कश्मीर घाटी में रिकॉर्ड तोड़ गर्मी: जलवायु परिवर्तन की चेतावनी

कश्मीर घाटी, जो आमतौर पर अपने ठंडे और मनोहारी मौसम के लिए जानी जाती है, इस बार भीषण गर्मी की चपेट में है। 5 जुलाई 2025 को घाटी ने पिछले सात दशकों की सबसे अधिक दिन की तापमान को दर्ज किया, वहीं पहलगाम जैसे स्वास्थ्य पर्यटन स्थल ने भी अपने इतिहास का सबसे अधिक तापमान देखा। यह सब उस समय हो रहा है जब घाटी ने जून महीने में लगभग पचास वर्षों की सबसे गर्म स्थिति का अनुभव किया।

मौसम में बदलाव के संकेत

कश्मीर का मौसम सामान्यतः चार ऋतुओं में बंटा होता है — वसंत, ग्रीष्म, पतझड़ और सर्दी। गर्मियां सामान्यतः हल्की होती हैं, और अधिकतम तापमान 36 डिग्री सेल्सियस तक ही पहुँचता है। लेकिन इस वर्ष, तापमान न केवल बढ़ा है, बल्कि लगातार सामान्य से अधिक बना हुआ है। श्रीनगर में 5 जुलाई को अधिकतम तापमान 37.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो पिछले 70 वर्षों में सबसे अधिक है। पहलगाम ने भी 31.6 डिग्री सेल्सियस तापमान के साथ नया रिकॉर्ड बनाया।

बढ़ती गर्मी के पीछे के कारण

भारतीय मौसम विभाग, श्रीनगर के निदेशक मुख्तार अहमद के अनुसार, तापमान में वृद्धि के कई कारण हैं। वैश्विक तापवृद्धि (ग्लोबल वार्मिंग) इसकी मुख्य वजह है। पहले जब तापमान 35 डिग्री को पार करता था, तो वर्षा होती थी जो राहत लाती थी। लेकिन अब लंबे शुष्क कालखंड देखे जा रहे हैं। पहाड़ों में बर्फबारी कम हो गई है और जो बर्फ गिरती भी है, वह मार्च तक पिघल जाती है, जिससे पर्वत खाली रह जाते हैं।
इसके अतिरिक्त, ‘अर्बन हीट आइलैंड्स’ (Urban Heat Islands) का प्रभाव भी तेज गर्मी का एक प्रमुख कारण है। तेजी से हो रहे शहरीकरण, कंक्रीटीकरण, सड़कों की पक्कीकरण, जल स्रोतों की कमी और हरियाली में गिरावट ने शहरी इलाकों को आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में कहीं अधिक गर्म बना दिया है।

अर्बन हीट आइलैंड्स क्या हैं?

अर्बन हीट आइलैंड्स शहरी क्षेत्रों में उत्पन्न होने वाली ऐसी स्थिति है, जब शहरों का तापमान आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों से कहीं अधिक हो जाता है। इसका मुख्य कारण इमारतों और सड़कों की सतहें होती हैं, जो सूर्य की गर्मी को अवशोषित करके वातावरण में गर्मी बनाए रखती हैं। कश्मीर जैसे क्षेत्रों में यह समस्या नई है, परंतु अब तेजी से बढ़ रही है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • श्रीनगर में अब तक का सर्वाधिक तापमान 38.3 डिग्री सेल्सियस 10 जुलाई 1946 को दर्ज किया गया था।
  • पहलगाम में 2024 का रिकॉर्ड 31.5 डिग्री था, जिसे 2025 में 31.6 डिग्री ने पार कर दिया।
  • कश्मीर की जलवायु आमतौर पर समशीतोष्ण मानी जाती है जिसमें चार ऋतुएं स्पष्ट रूप से होती हैं।
  • अर्बन हीट आइलैंड प्रभाव सबसे पहले 19वीं सदी के अंत में लंदन जैसे शहरों में अध्ययन के दौरान पहचाना गया था।

यह बढ़ती गर्मी केवल एक आकस्मिक घटना नहीं बल्कि जलवायु परिवर्तन का गंभीर संकेत है। कश्मीर जैसे पर्वतीय क्षेत्र, जो जलवायु परिवर्तन के प्रति अत्यधिक संवेदनशील हैं, में यह बदलाव चिंता का विषय है। अब आवश्यकता है कि पर्यावरण-संवेदनशील नीतियों को अपनाकर हरियाली बढ़ाई जाए, जल स्रोतों की सुरक्षा की जाए और सतत विकास की दिशा में कदम उठाए जाएं।

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