क्यों अब भी सेवा में है जगुआर फाइटर जेट: IAF के लिए मजबूरी या रणनीतिक जरूरत?

राजस्थान के चुरु जिले में 9 जुलाई को हुए एक हादसे में भारतीय वायुसेना (IAF) का एक SEPECAT Jaguar जेट दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसमें दोनों पायलटों की मृत्यु हो गई। यह इस वर्ष का तीसरा Jaguar हादसा है, जिससे वायुसेना की इस पुरानी फ्लीट को लेकर गंभीर सवाल उठने लगे हैं। हालांकि, यह जेट अभी भी भारतीय वायुसेना में 2040 तक सेवा में रहने की उम्मीद है। आखिर क्यों?

ब्रिटिश-फ्रांसीसी साझेदारी की उपज

Jaguar विमान 1960 के दशक में ब्रिटेन और फ्रांस की संयुक्त जरूरतों को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया गया था। इसे SEPECAT नामक एक संयुक्त उद्यम द्वारा निर्मित किया गया, जिसमें फ्रांसीसी ब्रेगेट और ब्रिटिश एयरक्राफ्ट कॉर्पोरेशन की भागीदारी थी। प्रारंभ में यह एक ट्रेनर जेट के रूप में सोचा गया था, लेकिन बाद में इसे एक भारी युद्धक विमान के रूप में विकसित किया गया, जो परमाणु हथियारों को ले जाने में भी सक्षम था।
इसका पहला उड़ान परीक्षण 1968 में हुआ और भारत ने 1978 में $1 बिलियन के सौदे के तहत इसे अपनाया। 1981 में HAL द्वारा निर्मित पहले घरेलू Jaguar विमानों की डिलीवरी शुरू हुई।

क्यों अभी भी सेवा में है Jaguar?

  1. नई विमानों की कमी और देरीIAF की सबसे बड़ी चुनौती है — समय पर नए लड़ाकू विमानों की प्राप्ति। HAL द्वारा विकसित स्वदेशी तेजस विमान अभी तक अपेक्षित मात्रा और समयसीमा में नहीं पहुँच सका है। वायुसेना की स्क्वाड्रन ताकत घटकर 31 रह गई है, जबकि 42 स्वीकृत हैं। ऐसे में Jaguar जैसी पुरानी फ्लीट को सेवा में बनाए रखना एक मजबूरी बन गई है।
  2. सामरिक क्षमता और परमाणु त्रिकोण में भूमिकाJaguar भारत की परमाणु त्रिकोण नीति में एक अहम भूमिका निभाता है, क्योंकि यह वायु आधारित परमाणु बम डिलीवरी का प्रमुख माध्यम है। यह जेट ‘डीप पेनिट्रेशन स्ट्राइक’ यानी शत्रु की सीमा में घुसकर बमबारी करने की विशेष क्षमता रखता है।
  3. सस्ता और आसान रखरखावJaguar का रखरखाव तुलनात्मक रूप से आसान और कम खर्चीला है। एक अनुमान के अनुसार, इसके इंजन को मात्र 30 मिनट में बदला जा सकता है। 2018 में IAF ने 40 पुरानी Jaguars खरीदीं और उनके पुर्जों का पुनः उपयोग कर विमानों को कार्यशील बनाए रखा।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • SEPECAT Jaguar का विकास 1960 के दशक में हुआ और IAF ने इसे 1979 में अपनाया।
  • HAL ने 2008 तक Jaguar के घरेलू संस्करणों का निर्माण किया।
  • भारत में Jaguar के तीन प्रमुख संस्करण सेवा में हैं: Jaguar IS (सिंगल सीट स्ट्राइकर), IB (ट्रेनर), और IM (नेवल संस्करण)।
  • फिलहाल 115 Jaguar विमान IAF में सक्रिय हैं, जिनमें से 60 को DARIN III मानक तक अपग्रेड किया जा रहा है।

भविष्य की राह

हालांकि Jaguar की उम्र काफी अधिक हो चुकी है, लेकिन इसकी सामरिक उपयोगिता और IAF की वर्तमान स्थिति को देखते हुए इसे 2030 के दशक के मध्य तक सेवा में बनाए रखने की योजना है। DARIN III अपग्रेड और वैकल्पिक पुर्जों की उपलब्धता इस प्रक्रिया को संभव बना रही है।
यह स्थिति दर्शाती है कि भारत को अब तेजस और अन्य स्वदेशी परियोजनाओं को प्राथमिकता देनी होगी, ताकि भविष्य में ऐसी पुरानी फ्लीट पर निर्भरता न बनी रहे। Jaguar जैसे विमान अब आवश्यकता से अधिक एक रणनीतिक जिद बनते जा रहे हैं, जो देश की सुरक्षा आवश्यकताओं की अनिवार्यता को रेखांकित करते हैं।

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