क्या है फाइनेंशियल फ्रॉड रिस्क इंडिकेटर (FRI), जिस से अब डिजिटल लेन-देन होगा और भी सुरक्षित

भारत में डिजिटल भुगतान की बढ़ती लोकप्रियता के साथ-साथ साइबर धोखाधड़ी और वित्तीय अपराधों का खतरा भी तेजी से बढ़ा है। इस चुनौती से निपटने के लिए दूरसंचार विभाग (DoT) ने Digital Intelligence Platform (DIP) के अंतर्गत विकसित एक बहु-आयामी विश्लेषणात्मक उपकरण के माध्यम से “Financial Fraud Risk Indicator (FRI)” की शुरुआत की है। यह टूल वित्तीय संस्थानों को संभावित साइबर धोखाधड़ी की पहचान करने में अग्रिम और कारगर जानकारी प्रदान करता है।
FRI क्या है?
FRI एक जोखिम आधारित संकेतक है जो किसी मोबाइल नंबर को वित्तीय धोखाधड़ी के संदर्भ में मध्यम (Medium), उच्च (High), या अत्यंत उच्च (Very High) जोखिम के तहत वर्गीकृत करता है। यह वर्गीकरण विभिन्न स्रोतों से प्राप्त इनपुट्स पर आधारित होता है, जिनमें शामिल हैं:
- राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (NCRP)
- डॉट का चक्षु प्लेटफॉर्म (Chakshu)
- बैंक और वित्तीय संस्थानों से साझा की गई खुफिया जानकारी
यह संकेतक कैसे कार्य करता है?
जैसे ही कोई मोबाइल नंबर किसी हितधारक द्वारा संदिग्ध के रूप में चिह्नित किया जाता है, वह DIP द्वारा एक बहु-आयामी विश्लेषण से गुजरता है। इसके बाद उस नंबर को तात्कालिक रूप से संबंधित बैंकों, NBFCs, और UPI सेवा प्रदाताओं को भेजा जाता है ताकि वे अतिरिक्त सुरक्षा उपाय लागू कर सकें।
FRI का उपयोग करने वाले मोबाइल नंबरों की सूची में वे नंबर भी शामिल होते हैं जिन्हें:
- साइबर अपराध में संलिप्त पाया गया
- पुनः सत्यापन में विफल रहे
- नियामक सीमाओं को पार किया
PhonePe और अन्य प्लेटफार्मों का योगदान
PhonePe इस प्रणाली के शुरुआती उपयोगकर्ताओं में से एक है। उसने Very High FRI वाले नंबरों पर लेन-देन को अस्वीकार करना शुरू कर दिया है और PhonePe Protect फीचर के तहत उपयोगकर्ताओं को स्क्रीन पर चेतावनी संदेश दिखा रहा है।
Paytm और Google Pay जैसे अन्य प्रमुख UPI प्लेटफॉर्म भी अब इस तकनीक को अपने सिस्टम में एकीकृत कर रहे हैं। कुछ प्लेटफॉर्म लेन-देन में देरी कर रहे हैं और उपयोगकर्ता की पुष्टि मांग रहे हैं ताकि जोखिम को कम किया जा सके।
UPI लेन-देन की सुरक्षा में नया मील का पत्थर
भारत में UPI भुगतान प्रणाली सबसे अधिक उपयोग की जाने वाली डिजिटल भुगतान विधि है। ऐसे में इस नई पहल से लाखों नागरिकों को साइबर धोखाधड़ी से बचाया जा सकता है। FRI के माध्यम से DoT और वित्तीय संस्थान अब तेजी से, लक्षित और समन्वित कार्यवाही कर सकते हैं।
भविष्य की दिशा: एक मानक प्रणाली की ओर
DoT का उद्देश्य न केवल साइबर सुरक्षा को मजबूत करना है, बल्कि इसे एक राष्ट्रीय स्तर पर तकनीक-संचालित समाधान के रूप में स्थापित करना है। वित्तीय संस्थानों और डिजिटल प्लेटफार्मों के साथ निरंतर सहभागिता के माध्यम से DoT यह सुनिश्चित कर रहा है कि FRI जैसे उपाय उद्योग मानक बनें और भारत की डिजिटल वित्तीय प्रणाली को और अधिक सशक्त, लचीला और सुरक्षित बनाएं।