कर्नाटक कैबिनेट ने 18 विधेयकों को दी मंजूरी, देवदासी प्रथा उन्मूलन और शहरी चुनावों में तेजी पर जोर

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल बैठक में 18 महत्वपूर्ण विधेयकों को मंजूरी दी गई है। इनमें ग्रेटर बेंगलुरु (संशोधन) विधेयक, 2025 और कर्नाटक देवदासी (प्रतिषेध, निषेध, राहत एवं पुनर्वास) विधेयक, 2025 सबसे प्रमुख हैं। इन विधेयकों का उद्देश्य राज्य में सामाजिक सुधार, चुनावी प्रक्रिया में तेजी, और प्रशासनिक सुधारों को बढ़ावा देना है।

देवदासी प्रथा उन्मूलन के लिए नया विधेयक

कर्नाटक देवदासी (प्रतिषेध, निषेध, राहत एवं पुनर्वास) विधेयक, 2025, पुराने कर्नाटक देवदासी (प्रतिषेध और समर्पण) अधिनियम, 1982 को प्रतिस्थापित करेगा। यह विधेयक न केवल प्रथा पर रोक लगाने पर केंद्रित है, बल्कि पीड़ित महिलाओं और उनके बच्चों के पुनर्वास व सशक्तिकरण पर भी जोर देता है।विधेयक के तहत, देवदासी महिलाओं के बच्चों को सरकारी दस्तावेजों जैसे पासपोर्ट, आधार, पैन, ड्राइविंग लाइसेंस आदि में पिता का नाम लिखना अनिवार्य नहीं होगा। वे अपने नाम, उपनाम या मां का नाम दर्ज कर सकते हैं। इसके अलावा, जरूरत पड़ने पर पिता की पहचान के लिए डीएनए परीक्षण का विकल्प भी प्रदान किया गया है।

ग्रेटर बेंगलुरु (संशोधन) विधेयक, 2025

इस संशोधन का उद्देश्य राज्य निर्वाचन आयोग को शीघ्र मतदाता सूची तैयार करने का अधिकार देना है, ताकि नगर निगम चुनाव समय पर कराए जा सकें। साथ ही, नगर निगमों के अधिकार क्षेत्र को स्पष्ट रूप से परिभाषित करने का प्रावधान भी किया गया है।

अन्य प्रमुख विधेयक

कैबिनेट ने अन्य कई संशोधन विधेयकों को मंजूरी दी, जिनमें शामिल हैं —

    • कर्नाटक भूजल (पेयजल स्रोत संरक्षण के लिए विनियमन) संशोधन विधेयक – केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों को अपनाने हेतु।
  • कर्नाटक भूमि सुधार और अन्य कानून (संशोधन) विधेयक – भूमि राजस्व और भूमि सुधार अधिनियम के कुछ प्रावधानों में बदलाव के लिए।
  • कर्नाटक आवश्यक सेवाएं अनुरक्षण (संशोधन) विधेयक – नये केंद्रीय अधिनियम के अनुरूप संशोधन हेतु।
  • कर्नाटक अनुपालन अपराधमुक्तिकरण संशोधन विधेयक – व्यवसाय करने में आसानी और विश्वास आधारित शासन को बढ़ावा देने के लिए।
  • पंजीकरण विधेयक – संपत्ति पंजीकरण प्रक्रिया को पारदर्शी और सरल बनाने के लिए।
  • कर्नाटक पर्यटन व्यापार (सुविधा एवं विनियमन) संशोधन विधेयक – जिला स्तरीय निगरानी समिति के गठन के लिए।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • देवदासी प्रथा का उद्गम प्राचीन मंदिर परंपराओं से हुआ, लेकिन समय के साथ यह शोषण का माध्यम बन गई।
  • कर्नाटक में देवदासी प्रथा पर 1982 में आधिकारिक रूप से प्रतिबंध लगाया गया था।
  • ग्रेटर बेंगलुरु महानगर पालिका (BBMP) देश की सबसे बड़ी नगर निगम संस्थाओं में से एक है।
  • कर्नाटक विधानसभा में किसी विधेयक के पारित होने के बाद, उसे कानून बनने के लिए राज्यपाल की स्वीकृति आवश्यक होती है।

इन सभी विधेयकों के पारित होने से राज्य में प्रशासनिक ढांचा मजबूत होगा, चुनावी प्रक्रिया तेज होगी और सामाजिक कल्याण योजनाओं को अधिक प्रभावी ढंग से लागू किया जा सकेगा। विशेष रूप से देवदासी प्रथा उन्मूलन से जुड़े प्रावधान राज्य में सामाजिक समानता और गरिमा की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होंगे।

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