जापानी कंपनी ispace की चंद्र मिशन में दूसरी असफलता: ‘रेज़िलिएंस’ लैंडर चंद्रमा पर दुर्घटनाग्रस्त

जापान की निजी अंतरिक्ष कंपनी ispace का दूसरा चंद्र मिशन, हाकुटो-आर मिशन 2, 5 जून 2025 को असफल रहा। ‘रेज़िलिएंस’ नामक लैंडर चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने में विफल रहा और संभवतः तेज गति से टकराकर नष्ट हो गया। यह ispace की दूसरी चंद्र लैंडिंग असफलता है; इससे पहले अप्रैल 2023 में हाकुटो-आर मिशन 1 भी अंतिम चरण में क्रैश हो गया था।

मिशन का विवरण

  • लॉन्च तिथि: 15 जनवरी 2025, स्पेसएक्स के फाल्कन 9 रॉकेट के माध्यम से
  • लैंडिंग स्थल: मारे फ्रिगोरिस (Sea of Cold), चंद्रमा का उत्तरी गोलार्ध
  • मुख्य पेलोड: ‘टेनेशियस’ रोवर (यूरोप का पहला चंद्र रोवर), ‘मूनहाउस’ कला स्थापना, जल इलेक्ट्रोलाइज़र, शैवाल आधारित खाद्य प्रयोग, और विकिरण जांच उपकरण

विफलता के कारण

लैंडिंग के अंतिम चरण में, जब लैंडर लगभग 100 किमी की ऊंचाई से 20 किमी तक नीचे आया और मुख्य इंजन ने नियोजित रूप से मंदन शुरू किया, तभी लैंडर की स्थिति लगभग लंबवत थी। हालांकि, इसके बाद टेलीमेट्री डेटा खो गया और निर्धारित लैंडिंग समय के बाद भी कोई संकेत नहीं मिला। प्रारंभिक विश्लेषण से पता चला कि लैंडर की लेजर रेंजफाइंडर प्रणाली ने सतह से दूरी मापने में देरी की, जिससे लैंडर पर्याप्त मंदन नहीं कर सका और तेज गति से चंद्रमा की सतह से टकरा गया।

पेलोड का नुकसान

  • टेनेशियस रोवर: यह यूरोप का पहला चंद्र रोवर होता, जो चंद्रमा की सतह पर वैज्ञानिक प्रयोग करता।
  • मूनहाउस: स्वीडिश कलाकार मिकाएल जेनबर्ग द्वारा बनाई गई एक छोटी लाल घर की प्रतिकृति, जो चंद्रमा पर कला स्थापना के रूप में रखी जाती।
  • अन्य प्रयोग: जल से ऑक्सीजन और हाइड्रोजन निकालने का प्रयोग, शैवाल आधारित खाद्य उत्पादन, और विकिरण मापन उपकरण।

इन सभी पेलोड्स का नुकसान हुआ, क्योंकि लैंडर की हार्ड लैंडिंग के कारण वे चंद्रमा की सतह पर पहुंचने से पहले ही नष्ट हो गए।

भविष्य की योजनाएं

ispace ने घोषणा की है कि वह अपने आगामी मिशनों के लिए तैयारियों में जुटी है। कंपनी का अगला मिशन, हाकुटो-आर मिशन 3, 2026 में प्रस्तावित है, जिसमें एक बड़ा लैंडर और NASA के साथ साझेदारी शामिल है। इसके अलावा, ispace-U.S. नामक अमेरिकी सहायक कंपनी 2027 में ‘Apex 1.0’ नामक एक बड़ा लैंडर भेजने की योजना बना रही है, जो चंद्रमा के दूरस्थ क्षेत्र में ‘Schrödinger Basin’ में उतरेगा।

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