खेल प्रशासन में पारदर्शिता लाने के लिए राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक 2025 पेश

भारतीय खेल प्रशासन में एक ऐतिहासिक बदलाव की दिशा में कदम बढ़ाते हुए केंद्रीय खेल मंत्री मनसुख मांडविया ने राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक 2025 को लोकसभा में प्रस्तुत किया है। इस विधेयक का उद्देश्य देश में खेल संघों के संचालन में पारदर्शिता लाना, उत्तरदायित्व को मजबूत करना, और खिलाड़ियों के हितों की रक्षा करना है।

विधेयक के प्रमुख प्रावधान

  • राष्ट्रीय खेल बोर्ड और खेल महासंघों की स्थापना: राष्ट्रीय ओलंपिक समिति, राष्ट्रीय पैरा-ओलंपिक समिति, राष्ट्रीय खेल महासंघ (NSFs) और क्षेत्रीय खेल महासंघ बनाए जाएंगे।
  • बीसीसीआई भी आएगा दायरे में: भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) को भी अब एक राष्ट्रीय खेल महासंघ के रूप में मान्यता लेनी होगी और इसके सभी विवाद ‘राष्ट्रीय खेल न्यायाधिकरण’ में निपटाए जाएंगे।
  • एकीकृत विवाद समाधान प्रणाली: खिलाड़ियों के चयन, संघों के चुनाव, और आंतरिक विवादों को हल करने हेतु एक राष्ट्रीय खेल न्यायाधिकरण की स्थापना प्रस्तावित है।

खिलाड़ी केंद्रित शासन

  • एथलीट प्रतिनिधित्व: सभी महासंघों में खिलाड़ियों को निर्णय लेने वाली समितियों में स्थान मिलेगा।
  • लिंग संतुलन: खेल नेतृत्व में लैंगिक असंतुलन दूर करने के लिए विशेष प्रावधान।
  • वित्तीय पारदर्शिता: खेल संघों के खातों और संचालन में पारदर्शिता सुनिश्चित की जाएगी।

आयु और कार्यकाल में लचीलापन

  • महासंघों के प्रमुख, सचिव और कोषाध्यक्ष के लिए 70 वर्ष की उम्र सीमा के बाद भी कार्यकाल पूरा करने की अनुमति होगी।
  • एक व्यक्ति अधिकतम तीन कार्यकाल (हर कार्यकाल 4 वर्ष) तक पद पर रह सकता है, जिसके बाद एक कार्यकाल का कूलिंग-ऑफ पीरियड अनिवार्य होगा।

‘सुरक्षित खेल’ तंत्र को कानूनी मान्यता

  • विधेयक में Safe Sport Mechanisms को कानूनी दर्जा देने की बात कही गई है जिससे यौन उत्पीड़न और शोषण जैसे मुद्दों पर संवेदनशील एवं कानूनी दृष्टिकोण से कार्यवाही संभव हो सके।

साथ में पेश हुआ राष्ट्रीय एंटी-डोपिंग (संशोधन) विधेयक

  • यह विधेयक राष्ट्रीय एंटी-डोपिंग एजेंसी (NADA) के कार्य में सरकारी हस्तक्षेप को सीमित करेगा और विश्व एंटी-डोपिंग एजेंसी (WADA) के मानकों के अनुरूप लाएगा।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • BCCI अब विधेयक पारित होने के बाद एक राष्ट्रीय खेल महासंघ की तरह कार्य करेगा और सरकारी मानकों का पालन करेगा।
  • राष्ट्रीय खेल न्यायाधिकरण देश का पहला ऐसा मंच होगा जहां सभी खेल विवादों का समाधान किया जाएगा।
  • भारत में अब तक कोई संगठित विधायी ढांचा नहीं था जो सभी खेल महासंघों पर समान नियम लागू कर सके।

यह विधेयक भारतीय खेल प्रणाली में सुधार की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम माना जा रहा है, जो न केवल प्रशासन को पारदर्शी और जवाबदेह बनाएगा, बल्कि खिलाड़ियों को भी एक सुरक्षित, निष्पक्ष और न्यायोचित मंच प्रदान करेगा।

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