जलवायु परिवर्तन और वनीला की संकटग्रस्त परागण प्रणाली: फसल और जैव विविधता पर मंडराता खतरा

वनीला, दुनिया की सबसे महंगी और बहुप्रयोगी फसलों में से एक, अब जलवायु परिवर्तन के कारण अपने मूल प्राकृतिक परागण संबंधों को खोने के कगार पर है। एक हालिया अध्ययन में चेताया गया है कि यदि वर्तमान प्रवृत्तियाँ बनी रहीं, तो 2050 तक जंगली वनीला प्रजातियों और उनके कीट परागणकर्ता साथी के बीच 90% तक के परागण संबंध टूट सकते हैं, जिससे न केवल जैव विविधता को नुकसान पहुंचेगा, बल्कि वनीला उत्पादन और वैश्विक आपूर्ति शृंखला भी अस्थिर हो जाएगी।

अध्ययन के प्रमुख निष्कर्ष

यह अध्ययन 3 जुलाई 2025 को Frontiers in Plant Science पत्रिका में प्रकाशित हुआ और इसका नेतृत्व बेल्जियम के KU Leuven और कोस्टा रिका के Lankester Botanical Garden Research Centre के वैज्ञानिकों ने किया। उन्होंने 11 जंगली वनीला प्रजातियों और 7 परागण कीटों की जलवायु परिदृश्यों के अंतर्गत संभावित आवासीय बदलावों का मॉडल तैयार किया।

  • “मॉडरेट” परिदृश्य (SSP2-4.5) और “उच्च उत्सर्जन” परिदृश्य (SSP3-7.0) दोनों में कुछ प्रजातियों की वितरण सीमा 140% तक बढ़ सकती है, लेकिन अन्य प्रजातियों के आवास 53% तक घट सकते हैं।
  • यहां तक कि जिन प्रजातियों का विस्तार हो सकता है, वे यदि अपने परागणकर्ताओं से अलग हो जाएं, तो भी उनका अस्तित्व संकट में पड़ सकता है।

वनीला की विशेष परागण निर्भरता

जंगली वनीला प्रजातियाँ प्राकृतिक प्रजनन के लिए विशिष्ट कीटों — विशेष रूप से ऑर्किड मधुमक्खियों — पर निर्भर करती हैं। इनमें कई ऐसी अनुवांशिक विशेषताएँ पाई जाती हैं जो सूखा, गर्मी और रोग प्रतिरोधक क्षमता में सहायक होती हैं। वाणिज्यिक फसल Vanilla planifolia में यह विविधता सीमित है, जिससे उसे जलवायु परिवर्तन के प्रति अधिक संवेदनशील बनाती है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • वनीला उत्पादन मुख्यतः हाथ से परागण के माध्यम से होता है, जिससे यह विश्व की सबसे श्रम-सघन फसलों में से एक बनती है।
  • वनीला का व्यापक उपयोग खाद्य, कॉस्मेटिक और पारंपरिक औषधियों में होता है।
  • जंगली वनीला संरक्षण हेतु स्थानों जैसे कोस्टा रिका के जैव विविधता हॉटस्पॉट विशेष रूप से महत्वपूर्ण माने जाते हैं।

संरक्षण की रणनीतियाँ

शोधकर्ताओं ने जंगली वनीला और उससे जुड़ी आजीविकाओं की रक्षा के लिए तत्काल संरक्षण उपायों की सिफारिश की है:

  • शेष प्राकृतिक आवासों की रक्षा करना, विशेष रूप से जैव विविधता हॉटस्पॉट।
  • कीटनाशकों का कम उपयोग करना।
  • खेतों के आस-पास देशज पुष्प प्रजातियाँ लगाना।
  • वन गलियारों का पुनर्स्थापन।
  • बीज बैंक (जैसे Kew Gardens) के माध्यम से आनुवंशिक विविधता संरक्षित करना।
  • स्थानीय समुदायों की सहभागिता से सतत खेती और संरक्षण को बढ़ावा देना।

निष्कर्ष

यह अध्ययन वनीला की जैविक और पारिस्थितिकीय जटिलताओं को समझने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। प्राकृतिक परागण प्रणाली का टूटना केवल एक फसल की चिंता नहीं है — यह पूरी खाद्य आपूर्ति श्रृंखला, ग्रामीण अर्थव्यवस्थाओं और जलवायु लचीलेपन पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है। यदि समय रहते नीति और संरक्षण के ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो यह सुगंधित फसल भविष्य में दुर्लभ हो सकती है।

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