ऑपरेशन सिंदूर में ब्रह्मोस की भूमिका का विवेचन कीजिये।

भारत की ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल ने हाल ही में अपनी सटीकता और मारक क्षमता के कारण वैश्विक स्तर पर ध्यान आकर्षित किया है। इसकी तकनीकी विशेषताएं, हालिया सैन्य अभियानों में प्रभावी उपयोग, और निर्यात की संभावनाएं इसे एक रणनीतिक हथियार बनाती हैं, जिससे कई देश सतर्क हो गए हैं।

ब्रह्मोस की तकनीकी श्रेष्ठता

ब्रह्मोस मिसाइल भारत और रूस के संयुक्त प्रयास का परिणाम है। यह मिसाइल मैक 2.8 की गति से उड़ान भर सकती है और इसकी रेंज 500 किमी तक है, जिसे भविष्य में 800 किमी तक बढ़ाया जा सकता है। यह मिसाइल “फायर एंड फॉरगेट” प्रणाली पर आधारित है, जिससे एक बार लॉन्च करने के बाद इसे मार्गदर्शन की आवश्यकता नहीं होती। इसकी उच्च गति और सटीकता इसे दुश्मन के रडार और वायु रक्षा प्रणालियों के लिए चुनौतीपूर्ण बनाती है।

ऑपरेशन सिंदूर में ब्रह्मोस की भूमिका

10 मई 2025 को, भारत ने “ऑपरेशन सिंदूर” के तहत पाकिस्तान के वायु रक्षा ढांचे पर सटीक हमले किए। इस अभियान में लगभग 15 ब्रह्मोस मिसाइलों का उपयोग किया गया, जिससे पाकिस्तान के 11 में से 12 प्रमुख वायुसेना अड्डों को निशाना बनाया गया। इससे पाकिस्तान की वायु रक्षा क्षमता को गंभीर क्षति पहुँची और उसकी हवाई हमले की क्षमता कमजोर हुई। इस अभियान में डमी जेट्स का भी उपयोग किया गया, जिससे पाकिस्तान के रडार सिस्टम भ्रमित हुए और मिसाइल हमलों की प्रभावशीलता बढ़ी।

आत्मनिर्भर भारत की दिशा में कदम

ब्रह्मोस मिसाइल का विकास और उत्पादन भारत की “आत्मनिर्भर भारत” पहल का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। हाल ही में लखनऊ में ब्रह्मोस एयरोस्पेस इंटीग्रेशन और टेस्टिंग फैसिलिटी की स्थापना की गई है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने और युवाओं के लिए रोजगार के अवसर प्रदान करने में सहायक होगी। यह सुविधा भूमि, वायु और समुद्र से लॉन्च की जाने वाली अगली पीढ़ी की ब्रह्मोस मिसाइलों के निर्माण में सक्षम होगी।

अंतरराष्ट्रीय निर्यात और रणनीतिक प्रभाव

भारत ने ब्रह्मोस मिसाइल का निर्यात भी शुरू कर दिया है। फिलीपींस ने भारत से ब्रह्मोस मिसाइल प्रणाली की दूसरी खेप प्राप्त की है, जिससे उसकी तटीय रक्षा मजबूत हुई है। इसके अलावा, इंडोनेशिया भी ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने की योजना बना रहा है। इन निर्यातों से भारत की रक्षा कूटनीति को बल मिला है और क्षेत्रीय शक्ति संतुलन में परिवर्तन आया है।

चीन और पाकिस्तान की चिंता

ब्रह्मोस मिसाइल की तैनाती से चीन और पाकिस्तान दोनों चिंतित हैं। चीन को डर है कि भारत की यह मिसाइल तिब्बत और युन्नान प्रांतों के लिए खतरा बन सकती है। पाकिस्तान को भी ब्रह्मोस की उच्च गति और सटीकता के कारण अपनी वायु रक्षा प्रणाली की प्रभावशीलता पर संदेह है। इन कारणों से दोनों देशों ने अपनी रक्षा तैयारियों को मजबूत करने की दिशा में कदम उठाए हैं।

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