कर्नाटक में डिजिटल ई-स्टांपिंग: दस्तावेज़ पंजीकरण की दिशा में बड़ा कदम

कर्नाटक में डिजिटल ई-स्टांपिंग: दस्तावेज़ पंजीकरण की दिशा में बड़ा कदम

कर्नाटक सरकार ने दस्तावेज़ों की मुहरबंदी और पंजीकरण प्रक्रिया को पूरी तरह काग़ज़ रहित और डिजिटल बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। 14 जुलाई 2025 को अधिसूचित ‘कर्नाटक स्टांप (डिजिटल ई-स्टांप) नियमावली, 2025’ का उद्देश्य पारंपरिक स्टांप पेपर को समाप्त कर एक समग्र डिजिटल प्रणाली लागू करना है। यह परिवर्तन न केवल प्रक्रिया को पारदर्शी बनाएगा, बल्कि इसके माध्यम से राज्य सरकार को राजस्व संग्रहण और लेखा प्रणाली को और सुदृढ़ करने में सहायता मिलेगी।

वर्तमान प्रणाली को क्या बदलेगा

अब तक राज्य में इलेक्ट्रॉनिक स्टांपिंग की जिम्मेदारी 2008 से स्टॉक होल्डिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (SHCIL) के पास थी, जो ई-स्टांपिंग लेनदेन पर 0.65% सेवा शुल्क लेती थी। इस शुल्क से प्रक्रिया महंगी हो जाती थी। नई प्रणाली इस बिचौलिए व्यवस्था को समाप्त कर देगी और राज्य के खजाने से सीधा भुगतान संभव बनाएगी।
ई-स्टांपिंग प्रणाली मूलतः 2008 में शुरू की गई थी, जब 2000 के दशक की शुरुआत में अब्दुल करीम तेलगी द्वारा चलाए गए नकली स्टांप पेपर घोटाले के बाद राज्य को एक सुरक्षित विकल्प की आवश्यकता पड़ी। अब नई प्रणाली इस पुराने ढांचे की जगह लेगी।

नई प्रणाली के लाभ

डिजिटल ई-स्टांपिंग प्रणाली के कई लाभ हैं, जो चरणबद्ध तरीके से लागू किए जाएंगे:

  • दस्तावेज़ लेखन का टेम्पलेट आधारित ढांचा: उपयोगकर्ता पोर्टल पर ही निर्धारित टेम्पलेट्स की मदद से अनुबंधों और काग़ज़ात को आसानी से तैयार कर सकेंगे, जिससे एकरूपता और सटीकता सुनिश्चित होगी।
  • आधार-आधारित ई-हस्ताक्षर: सभी पक्षों द्वारा आधार-प्रमाणित डिजिटल हस्ताक्षर के माध्यम से दस्तावेज़ों की वैधता और प्रामाणिकता सुनिश्चित की जाएगी।
  • सीधा खजाने से भुगतान: प्रक्रिया को और सरल बनाते हुए सरकारी कोष में सीधा भुगतान किया जा सकेगा।
  • डिजिटल भंडारण: स्टांप लगे दस्तावेज़ों को सुरक्षित रूप से डिजिटल रूप में संग्रहित किया जाएगा, जिससे भौतिक संग्रहण की आवश्यकता समाप्त हो जाएगी।

गैर-अनिवार्य दस्तावेज़ों को शामिल करने की पहल

राज्य में हर साल लगभग तीन करोड़ ऐसे दस्तावेज़ पंजीकृत होते हैं, जिनका पंजीकरण वैकल्पिक होता है और जो अक्सर ऑडिट ट्रेल में नहीं आते। इससे जवाबदेही और राजस्व ट्रैकिंग में कमी आती है। नई प्रणाली इन दस्तावेज़ों को भी डिजिटल ट्रैकिंग के दायरे में लाकर पारदर्शिता बढ़ाएगी।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • ई-स्टांपिंग कर्नाटक में 2008 में शुरू हुई थी।
  • अब्दुल करीम तेलगी स्टांप पेपर घोटाला भारत के सबसे बड़े वित्तीय घोटालों में से एक माना जाता है।
  • SHCIL को 2008 में कर्नाटक में ई-स्टांप विक्रेता के रूप में नियुक्त किया गया था।
  • नई प्रणाली के अंतर्गत दस्तावेज़ों का डिजिटल स्टोरेज और आधार-आधारित ई-हस्ताक्षर अनिवार्य होगा।

डिजिटल ई-स्टांपिंग प्रणाली न केवल भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी को रोकने में सहायक होगी, बल्कि यह राज्य के प्रशासनिक कामकाज को भी आधुनिक, सुगम और पर्यावरण के अनुकूल बनाएगी। यदि सफलतापूर्वक लागू की गई, तो यह मॉडल अन्य राज्यों के लिए भी एक प्रेरणा बन सकता है।

Originally written on July 17, 2025 and last modified on July 17, 2025.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *