कर्नाटक ने पुलिस में ट्रांसजेंडरों के लिए आरक्षण की घोषणा की
कर्नाटक सरकार ने ट्रांसजेंडरों को पुलिस में 1% आरक्षण देने की घोषणा की है।
मुख्य बिंदु
- पुलिस विभाग में सभी रैंकों पर उन्हें आरक्षण दिया जाएगा।
- इस कदम से ट्रांसजेंडरों के प्रति धारणा बदलने में मदद मिलेगी। यह उन्हें मुख्यधारा में लाएगा और समाज में उनके खिलाफ सभी पूर्वाग्रहों (prejudice) को दूर करेगा।
- कर्नाटक पुलिस विभाग पुरुषों और महिलाओं दोनों को समान अवसर देकर भर्ती कर रहा है।
- तीन-चार दशक पहले पुलिस विभाग में महिलाओं के लिए आरक्षण था। लेकिन अब विभाग का लक्ष्य पुलिस बल में 25% महिलाओं के आंकड़े तक पहुंचने का है।
कर्नाटक पुलिस
कर्नाटक में पुलिस को अलग-अलग क्षेत्रों जैसे थोटी, तलवार, कट्टुबिडी, उम्बलीधर, नीरगंती आदि में अलग-अलग नामों से पुकारा जाता था। वर्तमान पुलिस व्यवस्था की नींव राज्य में पहले पुलिस महानिरीक्षक की नियुक्ति के बाद रखी गई थी।
राज्य पुलिस का इतिहास
मैसूर राज्य कर्नाटक राज्य का पूर्ववर्ती था, जिसे 1 नवंबर, 1965 को बनाया गया था। एल. रिकेट्स को पहले पुलिस महानिरीक्षक के रूप में नियुक्त किया गया था। इससे पहले, राज्य पुलिस के पास कोई स्थिति, संरचना और शक्तियाँ नहीं थीं। 1883 के दौरान तलवार, थोटी, कवलुगरारू, नीरगंटिस, पटेला, अमरगरू, अंकमाले, श्यानुभोग आदि पुलिसिंग करते थे। मैसूर के महाराजाओं के शासन के दौरान विभिन्न रूपों में पुलिस मौजूद थी।
भारत में पहली ट्रांसजेंडर पुलिस
के. पृथिका यशिनी (K. Prithika Yashini) भारत की पहली ट्रांसजेंडर महिला पुलिस अधिकारी हैं। उन्हें तमिलनाडु में सब-इंस्पेक्टर नियुक्त किया गया है।