‘गोल्डन डोम’: अमेरिका की अंतरिक्ष-आधारित रक्षा प्रणाली की नई पहल

हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक महत्वाकांक्षी और व्यापक मिसाइल रक्षा प्रणाली ‘गोल्डन डोम’ की औपचारिक घोषणा की है। इस परियोजना का उद्देश्य अमेरिका को आधुनिक और उन्नत हवाई खतरों से सुरक्षा प्रदान करना है, जिनमें हाइपरसोनिक हथियार, क्रूज़ मिसाइलें, बैलिस्टिक मिसाइलें और अंतरिक्ष से प्रक्षेपित प्रोजेक्टाइल शामिल हैं।

परियोजना की रूपरेखा

गोल्डन डोम को इज़राइल की आयरन डोम प्रणाली से प्रेरित बताया गया है, लेकिन इसका दायरा और तकनीकी संरचना कहीं अधिक विशाल और जटिल है। यह एक बहु-स्तरीय रक्षा प्रणाली होगी जो अंतरिक्ष और पृथ्वी पर आधारित तकनीकों को समन्वित रूप से उपयोग करेगी।

इस प्रणाली में निम्नलिखित प्रमुख घटक शामिल होंगे:

  • अंतरिक्ष आधारित सेंसर्स और उपग्रह, जो रीयल-टाइम में मिसाइल लॉन्च को ट्रैक करेंगे।
  • काइनेटिक इंटरसेप्टर्स और लेज़र जैसे उन्नत हथियार, जो मिसाइलों को उड़ान के विभिन्न चरणों में निष्क्रिय करेंगे।
  • ग्राउंड आधारित प्रणालियाँ जैसे GMD, THAAD और PAC-3, जो अंतिम चरण में हमला रोकने के लिए सक्रिय रहेंगी।

नेतृत्व और साझेदारी

इस परियोजना का नेतृत्व अमेरिकी अंतरिक्ष बल (US Space Force) के जनरल माइकल गुएटलेन को सौंपा गया है। निजी क्षेत्र में स्पेसएक्स, लॉकहीड मार्टिन, एल3 हैरिस और RTX जैसी कंपनियाँ संभावित साझेदार हैं। प्रारंभिक $25 अरब डॉलर अनुसंधान और विकास के लिए आवंटित किए गए हैं, जबकि कुल बजट $175 अरब डॉलर तक अनुमानित है।

सामरिक और भू-राजनीतिक प्रभाव

‘गोल्डन डोम’ को अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा में एक क्रांतिकारी कदम माना जा रहा है। हालांकि, रूस और चीन जैसे देशों ने इस परियोजना की आलोचना करते हुए इसे अस्थिरता पैदा करने वाली पहल” और अंतरिक्ष का सैन्यीकरण” बताया है। इससे भविष्य में एक नई हथियारों की दौड़ की संभावना भी बढ़ सकती है।

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