केरल में आवारा कुत्तों पर नियंत्रण के लिए नई नीति: मोबाइल नसबंदी इकाइयां और ‘दया मृत्यु’ की मंजूरी

हाल ही में केरल में आवारा कुत्तों द्वारा इंसानों पर हो रहे हमलों और उससे जुड़ी रेबीज से मौतों की बढ़ती घटनाओं ने सरकार को कड़े कदम उठाने के लिए मजबूर कर दिया है। राज्य सरकार अब 152 ब्लॉकों में मोबाइल नसबंदी इकाइयों की शुरुआत करने जा रही है और अत्यधिक बीमार पशुओं को ‘दया मृत्यु’ देने की अनुमति भी देने जा रही है।
क्यों उठाया गया यह कदम?
केरल में जनवरी से मई 2025 तक आवारा कुत्तों के काटने के 1.65 लाख मामले सामने आए हैं, जिनमें से 17 की मौत हो चुकी है। यह आंकड़े 2023 (3.06 लाख मामले) और 2024 (3.16 लाख मामले) की तुलना में निरंतर बढ़ोतरी को दर्शाते हैं। इस गंभीर स्थिति को देखते हुए केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में यह सवाल उठाया कि क्या राज्य में कुत्तों के हमले को ‘राज्य-विशिष्ट आपदा’ घोषित किया जा सकता है।
मोबाइल नसबंदी इकाइयों और ABC नियमों की चुनौतियां
केंद्र सरकार द्वारा 2023 में बनाए गए ‘Animal Birth Control (ABC) Rules’ के तहत कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण का प्रावधान किया गया है, लेकिन केरल सहित कई राज्यों में इन नियमों का प्रभावी कार्यान्वयन नहीं हो पाया है। केरल में केवल 15 ABC केंद्र कार्यरत हैं और 18 और केंद्र खोलने की योजना है, लेकिन स्थानीय विरोध के कारण कई ज़िलों जैसे इडुक्की, वायनाड, मलप्पुरम और पठानमथिट्टा में एक भी केंद्र स्थापित नहीं किया जा सका है।
इसके अलावा, मौजूदा नियमों के अनुसार नसबंदी के बाद कुत्ते को उसी स्थान पर छोड़ना अनिवार्य है, जिससे पुनर्स्थापन के विकल्प सीमित हो जाते हैं।
दया मृत्यु (Euthanasia): कानूनी और नैतिक पहलू
चूंकि ABC नियमों में बीमार या आक्रामक कुत्तों को मारने की अनुमति नहीं है, केरल सरकार ने ‘Prevention of Cruelty to Animals (Animal Husbandry Practices and Procedures) Rules, 2023’ के सेक्शन 8 का सहारा लिया है। इसके अनुसार, यदि कोई पशु अत्यंत बीमार है या बीमारी फैलाने में सक्षम है, तो योग्य पशु चिकित्सक की पुष्टि और मालिक की सहमति से उसे ‘दया मृत्यु’ दी जा सकती है।
हालांकि, यह निर्णय कानूनी चुनौतियों और पशु अधिकार संगठनों के विरोध का कारण बन सकता है, विशेष रूप से तब जब बात आवारा कुत्तों की हो जिनका कोई मालिक नहीं होता।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- 2024 में भारत में कुल 37 लाख कुत्तों के काटने के मामले दर्ज हुए।
- केरल में 2.89 लाख आवारा और 8.36 लाख पालतू कुत्ते हैं (2019 जनगणना)।
- उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 20 लाख आवारा कुत्ते हैं।
- Animal Birth Control Rules, 2023 के तहत नसबंदी के बाद 6 दिनों की निगरानी जरूरी है।
असली जड़: कचरा प्रबंधन की खामियां
विशेषज्ञों के अनुसार, आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या का मुख्य कारण है असंगठित कचरा प्रबंधन। घरों से गैर-बायोडिग्रेडेबल कचरा उठाने के लिए हरिता कर्म सेना तो सक्रिय है, परंतु पोल्ट्री दुकानों और स्लॉटरहाउस से निकलने वाले जैविक कचरे का समुचित प्रबंधन नहीं हो रहा। साथ ही कोविड-19 के दौरान पालतू कुत्तों की संख्या में बढ़ोतरी और बाद में उनके परित्याग ने भी इस संकट को बढ़ाया।
राज्य सरकार के नए प्रयासों से उम्मीद की जा सकती है कि कुत्तों की आबादी को नियंत्रित करने, रेबीज से होने वाली मौतों को कम करने और नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में कुछ हद तक सफलता मिलेगी। लेकिन इसके लिए दीर्घकालिक नीति, जनसहभागिता और ठोस क्रियान्वयन की ज़रूरत होगी।