को उजागर करती है। यह संकेत देता है कि रोजगार सृजन और महिलाओं की श्रम भागीदारी को प्रोत्साहित करने हेतु विशेष नीतिगत ध्यान देना आवश्यक है।

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