जलवायु परिवर्तन का शिक्षा पर प्रभाव: बच्चों की स्कूली शिक्षा में 1.5 वर्ष की संभावित गिरावट

जलवायु परिवर्तन केवल पर्यावरण या कृषि तक सीमित नहीं है — यह अब शिक्षा जैसे मूलभूत क्षेत्र को भी गहराई से प्रभावित कर रहा है। यूनिवर्सिटी ऑफ सस्केचवन (कनाडा), UNESCO की ग्लोबल एजुकेशन मॉनिटरिंग (GEM) टीम और MECCE परियोजना द्वारा प्रकाशित एक वैश्विक रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि अत्यधिक गर्मी के संपर्क में आने वाले बच्चों की औसतन स्कूली शिक्षा 1.5 वर्ष तक घट सकती है।
जलवायु आपदाओं के कारण स्कूल बंद होने की बढ़ती घटनाएं
पिछले 20 वर्षों में, दुनियाभर में 75% से अधिक अत्यधिक मौसम की घटनाओं (जैसे बाढ़, तूफान, सूखा) में स्कूलों को बंद करना पड़ा, जिससे 50 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए। विशेष रूप से निम्न और मध्यम आय वाले देशों में हर वर्ष जलवायु से संबंधित स्कूल बंदी देखी गई है, जिससे शिक्षा में व्यवधान, सीखने की हानि और ड्रॉपआउट की संभावना बढ़ रही है।
उष्ण ताप और शिक्षा पर प्रभाव
- 29 देशों में जनगणना और जलवायु आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला कि जन्म से पहले और जीवन के प्रारंभिक वर्षों में अधिक गर्मी के संपर्क में आने से बच्चों की औसतन 1.5 वर्ष की स्कूली शिक्षा कम हो जाती है।
- चीन में अत्यधिक गर्मी के दिनों में परीक्षाओं के परिणामों में गिरावट और कॉलेज प्रवेश दर में कमी देखी गई।
- अमेरिका में, बिना एयर कंडीशनिंग के स्कूलों में हर 1°C अधिक गर्मी से परीक्षा के अंक 1% घट गए। अफ्रीकी-अमेरिकी और हिस्पैनिक छात्रों पर प्रभाव अधिक रहा — जो अमेरिका में शैक्षिक असमानता का 5% हिस्सा है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- 2019 में चरम मौसम से प्रभावित 10 देशों में से 8 निम्न या निम्न-मध्यम आय वर्ग के थे।
- 33 देशों को बच्चों के लिए “अत्यधिक उच्च जलवायु जोखिम” वाला माना गया है — इनमें 1 अरब से अधिक लोग रहते हैं।
- ब्राज़ील के सबसे गरीब क्षेत्रों में गर्मी के कारण छात्रों की सालाना सीखने की क्षमता में 1% की कमी आई।
- अमेरिका में कम आय वाले नागरिकों में जलवायु-प्रेरित अस्थमा के बढ़ते मामलों की संभावना 15% अधिक है।
स्कूल अवसंरचना की चुनौतियां और समाधान
रिपोर्ट में उल्लेख है कि अमेरिका के लगभग आधे सार्वजनिक स्कूल जिलों में हीटिंग, वेंटिलेशन और एयर कंडीशनिंग (HVAC) प्रणालियों को बदलने या अपग्रेड करने की जरूरत है। इसके अलावा, प्राकृतिक आपदाएं जैसे बाढ़ और चक्रवात, न केवल स्कूलों को नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि छात्र और शिक्षकों की जान भी ले चुके हैं।
उदाहरण के लिए, 2013 में जकार्ता की बाढ़ के बाद, स्कूलों का संचालन बाधित हुआ, उन्हें राहत शिविरों के रूप में इस्तेमाल किया गया और कई स्कूलों को क्षति के कारण बंद करना पड़ा।
निष्कर्ष
यह रिपोर्ट स्पष्ट करती है कि जलवायु परिवर्तन अब केवल भविष्य की चेतावनी नहीं, बल्कि वर्तमान शिक्षा प्रणाली पर वास्तविक खतरा बन चुका है। सबसे अधिक प्रभाव गरीब, वंचित और सामाजिक रूप से संवेदनशील समूहों पर पड़ रहा है। शिक्षा व्यवस्था को जलवायु लचीलापन विकसित करने, बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करने और आपदा प्रबंधन योजनाओं को अपनाने की जरूरत है — ताकि बच्चों का भविष्य सुरक्षित रह सके और दशकों की शैक्षिक प्रगति व्यर्थ न जाए।