चाइना के डिफेंस स्टॉक्स क्यूँ गिर रहे है?

हाल ही में चीन के रक्षा क्षेत्र (डिफेंस सेक्टर) के स्टॉक्स में भारी गिरावट देखी गई, जिसमें कुछ कंपनियों के शेयर 9% तक नीचे आए। यह गिरावट कई कारकों का परिणाम है, जिसमें भारत-पाकिस्तान संघर्षविराम, चीनी हथियारों की युद्धक्षेत्र में कथित विफलता, और वैश्विक भू-राजनीतिक तनाव में कमी शामिल हैं।
भारत-पाकिस्तान संघर्षविराम का प्रभाव
मई 2025 की शुरुआत में भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ने से चीनी रक्षा कंपनियों के शेयरों में उछाल आया था, क्योंकि निवेशकों को उम्मीद थी कि क्षेत्रीय संघर्ष से हथियारों की मांग बढ़ेगी। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान द्वारा चीनी हथियारों, जैसे PL-15E मिसाइल और J-10CE लड़ाकू विमानों, के उपयोग ने शुरुआत में बाजार में उत्साह पैदा किया। हालांकि, 10 मई 2025 को दोनों देशों के बीच संघर्षविराम की घोषणा के बाद, निवेशकों ने लंबे संघर्ष की उम्मीदों को छोड़ दिया, जिसके परिणामस्वरूप हांग सेंग चाइना A एयरोस्पेस एंड डिफेंस इंडेक्स में 2.9% की गिरावट आई, और अगले दिन 1.3% की और कमी दर्ज की गई। सामान्य अध्ययन के दृष्टिकोण से, यह ध्यान देने योग्य है कि क्षेत्रीय संघर्ष अक्सर वैश्विक हथियार बाजार को प्रभावित करते हैं, और स्टॉक मार्केट की अस्थिरता भू-राजनीतिक स्थिरता पर अत्यधिक निर्भर करती है।
चीनी हथियारों की विश्वसनीयता पर सवाल
चीनी रक्षा स्टॉक्स में गिरावट का एक प्रमुख कारण भारत-पाकिस्तान संघर्ष के दौरान चीनी हथियारों की कथित खराब प्रदर्शन है। पाकिस्तान द्वारा उपयोग किए गए J-10CE लड़ाकू विमान और PL-15E मिसाइलों ने युद्धक्षेत्र में अपेक्षित परिणाम नहीं दिए, जिससे चीनी सैन्य प्रौद्योगिकी की विश्वसनीयता पर सवाल उठे। J-10CE, जिसे चीनी वैमानिकी उद्योग निगम (AVIC) द्वारा निर्मित किया गया है, को पाकिस्तान की वायुसेना के लिए एक महत्वपूर्ण निर्यात माना जाता था। हालांकि, इसकी विफलता ने AVIC जैसे प्रमुख रक्षा निर्माताओं के शेयरों में 9% तक की गिरावट को प्रेरित किया। सामान्य अध्ययन के लिए, यह उल्लेखनीय है कि चीनी रक्षा निर्यात, जो वैश्विक हथियार बाजार का लगभग 5.8% हिस्सा रखता है, अक्सर गुणवत्ता और प्रदर्शन के आधार पर जांच के दायरे में रहता है। यह घटना चीनी रक्षा उद्योग के लिए एक झटका है, जो वैश्विक स्तर पर अमेरिका और रूस के साथ प्रतिस्पर्धा करने की कोशिश कर रहा है।
वैश्विक भू-राजनीतिक तनाव में कमी
चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच व्यापार तनाव में हाल की कमी ने भी चीनी रक्षा स्टॉक्स पर दबाव डाला। मई 2025 में दोनों देशों ने 90 दिनों के लिए व्यापार युद्ध को रोकने की घोषणा की, जिसमें चीन ने अमेरिकी सामानों पर टैरिफ को 125% से घटाकर 10% करने का वादा किया। इस समझौते ने निवेशकों के बीच यह धारणा पैदा की कि वैश्विक भू-राजनीतिक तनाव कम हो सकता है, जिससे रक्षा क्षेत्र में निवेश की मांग कम हुई। सामान्य अध्ययन के संदर्भ में, यह ध्यान देने योग्य है कि वैश्विक व्यापार नीतियां और टैरिफ युद्ध न केवल अर्थव्यवस्था, बल्कि रक्षा जैसे विशिष्ट क्षेत्रों को भी प्रभावित करते हैं। इसके अलावा, हांग सेंग इंडेक्स, जिसमें कई चीनी रक्षा कंपनियां शामिल हैं, वैश्विक आर्थिक संकेतकों के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है।
निवेशकों का बदलता विश्वास
निवेशकों का रक्षा क्षेत्र से विश्वास उठना भी स्टॉक्स की गिरावट का एक कारण है। भारत-पाकिस्तान संघर्ष के दौरान चीनी रक्षा कंपनियों के शेयरों में 36% तक की वृद्धि देखी गई थी, लेकिन संघर्षविराम और हथियारों की विफलता ने इस तेजी को उलट दिया। उदाहरण के लिए, चेंगदू एयरोस्पेस कॉर्पोरेशन जैसे निर्माताओं के शेयर, जो J-10CE का उत्पादन करते हैं, भारी बिकवाली के दबाव में आए। सामान्य अध्ययन के लिए, यह महत्वपूर्ण है कि स्टॉक मार्केट में निवेशक भावनाएँ अक्सर क्षेत्रीय और वैश्विक घटनाओं से प्रभावित होती हैं। चीनी रक्षा उद्योग, जो 2024 में 296 बिलियन डॉलर के रक्षा बजट का हिस्सा है, निवेशकों के लिए आकर्षक रहा है, लेकिन हाल की घटनाओं ने इस क्षेत्र की स्थिरता पर सवाल उठाए हैं।
क्षेत्रीय और वैश्विक बाजार पर प्रभाव
चीनी रक्षा स्टॉक्स की गिरावट का प्रभाव केवल चीन तक सीमित नहीं है। पाकिस्तान, जो चीनी हथियारों का एक प्रमुख आयातक है, अब वैकल्पिक आपूर्तिकर्ताओं की तलाश कर सकता है, जिससे चीनी रक्षा निर्यात बाजार प्रभावित हो सकता है। इसके अलावा, वैश्विक निवेशक अब चीनी रक्षा प्रौद्योगिकी की विश्वसनीयता पर अधिक सतर्कता बरत रहे हैं। सामान्य अध्ययन के दृष्टिकोण से, यह उल्लेखनीय है कि वैश्विक हथियार बाजार में विश्वसनीयता और प्रदर्शन दीर्घकालिक व्यापार साझेदारी के लिए महत्वपूर्ण हैं। चीनी रक्षा उद्योग, जो हाल के वर्षों में अफ्रीका और दक्षिण एशिया में अपने निर्यात को बढ़ाने में सफल रहा है, को अब अपनी तकनीकी क्षमताओं को फिर से साबित करना होगा।