क्या होते है कुमकी हाथी? कर्नाटक से आंध्र प्रदेश को कुमकी हाथियों का हस्तांतरण – मानव-हाथी संघर्ष से निपटने की दिशा में अहम कदम

क्या होते है कुमकी हाथी? कर्नाटक से आंध्र प्रदेश को कुमकी हाथियों का हस्तांतरण – मानव-हाथी संघर्ष से निपटने की दिशा में अहम कदम

21 मई 2025 को कर्नाटक सरकार ने एक औपचारिक समारोह में आंध्र प्रदेश को चार प्रशिक्षित कुमकी हाथी सौंपे। यह कार्यक्रम बेंगलुरु स्थित विधान सौध परिसर में आयोजित हुआ, जहां इन भव्य हाथियों की झलक ने सबका ध्यान आकर्षित किया। यह हस्तांतरण दक्षिण भारत में बढ़ते मानव-हाथी संघर्ष से निपटने की संयुक्त प्रयासों की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।

कुमकी हाथी: संरक्षित जंगलों के शांत प्रहरी

‘कुमकी’ शब्द की उत्पत्ति फारसी भाषा के ‘कुमक’ (सहायता) शब्द से हुई है। ये हाथी सामान्य कार्यशील हाथियों से अलग होते हैं क्योंकि इन्हें विशेष रूप से जंगली हाथियों को नियंत्रित करने, बचाव कार्यों में मदद करने और नए पकड़े गए हाथियों को प्रशिक्षित करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। इनका प्रशिक्षण इतना सटीक होता है कि ये केवल अपने महावत के आदेशों पर प्रतिक्रिया करते हैं और अत्यधिक तनावपूर्ण स्थितियों में भी शांत रहते हैं।

मानव-हाथी संघर्ष में कुमकी की भूमिका

जंगलों के सिमटते दायरे और मानव बस्तियों के विस्तार के कारण हाथियों और इंसानों के बीच टकराव के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। जब जंगली हाथी खेतों में घुसते हैं या गांवों में नुकसान पहुंचाते हैं, तब कुमकी हाथियों को भेजा जाता है ताकि वे उन्हें हिंसा के बिना जंगल की ओर वापस ले जा सकें।

पकड़े गए जंगली हाथियों को जब ‘क्राल’ (अस्थायी बाड़े) में रखा जाता है, तब कुमकी हाथी उनके साथ चलते हुए उन्हें शांति और अनुशासन सिखाने में मदद करते हैं। इसके अलावा, जब कोई हाथी कुएं या कीचड़ में फंस जाए, तब ये हाथी बचाव कार्यों में भी भाग लेते हैं।

महावत और कुमकी: विश्वास और समर्पण की साझेदारी

किसी भी कुमकी हाथी की सफलता के पीछे उसका महावत होता है — वह प्रशिक्षक जो जीवनभर हाथी के साथ रहकर उसे निर्देश, अनुशासन और देखभाल सिखाता है। यह रिश्ता केवल कार्य का नहीं, बल्कि गहरे भावनात्मक बंधन का होता है। महावत हाथी की सूक्ष्म हरकतों को समझकर बिना बल प्रयोग किए उसका संचालन करते हैं। कई महावत तो जीवनभर एक ही हाथी के साथ रहते हैं, जिससे एक अद्वितीय सामंजस्य विकसित होता है।

कुमकी परंपरा: दक्षिण भारत की विशेष धरोहर

तमिलनाडु और केरल जैसे राज्यों में कुमकी हाथी संरक्षण और वन्यजीव प्रबंधन का अहम हिस्सा हैं। तमिलनाडु के कुमकी हाथी ‘कलीम’ को हाल ही में सेवानिवृत्त किया गया, जिसने 60 वर्षों तक सेवा दी। उसे राज्य सरकार द्वारा सलामी देकर सम्मानित किया गया, जिसकी वीडियो ने सोशल मीडिया पर भावनात्मक लहर पैदा कर दी।

हस्तांतरण का महत्व और आगे की राह

कर्नाटक द्वारा इन चार कुमकी हाथियों के हस्तांतरण से आंध्र प्रदेश को अपने वन क्षेत्रों में बढ़ते मानव-हाथी संघर्ष से निपटने में सहायता मिलेगी। यह साझेदारी इस बात का प्रमाण है कि जब राज्य मिलकर काम करें, तो संरक्षण के लक्ष्य अधिक प्रभावशाली ढंग से प्राप्त किए जा सकते हैं।

Originally written on May 22, 2025 and last modified on May 22, 2025.

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