जलवायु परिवर्तन बनाम खेल जगत: बढ़ती गर्मी खिलाड़ियों और आयोजनों के लिए खतरे की घंटी

खेल के मैदान पर अब खिलाड़ियों को केवल विरोधी टीम ही नहीं, बल्कि बढ़ती गर्मी और बदलते मौसम से भी जूझना पड़ रहा है। पिछले 30 दिनों में एक खिलाड़ी मैदान पर उल्टी कर चुका है, दर्शक स्टेडियम में बेहोश हो गए हैं, और कई मुकाबले गर्मी के कारण बाधित हुए हैं। यह घटनाएं केवल किसी एक खेल की नहीं, बल्कि टेनिस कोर्ट से लेकर फुटबॉल के मैदान और साइक्लिंग के ट्रैक्स तक फैली हुई हैं।
खिलाड़ियों और आयोजनों पर गर्मी का असर
ब्रिटिश टेनिस खिलाड़ी कैमरन नॉरी ने इस गर्मी को “शॉक टू द सिस्टम” बताया, वहीं मैनचेस्टर सिटी के कोच पेप गार्डियोला ने अपने खिलाड़ियों को “सहन करने” को कहा। एटलेटिको मैड्रिड के खिलाड़ी मार्कोस लोरेंटे ने कहा, “मेरे नाखून भी दुख रहे थे।”
2023 के यूएस ओपन में रूसी टेनिस खिलाड़ी डेनियल मेदवेदेव ने अत्यधिक गर्मी में कोर्ट पर कहा था, “यहां एक खिलाड़ी की जान भी जा सकती है।” यह कथन अब और भी प्रासंगिक लगने लगा है, क्योंकि इस वर्ष क्लब विश्व कप जैसे बड़े आयोजनों के दौरान अमेरिका में गर्मी की लहर ने खिलाड़ियों की सुरक्षा और खेल की गुणवत्ता दोनों पर सवाल खड़े कर दिए।
भविष्य के आयोजन और खतरे
विश्व एथलेटिक्स के अध्यक्ष सेबास्टियन को ने पिछले वर्ष एक रिपोर्ट में लिखा था कि जलवायु परिवर्तन को खेलों के लिए एक “अस्तित्वगत खतरे” के रूप में देखा जाना चाहिए। अगले फुटबॉल विश्व कप (2026) में 48 टीमों की प्रतियोगिता अमेरिका, मैक्सिको और कनाडा में जून-जुलाई की भीषण गर्मी में आयोजित होगी। एक अध्ययन के अनुसार, 16 में से 10 वेन्यू पर खिलाड़ियों को “चरम गर्मी” का सामना करना पड़ सकता है।
2030 का विश्व कप भी जून-जुलाई में स्पेन, पुर्तगाल और मोरक्को में आयोजित होगा — तीनों ही देश इस वर्ष 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान झेल चुके हैं। इसी तरह 2028 के ओलंपिक खेल, जो लॉस एंजेलेस में होंगे, उनके लिए भी गर्मी की चिंता बनी हुई है, विशेषकर आउटडोर आयोजनों के संदर्भ में।
क्या खेलों का समय बदला जा सकता है?
अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) की अध्यक्ष कर्स्टी कोवेंट्री ने 2022 में सुझाव दिया था कि खेल आयोजनों के समय को लेकर “अधिक लचीलापन” अपनाना होगा। “नेचर” पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन ने यह अनुमान लगाया कि सदी के अंत तक ओलंपिक मैराथन के लिए उपयुक्त शहरों की संख्या 27% तक घट सकती है। जुलाई-अगस्त की बजाय अक्टूबर में आयोजन एक संभावित समाधान हो सकता है।
चूंकि 2028 और 2032 के ओलंपिक आयोजन स्थल — लॉस एंजेलेस और ब्रिस्बेन — पहले से तय हैं, IOC अक्टूबर में आयोजन पर विचार कर सकता है। विशेषकर तब, जब भारत और कतर जैसे देश भविष्य में मेज़बानी की दौड़ में हैं।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- 1994 में अमेरिका में आयोजित फीफा वर्ल्ड कप का एक मैच 41 डिग्री तापमान में खेला गया था — अब तक का सबसे गर्म मैच।
- 2026 फीफा वर्ल्ड कप के लिए एयर-कंडीशन्ड स्टेडियम और रूफ इंस्टॉलेशन जैसी योजनाएं बनाई गई हैं।
- ओलंपिक के पारंपरिक आयोजन महीने जुलाई-अगस्त माने जाते हैं, लेकिन बढ़ती गर्मी को देखते हुए अक्टूबर में आयोजन पर विचार हो रहा है।
- एक अध्ययन के अनुसार, 2026 विश्व कप के 10 स्थानों पर खिलाड़ियों को “चरम तापीय दबाव” का सामना करना पड़ सकता है।
खेल अब केवल फिटनेस और रणनीति का ही नहीं, बल्कि मौसम और जलवायु के साथ तालमेल का भी क्षेत्र बन गया है। खिलाड़ियों की सुरक्षा और खेल की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए समय पर ठोस निर्णय लेना ज़रूरी है। यह केवल खेल आयोजकों के लिए चेतावनी नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए पर्यावरणीय सतर्कता का संदेश भी है।