कावेरी डेल्टा के किसानों के लिए नई उम्मीद: उच्च पैदावार और पोषण से भरपूर ADT 59 और ADT 53 धान किस्में

तमिलनाडु राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट (TRRI), आदुथुरई द्वारा विकसित दो नई धान की किस्में — ADT 59 और ADT 53 — कावेरी डेल्टा के किसानों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रही हैं। इन दोनों किस्मों को विशेष रूप से डेल्टा क्षेत्र की जलवायु, मिट्टी, और खेती की परंपराओं को ध्यान में रखकर विकसित किया गया है। इन किस्मों की विशेषता है — उच्च उपज, अल्प अवधि में परिपक्वता, लवणता प्रतिरोध, पोषक तत्वों की अधिकता और बेहतर खाद्यान्न गुणवत्ता।

ADT 59: उच्च उपज और बहुउपयोगी किस्म

ADT 59 एक अल्प अवधि वाली (110–115 दिन में तैयार) धान की किस्म है जिसे खासकर कुरुवई, नवावरई और ग्रीष्म ऋतु के लिए उपयुक्त माना गया है। इस किस्म की प्रमुख विशेषताएँ हैं:

  • उच्च उपज: पारंपरिक किस्मों की तुलना में 15–20% अधिक उत्पादन। कुछ क्षेत्रों में 4,000 किग्रा/एकड़ तक उपज दर्ज की गई।
  • लवणता प्रतिरोध: डेल्टा क्षेत्र की मिट्टी की लवणता के बावजूद अच्छी पैदावार।
  • Bold Grain: मोटे दानों के कारण किसानों को डाइरेक्ट प्रोक्योरमेंट सेंटर्स (DPCs) से बेहतर मूल्य।
  • कम उर्वरक आवश्यकता: पारंपरिक किस्मों की तुलना में केवल 50% उर्वरक की जरूरत।
  • पोषण तत्व: 100 ग्राम में 19.4 मि.ग्रा. जिंक की मात्रा।
  • उपयुक्त खाद्य उपयोग: इडली-डोसा बैटर के लिए आदर्श; कम मात्रा में अधिक बैटर उत्पादन।

यह किस्म तना छेदक, ब्लास्ट और ब्राउन लीफ स्पॉट जैसी सामान्य बीमारियों और कीटों के प्रति भी प्रतिरोधी है, जिससे किसानों का रासायनिक उपयोग भी घटता है।

ADT 53: ADT 43 का बेहतर उत्तराधिकारी

TRRI द्वारा हाल ही में जारी की गई ADT 53 किस्म को ADT 43 और JGL 384 के क्रॉस डेरिवेटिव से विकसित किया गया है। इसकी प्रमुख विशेषताएँ:

  • परिपक्वता अवधि: 105–110 दिन, जिससे कुरुवई, कोडाई और नवावरई सीजन में आदर्श।
  • पैदावार और गुणवत्ता में सुधार: ADT 43 की तुलना में बेहतर।
  • मिलिंग दक्षता: 62% और पूर्ण चावल क्षमता 65%।
  • पोषण तत्व: जिंक और आयरन की भरपूर मात्रा।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • ADT 59 किस्म की सिफारिश TPS 5, ADT 37 और ASD 16 जैसी पुरानी मोटे दानों वाली किस्मों के स्थान पर की जा रही है।
  • ADT 59 में केवल 50% पारंपरिक उर्वरक की आवश्यकता होती है।
  • ADT 59 की इडली-डोसा बैटर के लिए सिफारिशित चावल-उड़द अनुपात 6:1 है।
  • ADT 53 की उत्पत्ति ADT 43 और JGL 384 के क्रॉस डेरिवेटिव से हुई है।

किसानों के लिए लाभ

इन दोनों किस्मों का सबसे बड़ा लाभ यह है कि ये स्थानीय परिस्थितियों के अनुकूल हैं, और कम लागत में अधिक उत्पादन और पोषण प्रदान करती हैं। इनके प्रतिरोधी गुणों के कारण कीट और रोग नियंत्रण पर खर्च कम आता है, जिससे किसानों की आय में शुद्ध लाभ होता है।

निष्कर्ष

ADT 59 और ADT 53 किस्में तमिलनाडु के डेल्टा क्षेत्र के किसानों के लिए वरदान साबित हो रही हैं। इनकी वैज्ञानिक रूप से सिद्ध विशेषताओं ने इन्हें पारंपरिक किस्मों का उत्कृष्ट विकल्प बना दिया है। उच्च पैदावार, पोषण और अनुकूलनशीलता के साथ, ये किस्में भारत की धान खेती को एक नई दिशा देने की क्षमता रखती हैं।

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