चुंबकीय क्षेत्र मापने की भारतीय तकनीक से वैज्ञानिक क्रांति की शुरुआत

भारत के रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट (RRI) के वैज्ञानिकों ने एक नई क्वांटम तकनीक विकसित की है, जो बिना भारी ढाल या शांत लैब के भी चुंबकीय क्षेत्र (magnetic field) को सटीक रूप से माप सकती है। यह खोज चिकित्सा, अंतरिक्ष, रक्षा और भौतिकी के कई क्षेत्रों में क्रांति ला सकती है।
चुंबकीय क्षेत्र मापन की पारंपरिक चुनौतियाँ
अब तक प्रयुक्त सबसे संवेदनशील तकनीकें — जैसे Optically Pumped Atomic Magnetometers (OPAMs) और Spin Exchange Relaxation Free (SERF) Magnetometers — अत्यधिक संवेदनशील होती हैं, लेकिन उन्हें खासतौर पर नियंत्रित वातावरण, भारी ढाल और कम गतिशीलता की आवश्यकता होती है। इससे वे रोज़मर्रा या फील्ड में उपयोग के लिए अनुपयुक्त हो जाती हैं।
क्या है RDSNS तकनीक?
Raman-Driven Spin Noise Spectroscopy (RDSNS) एक नई ऑल-ऑप्टिकल क्वांटम मैग्नेटोमीटर तकनीक है। इसमें लेजर किरणों की मदद से रूबिडियम परमाणुओं के सूक्ष्म स्पिन कम्पनों (spin noise) को पढ़ा जाता है। ये कम्पन चुंबकीय क्षेत्र की उपस्थिति में बदलते हैं, जिससे वैज्ञानिक बिना किसी संपर्क के चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता माप सकते हैं।
प्रमुख विशेषताएँ
- अद्वितीय संवेदनशीलता: 100 हर्ट्ज़ पर 30 पिको-टेस्ला प्रति रूट हर्ट्ज़ की संवेदनशीलता।
- बिना शील्ड के काम: शोरपूर्ण, औद्योगिक और बाहरी वातावरण में उपयोग संभव।
- उच्च गतिशीलता: अत्यधिक कमजोर से लेकर तीव्र चुंबकीय क्षेत्रों तक सटीक मापन।
- कॉम्पैक्ट और पोर्टेबल: बिना किसी गतिशील भाग के पूरी तरह ऑप्टिकल यंत्र।
- RF और यांत्रिक कंपन से मुक्त: बाहरी विद्युत या यांत्रिक हस्तक्षेप का कोई असर नहीं।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- यह तकनीक राष्ट्रीय क्वांटम मिशन के अंतर्गत विकसित की गई है।
- शोध पत्र IEEE Transactions on Instrumentation and Measurement में प्रकाशित हुआ है।
- परियोजना का नेतृत्व डॉ. सप्तऋषि चौधुरी कर रहे हैं, जो RRI के QuMIX (Quantum Mixtures) लैब के प्रमुख हैं।
- तकनीक को और बेहतर करने के लिए MEMS चिप्स, squeezed light, और फेज-लॉक्ड लेजर का इस्तेमाल भविष्य में किया जाएगा।
संभावित अनुप्रयोग
- मस्तिष्क और स्नायु तंत्र की जांच में MRI का वैकल्पिक उपकरण — शांत, पोर्टेबल और गैर-आक्रामक।
- अंतरिक्ष अन्वेषण में ग्रहों के चुंबकीय क्षेत्रों का अध्ययन — हल्के और मजबूत उपकरणों की आवश्यकता।
- खनन में — पृथ्वी के भीतर चुंबकीय बदलावों से खनिज भंडार का अनुमान।
- भौतिकी अनुसंधान — क्वांटम अवस्थाओं और परमाणुओं की जटिल गतिशीलता को समझना।
निष्कर्ष
RDSNS भारत की वैश्विक क्वांटम तकनीकी प्रतिस्पर्धा में अग्रणी भूमिका को दर्शाता है। यह तकनीक केवल चुंबकीय मापन का ही भविष्य नहीं बदल रही, बल्कि विज्ञान की नई दिशाओं को भी खोल रही है — वह भी पूरी तरह स्वदेशी नवाचार के माध्यम से।