चारधाम राजमार्ग परियोजना और इससे जुड़े हुए विवाद : मुख्य बिंदु
चारधाम परियोजना पिछले कुछ समय कई कारणों से ख़बरों में रही है। 2 दिसंबर, 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने चार धाम राजमार्ग परियोजना की निगरानी करने वाली समिति से रक्षा मंत्रालय के आवेदनों पर विचार करने के लिए कहा है। रक्षा मंत्रालय अपने आवेदन में 2 सप्ताह के भीतर भारत-चीन सीमा क्षेत्र में सड़कों को सात मीटर तक चौड़ा करने की मांग कर रहा है।
मुख्य बिदु
8 सितंबर, 2020 को, सुप्रीम कोर्ट ने सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय को 2018 के परिपत्र का पालन करने और 5.5 मीटर की चौड़ाई पर बने रहने के लिए कहा था।
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, भारी वाहनों, सैनिकों, टैंकों, आयुध और तोपखाने के परिवहन को सुविधाजनक बनाने के लिए सात मीटर की चौड़ाई आवश्यक है। भारी उपकरणों के परिवहन के लिए रक्षा मंत्रालय द्वारा सूचीबद्ध सड़कों को जल्दी उपयुक्त बनाया जाना चाहिए क्योंकि चारधाम परियोजना के तहत बनाई जाने वाली इन सड़कों को वास्तविक नियंत्रण रेखा या चीन के साथ अंतर्राष्ट्रीय सीमा के साथ जोड़ा जायेगा। इसके अलावा, इनमें से कुछ सड़कें भारत-तिब्बत सीमा पुलिस स्टेशनों को जोड़ती हैं।
मामला क्या है?
चारधाम परियोजना की कुल लागत 12,000 करोड़ रुपये है, इसका लक्ष्य चौड़ी सड़कों का निर्माण करना है जो उत्तराखंड के प्रमुख तीर्थ स्थलों को जोड़ेगी। इन सड़कों के निर्माण के दौरान पहाड़ियों के कटाव पर्यावरणविदों ने इस पर आपत्ति जताई थी। पर्यावरणविद पहाड़ी इलाकों में होने वाली सड़क के इस चौड़ीकरण को सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों का उल्लंघन मानते हैं। जबकि केंद्र सरकार इस आरोप से इनकार करती है।
चार धाम परियोजना गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ को सभी मौसम कनेक्टिविटी प्रदान करेगी। पर्यावरणविदों के अनुसार, यह परियोजना अत्यधिक संवेदनशील भागीरथी इको सेंसिटिव ज़ोन को प्रभावित करेगी। भागीरथी नदी गंगा की स्रोत धारा है।
चारधाम परियोजना
इस परियोजना को लागू करने वाली एजेंसियां हैं : सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय, उत्तराखंड राज्य लोक निर्माण विभाग, सीमा सड़क संगठन और राष्ट्रीय राजमार्ग और बुनियादी ढांचा विकास निगम लिमिटेड हैं। इसे इंजीनियरिंग, प्रोक्योरमेंट एंड कंस्ट्रक्शन (ईपीसी) मोड के द्वारा क्रियान्वित किया जा रहा है। ईपीसी मोड के तहत, परियोजना लागत पूरी तरह से भारत सरकार द्वारा वहन की जाती है।