ग्लोबल फिनडेक्स 2025 रिपोर्ट: वित्तीय समावेशन में ऐतिहासिक प्रगति, परंतु अब भी करोड़ों लोग व्यवस्था से बाहर

विश्व बैंक की नवीनतम ग्लोबल फिनडेक्स 2025 रिपोर्ट ने यह दर्शाया है कि वैश्विक स्तर पर वित्तीय समावेशन में अभूतपूर्व प्रगति हुई है, विशेष रूप से निम्न और मध्यम आय वाले देशों में। परंतु यह भी स्पष्ट हुआ है कि अब भी करोड़ों वयस्क — विशेषकर महिलाएं, गरीब और डिजिटल रूप से वंचित वर्ग — औपचारिक वित्तीय प्रणाली से बाहर हैं।

रिकॉर्ड स्तर पर खाता स्वामित्व

  • 2024 में वैश्विक स्तर पर 79% वयस्कों के पास बैंक या मोबाइल मनी सेवा प्रदाता में खाता है, जो 2021 में 74% था।
  • निम्न और मध्यम आय वाले देशों (LMIEs) में खाता स्वामित्व 69% से बढ़कर 75% हो गया।
  • मोबाइल मनी सेवाओं का उपयोग करने वालों की संख्या में तेजी आई है — विकासशील देशों में 10% वयस्क अब मोबाइल मनी खातों के माध्यम से बचत कर रहे हैं।

औपचारिक बचत में उल्लेखनीय वृद्धि

  • 2024 में, विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में 40% वयस्कों ने वित्तीय खाते में बचत की — 2021 की तुलना में 16 प्रतिशत अंक की वृद्धि।
  • उप-सहारा अफ्रीका में यह दर 12 प्रतिशत अंक बढ़कर 35% तक पहुँच गई।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • UPI (भारत) और PIX (ब्राज़ील) जैसे रीयल-टाइम डिजिटल पेमेंट प्लेटफ़ॉर्म वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
  • दुनिया भर में अब 15% वयस्कों के पास सिर्फ मोबाइल मनी खाता है।
  • भारत में 90% पुरुष और महिलाएं बैंक खाता धारक हैं, और 65% के पास मोबाइल फोन है।
  • महिला खाता धारिता पिछले दशक में LMIEs में 37% से बढ़कर 73% हो गई है।

अब भी 130 करोड़ लोग असमाविष्ट

  • अब भी 1.3 बिलियन वयस्क औपचारिक वित्तीय प्रणाली से बाहर हैं — इनमें से आधे केवल 8 देशों में केंद्रित हैं: भारत, चीन, बांग्लादेश, पाकिस्तान, मिस्र, इंडोनेशिया, नाइजीरिया और मैक्सिको।
  • इन असमाविष्ट लोगों में 55% महिलाएं, 52% गरीब घरों से और 62% कम-शिक्षित हैं।
  • 54% लोग बेरोज़गार या श्रमबल से बाहर हैं।

डिजिटल तकनीक: समावेशन की राह

  • असमाविष्ट वयस्कों में लगभग 90 करोड़ के पास मोबाइल फोन है, जिनमें से 53 करोड़ के पास स्मार्टफोन है।
  • मोबाइल तकनीक और डिजिटल भुगतान न केवल खाता खोलने में बल्कि औपचारिक बचत और लेनदेन को बढ़ावा देने में भी उपयोगी साबित हो रही है।

चुनौतियाँ और अवसर

  • निम्न शिक्षा, लैंगिक असमानता और आय में अंतर के चलते मोबाइल फोन और डिजिटल सेवाओं की पहुँच असमान बनी हुई है।
  • दक्षिण एशिया में अब भी 30 करोड़ से अधिक महिलाओं के पास मोबाइल फोन नहीं हैं।
  • रिपोर्ट के अनुसार, केवल 9 LMIEs में मोबाइल फोन स्वामित्व 65% से कम है।

निष्कर्ष

विश्व बैंक और बिल गेट्स जैसे वैश्विक नेताओं ने डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना और समावेशी वित्तीय प्रणालियों में निवेश को प्राथमिकता देने की आवश्यकता पर बल दिया है। वित्तीय समावेशन, न केवल लोगों को आर्थिक रूप से सक्षम बनाता है, बल्कि यह उन्हें गरीबी से बाहर निकालने, भविष्य में निवेश करने और आपात स्थितियों में सुरक्षा प्रदान करने का माध्यम भी है। हालांकि उपलब्धियाँ प्रशंसनीय हैं, लेकिन असमानताओं को दूर किए बिना वित्तीय समावेशन का सपना अधूरा रहेगा।

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